दशहरा यानी विजय दशमी के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. हर साल शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ ही दशमी तिथि पर ये त्योहार मनाया जाता है. इस दिन प्रभु श्रीराम की पूजा होती है और रावण के पुतले का दहन किया जाता है. लेकिन तखतपुर में एक रावण ऐसा है, जो राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के साथ ही विराजमान है. यहां रावण की भी पूजा की जाती है.
अभिषेक सेमर,तखतपुर। बिलासपुर के तख़तपुर के रावण भाठा में आज भी रावण की हर रोज पूजा होती है. भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान के साथ रावण भी विराजमान है. इन प्रतिमाओं को साल 1961 में दुर्गा प्रसाद गुप्ता ने बनवाया था. यहां हर वर्ष पूजा अर्चना होती है और दशहरे के दिन प्रतिवर्ष भव्य मेला लगता है. वैश्य समाज ने रावण का पुतला बनाकर विधिविधान के साथ असत्य पर सत्य की जीत का पर्व मनाया जाता है.
तखतपुर एक ऐसा शहर है, जहां एक क्षेत्र का नाम रावण भाठा है और बकायदा भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान के साथ रावण की भी प्रतिमा विराजमान है. रावण और भगवान की बनी मूर्तियां दोनों आमने-सामने इस तरह बनाई गई है, जिसमें रावण और राम के युद्ध को दिखाया गया है. हर दिन यहां पूजे जाने वाले भगवान श्रीराम के साथ पूजा करने वाले लोग रावण की भी पूजा करते है. यह पहला शहर है, जहां श्रद्धा के साथ प्रतिदिन राम के साथ रावण की भी पूजा होती है.
पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित भगवान शिव का भी विशाल मंंदिर है, जिसे तख्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर के नीचे से मां महामाया रतनपुर तक एक सुरंग थी. जिसमें तखतपुर के राजा तख्तेश्वर सिंह रतनपुर पूजा अर्चना के लिए सुंरग मार्ग से जाया करते थे. आज भी आसपास क्षेत्र की जब भी खोदाई की जाती है. मंदिर प्रांगण में खोदाई के दौरान पुराने बर्तन, औजार, श्रृंगार सामग्री उपयोगी सामान निकलते रहते है. तख्तेश्वर महादेव मंदिर के बाहर 25 फीट की शिव जी की विशाल प्रतिमा भी इसी रावण भाठा स्थल पर है. यहीं कुछ देर पर स्थित मां किलावाली चण्डी मंदिर भी काफी ख्याति प्राप्त है.
प्रतिवर्ष दशहरे के दिन इस रावण भाठा स्थल पर गुप्ता सामाज रावण दहन का कार्यक्रम रखता है. समाज के अध्यक्ष बसंत गुप्ता ने बताया कि स्व. दुर्गा प्रसाद गुप्ता ने रावण भाठा स्थल पर क्षेत्र के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ख्याल में रखते हुए रावण भाठा परिसर में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान के साथ रावण की प्रतिमा बनवाई थी. जब कभी वहां पर कोई आयोजन होता है, तो गुप्ता समाज द्वारा पूजा अर्चना की जाती है और दशहरे के दिन भगवान राम के साथ रावण की भी पूजा अर्चना की जाती है. हर वर्ष की तरह दशहरा पर्व पर गुप्ता समाज ने रावण के पुतला दहन करने का आयोजन रखा है. जिसकी तैयारियों के लिए प्रतिमाओं का रंग रोगन किया जा रहा है.