रायपुर- भूपेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ बीजेपी ने आज प्रदेशव्यापी धरना दिया है. कोरोना संकट की वजह से लागू लाॅकडाउन के बीच बीजेपी नेताओं ने अपने-अपने घरों पर धरना दिया. बीजेपी का आरोप है कि सत्ता में आने के पहले कांग्रेस ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था, लेकिन वादा पूरा करना तो दूर सरकार पैसा कमाने के लिए लोगों के घरों तक शराब पहुंचा रही है. बीजेपी ने अपने आरोप में यह भी कहा है कि किसानों को धान खरीदी की अंतर की राशि सरकार ने अब तक नहीं दी है. टोकन देने के बाद भी किसानों से धान नहीं खरीदा जा रहा है. दो साल का बोनस किसानों के हिस्से अब तक नहीं आया है. बीजेपी ने कहा है कि लाॅकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने की कोई ठोस कार्ययोजना भी सरकार के पास नहीं है.
प्रदेशव्यापी धरना के दौरान बीजेपी के तमाम आला नेताओं ने सोशल डिस्टेसिंग मेंटेन करने की दलील के साथ अपने-अपने घरों में धरना दिया.
पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने राज्य की सरकार को निर्लज्ज, निर्दयी और निष्ठुर बताते हुए कहा कि हालात देखते हुए सरकार को दूसरे राज्यों से पैदल चलकर आ रहे गरीब मजदूरों, उनके बच्चों के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए था, लेकिन 50 दिनों से यह तस्वीर बनी हुई है, कोई कार्ययोजना सरकार के पास नहीं है. गरीब मजदूरों और उनके बच्चों के लिए, जो पैदल चल रहे हैं, कोई कदम नहीं उठा रही. 50 दिनों से यह तस्वीर बनी हुई है. हमने पूछा था कोई कार्ययोजना है, तो सरकार बताए. विपक्ष को विश्वास में ले, मजदूरों के खातों में एक-एक हजार रूपए डाले जाए. छत्तीसगढ़ के मजदूरों के साथ नाइंसाफी हो रही है. आज तक खातों में पैसे नहीं डाले गए.1 लाख 60 हजार मजदूरों को वापस लाने समुचित कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है. विपक्ष को विश्वास में लिया जाना चाहिए, लेकिन सर्वदलीय बैठक बुलाकर राय लेने तक की कोशिश इस सरकार ने नहीं की. डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि चुनाव के वक्त शराबबंदी की घोषणा कांग्रेस ने की थी, लेकिन डेढ़ साल बाद भी बंद तो नहीं हुआ, घर पहुंच सेवा जरूर शुरू हो गई. हम इसका विरोध करते हैं. किसानों को दो साल के बोनस की राशि नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि लाकडाउन के नियम के अंदर रहकर प्रदेश व्यापी प्रयोग कर रहे हैं. हम सबने ठाना है कि सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे. सरकार में रहते शराब बिक्री को बढ़ाने के कांग्रेस के आरोप पर जवाब देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसी भी घोषणा पत्र में बीजेपी ने यह वादा नहीं किया था. जबकि कांग्रेस ने यह वादा किया है. गंगा जल हाथों में लेकर कसम कांग्रेस ने खायी थी. राहुल गांधी के सामने कांग्रेस ने यह वादा किया था. महिलाओं के साथ यह वादा किया था. इस आधार पर सरकार में बैठे हैं. राहुल गांधी ने कहा था कि एक महीने के भीतर यदि क्रियान्वयन नहीं होगा, तो मुख्यमंत्री बदल जाएगा. हम तो इंतजार कर रहे हैं डेढ़ साल हो गए,क्यूं नहीं बदला जा रहा. रमन ने कहा कि सरकार को भगवान सदबुद्धि दे. प्रदेश की जनता को जागरूक करने यह आंदोलन किसी न किसी रूप में जारी रहेगा.
पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने व्यंग्यात्मक लहजे में सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ने गंगाजल पीकर घोषणा पत्र बनाया था या शराब पीकर. उन्होंने कहा कि लाकडाउन ने बता दिया कि छत्तीसगढ़ की जनता शराब के बगैर रह सकती है, लेकिन सरकार इसके बगैर नहीं रह सकती. धारा 144 लागू है. लाकडाउन चल रहा है, लेकिन शराब दुकानों में कहीं भी सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं किया जा रहा . छत्तीसगढ़ को सरकार ने ज्वालामुखी के मुहाने पर बिठा दिया है. सारे नियमों की धज्जियां उड़ा दी गई है. आठ लाख स्टूडेंट्स के लिए सरकार क्या कर रही है, शैक्षणिक सत्र का क्या होगा. इसकी कोई कार्ययोजना सरकार के पास है, ऐसा लगता नहीं है. किसानों को दो साल का बोनस देना तो भूल जाओ, उसकी चर्चा तक सरकार नहीं करती है. धान खरीदी में अंतर की राशि भी किसानों को अब तक नहीं दी गई. एक दिन में ही 36 करोड़ रूपए का औसतन कर्ज सरकार ने लिया है. बीजेपी सरकार के कार्यकाल का हिसाब निकाल लें. इतना कर्जा कभी नहीं लिया गया. सवा साल में सरकार ने सिर्फ कर्जा लेने का काम किया है. अजय चंद्राकर ने कहा कि पूंजीगत व्यय जहां जरूरी होगा, वहीं खर्च होगी. जिस सरकार में पूंजीगत व्यय खत्म हो गया, इसका मतलब क्या ये सिर्फ तनख्वाह देने वाली सरकार है. उन्होंने कहा कि रोजगारमूलक काम सिर्फ मनरेगा से हो रहा है, जो केंद्रीय योजना है. रमन सिंह सरकार के वक्त 50 दिन अतिरिक्त रोजगार किया जाता था. क्या ये सरकार दे रही है. सरकार का यह बयान आना चाहिए कि पिछली सरकार में 50 अतिरिक्त दिन का जो काम किया था. वह लागू होगा या नहीं. चंद्राकर ने कहा कि सबसे गंभीर बात यह है कि राज्य में नमक की कालाबाजारी हो रही है. पाटन में 30 से 40 रूपए में नमक बिका है. यह कालाबाजारी को शह देने वाली सरकार है. उन्होंने कहा कि कोरोना से आज छत्तीसगढ़ की जनता लड़ रही है, सरकार नहीं लड़ रही. सरकार ने एक ही काम किया है कोरोना के लिए दारू में 10 और गौठान के लिए 5 रूपए से लगाने का.
पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि- हम जो लड़ाई लड़ रहे हैं, वह कांग्रेस को उनका वादा याद दिलाने के लिए है. पूर्ण शराबबंदी के लिए लाकडाउन से अच्छा समय नहीं हो सकता था. बंद करने की बजाए सरकार इससे पैसा कमाने में जुट गई है. शराब से घर-घर में कलह की नौबत आ गई है. सरकार मजदूरों को राहत पहुंचाने की बजाए उन्हें परेशान कर रही है. उन्होंने कहा कि बार-बार मुख्यमंत्री केंद्र को पत्र लिखते हैं, जो पैसा है, उससे कोरोना के खिलाफ लडा़ई में कितना इस्तेमाल किया. पहले उसे खर्च तो करे. बार-बार केंद्र सरकार पर आरोप लगाना किसी भी सरकार के लिए अच्छी बात नहीं है. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सरकार को आवश्यक चीजें, जो लोगों के जीवन से जुड़े हैं, ऐसे काम प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए. छत्तीसगढ़ पूरी तरह से दिवालिया हो गया है. किसानों का पत्र आ रहा है कि 19 मार्च को किसानों को धान खरीदने के लिए टोकन जारी किया था, लेकिन किसान टोकन जारी करने के बाद भी धान नहीं खरीद रही है. यह किसानों के साथ अन्याय है.
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि बीजेपी ने सरकार की वादाखिलाफी को लेकर धरना दिया है. पूर्ण शराबबंदी का वादा सरकार ने किया था, लेकिन आज घर पहुंच सेवा देकर शराब पीने के लिए सरकार लोगों को प्रोत्साहित कर रही है. धान खरीदी की अंतर की राशि हो या फिर किसानों से जुड़े दूसरे वादे, सरकार सब भूल गई है. मजदूरों की सुध सरकार नहीं ले रही.सरकार को हम जगाना चाहते हैं. सरकार खुद ही किए वादे को यदि भूल जाए, तो सोई सरकार को जगाने के लिए यह धरना दिया गया है.
राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा कि हमने राज्यपाल से मिलकर प्रदेश सरकार की वादाखिलाफी की शिकायत की थी. राज्य अब शराब, जुएं का अड्डा बन गया है. कोरोना की तबाही में जहां इससे निपटने में ध्यान दिया जाना चाहिए, वहां शराब बेचने की ओर है. यह खेदजनक स्थिति है. रोजगार के अभाव में मजदूर दूसरे प्रदेशों में जीवीकोपार्जन में गए थे. आज लाकडाउन की वजह से मजदूरों को वापस आ रहे हैं. हमने आग्रह किया था कि उनके खाते में कम से कम एक-एक हजार रूपए डाल दे, लेकिन सरकार ने यह भी काम नहीं किया. सरकार मजदूरों को लाने की बजाए उन्हें उनके हालात पर छोड़ दिया है. हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपनी जान को जोखिम में डाल दिया है.
सांसद सुनील सोनी ने कहा कि राज्य सरकार ने गंगाजल लेकर सौगंध खाई थी कि पूर्ण शराबबंदी करेंगे, लेकिन दुर्भाग्य है कि गंगाजल का अपमान किया, राज्य के माता-बहनों का अपमान किया. डाक्टर भी कहते है कि 45 दिन कोई शराब नहीं पिए तो शराब की लत छूट जाती है, लेकिन सिर्फ पैसा कमाने के लिए सरकार ने शराब दुकानों के लिए ऐसे नियम बना दिए, जो देश में कहीं नहीं है. शराब घर पहुंचाई जा रही है. हम चाहते हैं कि बीजेपी के ऐसे धरना कार्यक्रम से सरकार की आंखें खुले.
वहीं पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि बीजेपी कांग्रेस के जनघोषणा पत्र को लेकर ही सवाल पूछ रही है. कांग्रेस ने कहा था कि शराबबंदी कर देंगे, बेरोजगारी भत्ता देंगे, समर्थन मूल्य में 2500 रूपए देंगे, संपत्ति कर कम कर देंगे. आखिर सरकार किस दिशा में जा रही है. छत्तीसगढ़ की राजनीति एक नई दिशा की ओर जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कुछ न कुछ सुझाव दिया है, लेकिन उन सुझावों को ताक पर रख दिया. हजारों की तादात में मजदूर पैदल चलकर आ रहे हैं, लेकिन सरकार को राजनीति करने से फुर्सत नहीं है. सरकार जहां जन सहयोग की उपेक्षा करेगी, वहां बीजेपी सड़कों पर उतरकर लड़ाई लड़ेगी. इधर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि आज के मुख्यमंत्री 2018 के चुनाव के पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. उन्होंने सार्वजनिक स्थान में गंगाजल की कसम खाकर यह वादा किया था कि जब हम सरकार में आएंगे, तो पूर्ण शराबबंदी लागू करेंगे. सत्ता में आए डेढ़ साल हो गए, पूर्ण शराबबंदी तो दूर की बात है, ऐतिहासिक फैसला लिया गया कि घर पहुंचाकर शऱाब दी जाएगी. कुंभकरणी निद्रा में सो रही सरकार को हम धरना के जरिए जगाने का प्रयास कर रहे हैं.
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