सत्यपाल सिंह,रायपुर। छत्तीसगढ़ में 16 जून से शिक्षा के नए सत्र की शुरुआत हो चुकी है. लेकिन स्कूल बच्चों के लिए अभी नहीं खोला गया है. ऑनलाइन क्लास ही जारी रहेगा. सत्र शुरू होने के बावजूद स्कूलों में पुस्तक नहीं पहुंचा है. ऐसे में बगैर पुस्तक बच्चे कैसे पढ़ेंगे. इससे प्रदेश के लगभग 56 लाख बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ होगा. बिना पुस्तक के ऑनलाइन पढ़ाई का कोई लाभ नहीं होगा. पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने कहा कि सवाल यह है कि बच्चों के पास पुस्तक कॉपी ही नहीं है. बच्चे स्कूल जा नहीं सकते है. ऑनलाइन पढ़ाई ही विकल्प है, तो बच्चे कैसे पढ़ाई करेंगे ? किताब ही नहीं है, तो बच्चे पढ़ेंगे क्या ?
54 लाख बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने कहा कि 16 जून से पहले ही सभी विद्यार्थियों के हाथ में कॉपी पुस्तक होना चाहिए था, तभी वो अपनी पढ़ाई कर पाते. यह व्यवस्था सुनिश्चित करनी थी. लेकिन इस व्यवस्था में विभाग विफल रहा है. पिछले साल भी शिक्षा विभाग ने जून में सत्र प्रारंभ किया था. बच्चों को किताब अक्टूबर-दिसंबर में मिला. इस बार भी किताब बच्चों को नहीं मिला है, लेकिन स्कूल खुल गया है. पॉल ने कहा कि लाखों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने देंगे. हम शिक्षा विभाग की लापरवाही पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही का विरोध करते हैं. शिक्षा सत्र या ऑनलाइन पढ़ाई तभी प्रारंभ करें. जब बच्चों के हाथों में किताब पहुंच जाए.
पुस्तक पहुंचने में लगेंगे 2 ढाई महीने
प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि प्राइवेट स्कूल में अभी पुस्तक पहुंचने में लगभग 2 ढाई महीने लगेंगे. हम लोगों ने पढ़ाई ऑनलाइन प्रारंभ कर दी है. लेकिन इस पढ़ाई का ज़्यादा फायदा बच्चों को तब तक नहीं मिलेगा, जब तक उनके हाथों में पुस्तक नहीं होगा. इसीलिए सरकार को प्राथमिकता से बच्चों तक सत्र से पहले पुस्तक पहुंचाना था.
पाठ्यक्रम का पीडीएफ वेबसाइड में अपलोड
शिक्षा विभाग का दावा है कि उन्होंने सत्र से पहले 10 तक के सभी पाठ्यक्रम का पीडीएफ वेबसाइड में अपलोड कर दिया है. वहां से डॉउनलोड कर बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. इस दावा के बीच पालक संघ और निजी स्कूल संघ ने कहा कि पाठ्य पुस्तक निगम बच्चों के हाथों में पुस्तक पहुंचाने में नाकाम रहा है, लेकिन अभी पाठ्यक्रम का पीडीएफ पढ़ाई का सहारा है. हालांकि इस पीडीएफ का प्रदेश के 70 प्रतिशत से ज्यादा विद्यार्थी फायदा लेने से वंचित हैं.