शिवम मिश्रा, रायपुर। राजधानी सहित प्रदेश के सभी 28 जिलों में छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ ने अपनी मांगों को लेकर एक दिन का सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया। धरना में मांगों को लेकर यह निर्णय लिया कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो 5 सितंबर को सभी जिले के आरटीओ कार्यालय में बस को खड़ा कर चाबी आरटीओ को सौपीं जाएगी। इसके बाद भी अगर सरकार मांगों को नही मानती है तो पूरे प्रदेश भर के बस संचालक 10 सितम्बर को महादेव घाट खारुन नदी के तट पर उग्र आंदोलन करेंगे।

यातायात महासंघ के उपाध्यक्ष सय्यद अनवर ने बताया की सरकार से हम पिछले 5 महीने से निवेदन और आग्रह कर रहे हैं। हम उन्हें बता रहे हैं कि 1 लाख कर्मचारी भटक रहे हैं। हमारा करोड़ों का नुकसान हो रहा है। आप हमारी छोटी-छोटी मांगो को पूरा कर गाड़ियों का संचालन कार्य शुरू करें।  हमारी जो 8 सूत्रीय मुख्य मांगे हैं, उसे हम पहले भी आपको बता चुके हैं। हमारी सभी मांगें जायज हैं। हमारी कोई भी ऐसी बहुत बड़ी मांगे नहीं है, जिसको राज्य सरकार पूरा नहीं कर सकती है। अगर सरकार हमारी मांगों को पूरा कर दे तो कम से कम बसों का संचालन तो शुरू हो जाएगा।

 

राज्य भर में पैसेंजर परेशान हो रहे हैं। इस समय में बसों के संचालन बन्द होने से पैसेंजरो को 300 रुपए का सफर 4 हजार में करना पड़ रहा है। हमें तो ये समझ नहीं आ रहा है कि सरकार ऐसा क्यों कर रही है। अगर आप थोड़ा गहराई से देखें तो राज्य में कुल 12 हजार बसे हैं। जिससे सरकार को वेट के नाम पर ₹85 करोड़ का टैक्स मिलता है तो सरकार हमसे 5 करोड का टैक्स लेने के चक्कर में अपना 80 करोड़ का नुकसान क्यों कर रही है। परिवहन मंत्री ने जो कल घोषणा की ड्राइवर, कंडक्टर के स्लिप वाली, ऐसी घोषणा तो हम पहली बार सुन रहे है। जब सरकार मजदूर किसानों की मदद कर रहे हैं, तो सरकार इनकी मदत क्यों नही करती है। सरकार का ऐसा सोचना गलत है। हमारी सभी मांगे पूरी की जाए जो अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो ये एक दिवसीय धरना है। हम आने वाले 5 तारीख को रायपुर आरटीओ कार्यालय में अपनी बसों को अंदर डाल देंगे और फिर भी बात नही बनी तो 8 तारीख को खारून नदी के पास बहुत बड़ा धरना प्रदर्शन होगा। भविष्य में हम बहुत बड़े कदम उठा सकते हैं।