वीरेंद्र गहवई,बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से संवैधानिक आयोग में किए गए अध्यक्षों की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट में एडवोकेट योगेश्वर शर्मा के माध्यम से जनहित याचिका दायर की गई है. दायर याचिका को आज एक्टिंग चीफ जस्टिस के डिविजन बेंच ने स्वीकार कर लिया है. उन्होंने राज्य शासन समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

याचिकाकर्ता अभिषेक कुमार चौबे ने अपनी याचिका में कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन ने विभिन्न संवैधानिक आयोग जैसे बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग आदि में अध्यक्ष पद पर केवल राजनीतिक व्यक्तियों की नियुक्ति की है. उनके चयन में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई और न ही विज्ञापन के जरिए भर्ती हुई. मनमाफिक अपने पसंद के राजनीतिक व्यक्तियों को विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष पद पर आसीन कर दिया.

जबकि विधि अनुसार बाल अधिकारों के संरक्षण में कार्य किए हुए व्यक्ति और अनुसूचित जनजाति के केसों की जानकारी रखने वाले व्यक्ति का चयन करना था. साथ ही बाल संरक्षण अधिकार आयोग में चेयरमैन की नियुक्ति चयन समिति द्वारा होनी थी. उसके विपरीत छत्तीसगढ़ शासन ही सारी नियुक्तियों की जानकारी मात्र प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी. जबकि सुप्रीमकोर्ट ने ऐसे पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया में छटनी करने की प्रक्रिया को वेबसाइट में सार्वजनिक करने को कहा था.

इन कारणों से भविष्य में विषय विशेष में महारत हासिल व्यक्ति को नियुक्ति करने, केवल राजनीतिक व्यक्तियों का चयन नहीं हो पाए, और ऐसी नियुक्तियों की प्रक्रिया को सुप्रीमकोर्ट के निर्णय अनुसार वेबसाइट में अपलोड करने के साथ ही अध्यक्ष पद की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता होनी चाहिए, जो यहां नहीं हुआ.

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