रायपुर. राज्य में किसी भी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं है. सभी भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है. अप्रैल 2018 की तुलना में अप्रैल 2019 में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा भुगतान शासकीय खजाने से किया गया है. छत्तीसगढ़ द्वारा प्रतिवर्ष भारत सरकार द्वारा निर्धारित सीमा का नियम से पालन किया जा रहा है. वर्ष 2018-19 के लिये भारत सरकार द्वारा राज्य को 12979 करोड़ का ऋण लेने की अनुमति दी गई थी, जिसके विरूद्ध 12,900 करोड़ का ऋण वित्त वर्ष के दौरान लिया गया था. यह जानकारी प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने दी.
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब राज्य पर कोई ऋण नहीं था. 2019 में जब कांग्रेस को सत्ता वापस मिली तो तब प्रदेश पर लगभग 57,000 करोड़ का कर्ज था. कांग्रेस सरकार कर्ज के बोझ से दबे आत्महत्या करते किसानों को कर्ज से राहत देने के लिए, कृषि प्रधान राज्य के किसानों की स्थिति में सुधार के लिए, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों की अनुसार धान की 2500 रू. प्रति क्विंटल देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को कर्ज भी लेना पड़ा. लेकिन सरकार को पता है कि वह किस तरह से इस कर्ज को चुकायेगी.
जीएसटी और वैट राजस्व में 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 के दौरान बजट में 10,926 करोड़ का ऋण लेने का प्रावधान किया गया है. अप्रैल 2019 में ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी है. अप्रैल 2019 में पिछले वर्ष अप्रैल की तुलना में जीएसटी एवं वैट से प्राप्त राजस्व में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मई, 2019 में भी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी. वर्ष 2018-19 और 2019-20 में निर्माण कार्यो के भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई गई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट 2018 अनुसार राज्य का कुल ऋण दायित्व जीडीपी का 17.4 प्रतिशत है, जो अन्य राज्यों के औसत 24.3 प्रतिशत से कम है. इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा लिये गये ऋण पर ब्याज भुगतान का दायित्व कुल राजस्व प्राप्तियों का 4.6 प्रतिशत है, जो कि अन्य राज्यों के औसत 11.6 प्रतिशत से काफी कम है.
भर्ती पर शासन ने नहीं लगाई गई है रोक
त्रिवेदी ने बताया कि राज्य शासन द्वारा भर्ती पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, बल्कि भर्ती के पूर्व वित्त विभाग की अनुमति लेने का निर्णय को एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया है. यह निर्देश वर्ष 2014 से प्रचलित है, और वर्ष 2015, 2016, 2017 एवं 2018 में एक-एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया था. वर्तमान में शिक्षा विभाग के लगभग 15,000 शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी गई है, और आवश्यकतानुसार भर्ती की अनुमति सतत् रूप से दी जाती है. पूर्व वर्षों में दी गई भर्ती की अनुमतियों को रोकने का निर्देश भी नहीं है.
देश की अर्थव्यवस्था मोदी सरकार ने बिगाड़ी
केंद्र की मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था बिगाड़ी है. मार्च 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार आने के पहले देश पर कुल 53 लाख 11 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था. 5 साल के मोदी सरकार के कार्यकाल में यह बढ़कर 83 लाख 40 हजार करोड़ रुपए हो गया. मोदी सरकार ने मात्र 4 साल 9 महीने में न केवल देश पर कुल 57 प्रतिशत कर्ज बढ़ा दिया बल्कि महंगाई बढ़ाई, बेरोजगारी बढ़ाई, यहां तक आत्महत्या करते हजारों-लाखों किसानों को सहारा दिए बिना भाग्य भरोसे छोड़ दिया. यह आरोप कांग्रेस की ओर से लगाया गया है.