रायपुर। अनुसूचित जनजाति के प्रकरण में फंसी डॉ. ऋचा जोगी ने अपना जवाब मुंगेली जिला छानबीन समिति को भेज दिया है. इस जवाब में उन्होंने समिति की ओर से मांगी गई जानकारी के लिए 7 दिनों का समय देने को कहा. इसके लिए पीछे उन्होंने संबंधित विभाग के के बंद होने की बात कही है.

जिला छानबीन समिति को जो जवाब डॉ. ऋचा जोगी ने दिया है वह जस का तस यहाँ पढ़िए….

8 अक्टूबर को समिति द्वारा उन्हें 29 सितम्बर 2020 को जारी किये गए कारण बताओ नोटिस और उनके विरुद्ध की गयी शिकायत की प्रति उपलब्ध करवाई गयी जिसके लिए वे समिति सदस्यों की आभारी हैं.  उनसे आवेदन की मूल प्रति मांगी गयी थी. उन्होंने आवेदन चॉइस सेंटर के माध्यम से ऑनलाइन किया था. चॉइस सेंटर के कर्मचारी द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेज दिखाने के बाद कर्मचारी द्वारा यह फॉर्म ऑनलाइन भरा गया था. उनके भाई ने 08 अक्टूबर को समिति का पत्र मिलने के तुरंत बाद मुंगेली कलेक्टर के समक्ष ऑनलाइन आवेदन और दस्तावेजों की कॉपी उपलब्ध करवाने का आवेदन दिया थ. उनके भाई ने स्वयं के जाति प्रमाण पत्र के लिए भी चॉइस सेंटर से आवेदन किया था. कलेक्टर मुंगेली को दिए गए आवेदन में भाई ने स्वयं के आवेदन से सम्बंधित दस्तावेज भी मांगे हैं. लेकिन आज तक उन्हें मुंगेली कलेक्टर कार्यालय से उक्त दस्तावेज नहीं मिले हैं.

समिति द्वारा भेजे गए पत्र में उनसे 1950 से पहले का राजस्व दस्तावेज (मिसल) और 02 जून 1940 के बिक्रीनामे की मूलप्रति मांगी गयी थी. उक्त सभी रिकॉर्ड की सत्यापित प्रति समिति के समक्ष प्रस्तुत कर दी थी. सभी मूल दस्तावेज बिलासपुर जिला रजिस्ट्रार के पास जमा हैं, जिन्हे लेने उनके भाई गए थे. लेकिन बिलासपुर जिला रजिस्ट्रार कार्यालय में एक कर्मचारी के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण कार्यालय 07 अक्टूबर से 11 अक्टूबर 2020 तक बंद है, जिस वजह से उन्हें यह दस्तावेज उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. डॉ. जोगी ने मांग की है कि उन्हें ये सभी दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए 7 दिनों का और समय दिया जाए.

आगे जवाब में उन्होंने यह भी लिखा है कि समिति द्वारा उन्हें शिकायत की जानकारी 08 अक्टूबर 2020 को ही दी गयी और सिर्फ 4 दिन उपरांत 12 अक्टूबर 2020 को अगली सुनवाई रख दी. जिसमें भी बीच में 2 दिन शनिवार – इतवार गैर कार्यदिवस थे. इसलिए उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए जरुरी दस्तावेज अभी तक नहीं मिल पाए हैं.  प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को देखते हुए उन्हें खुद का पक्ष रखने के लिए न्यायोचित समय दिया जाना चाहिए. इसलिए समिति को आज की मीटिंग स्थगित करके उन्हें कम से कम 10 दिनों का समय देना चाहिए. नियमों के तहत समिति को उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई और वीडियोग्राफी में गवाहों के प्रतिपरीक्षण का अवसर भी देना चाहिए.

उन्होंने यह भी लिखा है कि, चूँकि वे 2 माह के बच्चे की माँ हैं जिसे लगातार ब्रेस्टफीड और मातृत्व केयर की जरुरत है तथा कोरोना महामारी को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन और आईसीएमआर की गाइडलाइन्स के अनुसार 10 दिनों बाद समिति द्वारा चिकित्सकीय निगरानी में कोरोना फ्री माहौल में उन्हें सुनवाई का अवसर दिया जाए। मानवता के नाते समिति उनका आवेदन स्वीकार करेगी ऐसी उन्हें अपेक्षा है.