दुनिया में ऐसे कई बच्चे होते हैं, जिनका आईक्यू लेवल जन्म के बाद से बहुत अधिक होता है. यानी छोटे उम्र में ही अपने से बढ़े उम्र के व्यक्ति के हिसाब से उनका दिमाग चलता है. बच्चे में सोचने, समझने और परखने की क्षमता अधिक होती है. ठीक ऐसा ही ताजा मामला छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से सामने आया है.
सत्यपाल सिंह,रायपुर। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल ने दुर्ग निवासी 11 वर्षीय लिवजोत सिंह अरोरा का आईक्यू टेस्ट कराया. जिसमें यह बात निकलकर सामने आई है कि उसका आईक्यू लेवल 16 साल के उम्र के बच्चे के बराबर है. जिसके बाद 5वीं में बढ़ रहे बच्चे को सीधा 10वीं कक्षा की परीक्षा दिलाने का निर्णय लिया गया है.
जानकारी के मुताबिक 11 वर्ष 4 माह का छात्र लिवजोत सिंह अरोरा पिता गुरविंदर सिंह अरोरा दुर्ग के माइल स्टोन स्कूल में पांचवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है. बच्चा पढ़ने में काफी तेज है. जिस कारण उसका दुर्ग शासकीय जिला अस्पताल में आईक्यू टेस्ट करवाया गया. अस्पताल से जो रिपोर्ट सामने आई वो चौंकाने वाली थी. रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चे का आईक्यू लेवल 16 वर्ष के उम्र के बराबर है.
आईक्यू टेस्ट के आधार पर बच्चा 5वीं कक्षा से सीधा 10वीं कक्षा की परीक्षा देना चाहता है. बच्चे का आवेदन मंडल की परीक्षा और परीक्षाफल समिति को भेजा गया. समिति के सदस्यों के बीच विचार विमर्श करने के बाद उसे 10वीं कक्षा की परीक्षा देने की अनुमति दे दी गई है. अब 11 साल का लिवजोत सिंह अरोरा 10वीं की परीक्षा देगा. बता दें कि इसके पहले 2013 में भी 12 साल 9 महीने की छात्र को आईक्यू लेवल के आधार पर दसवी में भर्ती के लिए अनुमति दी गई थी.
माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव व्ही. के. गोयल ने बताया कि लिवजोत सिंह अरोरा माइल स्टोन स्कूल दुर्ग में पढ़ाई कर रहा है. परिजनों ने बच्चे के आईक्यू लेवल को देखते हुए 10वीं में भर्ती करने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल को आवेदन दिया था. जिसके बाद समिति बनाकर आईक्यू टेस्ट कराया गया. टेस्ट की रिपोर्ट 16 साल के बच्चों के बराबर है. इसलिए परीक्षाफल समिति ने सर्वसम्मति से लिवजोत को दसवीं कक्षा में भर्ती करने की अनुमति दी गई है.