रायपुर। छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय एक चैरिटेबल संस्था है, जो 1978 से जरूरतमंद मरीजों की सेवा कर रही है। शायद ही राज्य का कोई गांव होगा, जहां से किसी मरीज ने इलाज के लिए यहां कदम नहीं रखा हो। यहां अपॉइंटमेंट सिस्टम नहीं है, क्योंकि गांवों से आने वाले लोग अक्सर एक-दो साथी लेकर आते हैं, जो खुद भी जांच कराना चाहते हैं इसलिए यह अस्पताल “पहले आओ, पहले जांच कराओ” की व्यवस्था अपनाता है, जिससे कोई भी इलाज से वंचित नहीं रहता। महज 100 रुपए में कोई भी व्यक्ति पूर्ण नेत्र जांच करवा सकता है।
पैसों की कमी के कारण इलाज रुकना नामुमकिन है। आज तक लगभग 30–35 लाख मरीजों की जांच और 5–6 लाख सफल नेत्र ऑपरेशन हो चुके हैं, जिनमें कॉर्निया और रेटिना जैसी जटिल सर्जरी भी शामिल हैं। यह अस्पताल न सिर्फ चिकित्सा का केन्द्र है, बल्कि छत्तीसगढ़ की एक महत्वपूर्ण पहचान भी बन चुका है। इस जानकारी को अस्पताल के मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट डॉ. अभिषेक मेहरा ने साझा किया है। हाल ही में उन्होंने एक बड़ी उपलब्धि भी हासिल की है, जो पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

लंदन में मैक्युला पर विशेष अध्ययन
मूरफील्ड्स आई हॉस्पिटल, लंदन में 2–5 जून 2025 तक आयोजित चार दिवसीय मैक्युला कोर्स में डॉ. मेहरा ने भाग लिया। वह इस कोर्स में शामिल होने वाले एकमात्र भारतीय थे। वे छत्तीसगढ़ के पहले नेत्र चिकित्सक हैं, जिन्हें मैक्युला रोग पर यह अंतरराष्ट्रीय कोर्स पूरा करने का गौरव प्राप्त हुआ। डॉ. मेहरा ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ और भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है। वहां हमें दुनियाभर के विशेषज्ञों से मैक्युला रोग और उसके इलाज की जटिलताओं के बारे में सीखा, जो अब प्रभावित मरीजों के लाभ के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।”
मूरफील्ड्स अस्पताल की खासियत
1805 में स्थापित यह विश्व का सबसे पुराना और बड़ा नेत्र अस्पताल है। इसे NHS फ़ाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है। यह नेत्र रोग विशेषज्ञों, ऑप्टोमेट्रिस्टों और नर्सों के लिए प्रशिक्षण का एक प्रमुख केंद्र है इसलिए यहां प्रशिक्षण लेना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
मैक्युला क्या है?
मैक्युला रेटिना का वह हिस्सा है, जो दृष्टि के केंद्र और बारीक विवरणों को पहचानने का काम करता है। इसमें दो मुख्य बीमारियाँ होती हैं. शुष्क मैक्युलर डिजनरेशन – 90% मामलों में होता है, जिससे रेटिन में पोषक तत्वों की कमी होने पर सूजन और पतन शुरू होता है। गीला मैक्युलर डिजनरेशन – 10% मामलों में होता है, जिसमें नए रक्त वाहिकाएं पैदा होने से जलन और दृष्टि दोष होता है। अगर समय रहते इसका इलाज न हो तो दृष्टि स्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है?
मधुमेह के कारण आंखों की रक्त नली प्रभावित हो जाती है, इसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। आज लगभग हर परिवार में किसी न किसी को किसी रूप में डायबिटीज या हाई ब्लडप्रेशर की समस्या है। इस बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से डॉक्टरी जांच, शुगर और बीपी मॉनिटरिंग जरूरी है। छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय जैसी संस्थाएं न केवल इलाज मुहैया कराती है, बल्कि जागरूकता फैलाने और नई तकनीकें लाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। यदि आप या आपका कोई प्रियजन आंख की आशंका महसूस करता है, तो बिना देरी के जांच जरूर कराएं, समय रहते इलाज से जीवन बदल सकता है।
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