रायपुर। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 2021 का बजट पेश किया. इस बजट को किसान नेताओं ने किसानों के लिए निराशाजनक बताया है. क्योंकि ऐसी कोई भी प्रावधान नहीं किए गए है, जो किसानों को राहत पहुंचाने वाले हो. किसानों को उम्मीद थी कि सरकार किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति और सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीदी की कानूनी गारंटी देते हुए बजट में प्रावधान किया जाएगा. लेकिन सरकार ने दोनों ही योजनाओं के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया है. बजट ने सरकार के किसानों की आय को दुगना करने के दावे की पोल खोल दी है.
किसान नेता डॉ. संकेत ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार ने फिर से एक बार झूठ बोला है कि देश में लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीदी की जा रही है. जबकि गेहूं और धान भी पूरे देश में समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जा रहा है. 23 फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की बात बहुत दूर है. सरकार ने आत्महत्या पीड़ित किसान परिवारों के लिए और ऐसे क्षेत्रों के लिए जहां सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं, उन किसानों के लिए भी कोई विशेष प्रावधान नहीं किया है. इसी तरह सरकार ने खेतिहर मजदूर को रोजगार गारंटी देने के लिए मनरेगा में कृषि क्षेत्र के बजट में कोई प्रावधान नहीं किया है.
किसान पारसनाथ साहू ने कहा कि सरकार ने किसानों को पेंशन देने और आठ करोड़ प्रवासी श्रमिकों को लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक साल के लिए 10 हजार रुपए प्रति माह सहायता राशि देने के लिए भी कोई प्रावधान नहीं किया है. सरकार ने किसानों के साथ बातचीत के दौरान बिजली बिल वापस लेने का आश्वासन दिया था, लेकिन बिजली क्षेत्र में निजीकरण के लिए पूरी तरह से रास्ता खोल दिया है. जिसके चलते बिजली महंगी हो जाएगी. जिससे किसानी में घाटा बढ़ेगा.