सुधीर साहू, रायपुर. छत्तीसगढ़ 1 नवंबर 2023 को अपना 24वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. 1 नवंबर 2000 के दिन ही छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई थी. विभिन्न संस्कृतियों का केंद्र रहा छत्तीसगढ़ आज भी अपने प्राचीन मंदिरों के लिए पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है. छत्तीसगढ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनियाभर में जाना जाता है.

हर वर्ष राज्य के स्थापना दिवस पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है. इस साल विधानसभा चुनाव के चलते कोई भी सरकार आयोजन नहीं हो रहा. हालांकि सभी सरकारी भवनों पर रोशनी की जाएगी. आइए छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर यहां के प्रमुख प्राचीन मंदिरों और पर्यटन स्थल के बारे में जानते हैं.

यहां के प्रमुख पर्यटक स्थल और प्राचीन मंदिर

चित्रकोट जलप्रपात

जगदलपुर जिले से करीब 39 किमी दूर इंद्रावती नदी पर चित्रकोट जलप्रपात है, जो हर किसी का मन मोह लेता है. देश विदेश से इस ख़ूबसूरत चित्रकोट को देखने के लिए लाखों पर्यटक आते हैं. इस जलप्रपात का मुख घोडे़ की नाल के समान है, इस वजह से इस जलप्रपात को भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है.

बम्लेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़

डोंगरगढ़ को छत्तीसगढ़ का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है. यह माता बम्लेश्वरी का प्रमुख धाम है. यहां माता रानी के दर्शन करने देशभर से हर साल लाखों लोग आते हैं. यह मंदिर लगभग 1,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां बड़ी बम्लेश्वरी और छोटी बमलेश्वरी का मंदिर है.

दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी माता मंदिर को 52वां शक्तिपीठ भी गिना जाता है. मान्यता है कि यहां देवी सती का दांत गिरा था. इसी पर इस इलाके का नाम दंतेवाड़ा पड़ा. मंदिर का निर्माण 14वीं सदी में चालुक्य राजाओं ने दक्षिण भारतीय वास्तुकला से बनावाया था.

त्रिवेणी संगम राजिम

राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है. महानदी, पैरी नदी तथा सोंढुर नदी का संगम होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहा जाता है. प्रतिवर्ष यहां पर माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक एक विशाल मेला लगता है. छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए यह स्थान आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां अस्थि विसर्जन भी किया जाता है. यहां राजीव लोचन भगवान का भी प्रसिद्ध मंदिर है.

भोरमदेव मंदिर कवर्धा

कवर्धा शहर में स्थित भोरमदेव मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है. भोरमदेव मंदिर में खजुराहो मंदिर की झलक दिखाई देती है, इसलिए इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है.

पुरखौती मुक्तांगन

पुरखौती मुक्तांगन नया रायपुर में स्थित एक पर्यटन केंद्र है. मुक्तांगन 200 एकड़ भूमि पर फैला एक तरह का खुला संग्रहालय है, जहां पुरखों की समृद्ध संस्कृति को संजोया गया है. यह परिसर बहुत ही सुंदर ढंग से हमें छतीसगढ़ की लोक संस्कृति से परिचित करता है. यहां वनवासी जीवन शैली और ग्राम्य जीवन के दर्शन भी होते हैं.

नंदनवन जंगल सफारी

रायपुर के दक्षिणी छोर पर खंडवा गांव के निकट ‘नंदनवन जंगल सफारी’ बनाया गया है. यह एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है. यह जंगल सफारी करीब 800 एकड़़ के क्षेत्र में 200 करोड़ रुपए की लागत से बना हुआ है.

ये हैं छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियां

छत्तीसगढ़ में बहुत सी प्रमुख नदिया हैं. महानदी को छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा कहा जाता है. शिवनाथ नदी महानदी की सहायक नदी है. इसके अतिरिक्त हसदेव नदी, अरपा नदी, रेणुका नदी, मनियारी नदी, इन्द्रावती भी राज्य की प्रमुख नदियां हैं.

छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति

छत्तीसगढ़ की संस्‍कृति, लोक संस्कृति और जनजातीय संस्कृति में साफ दिखाई देती है. इस राज्य के लोकनृत्य एवं जनजातीय नृत्य पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है. वहीं, अगर लोकगीतों की बात करें तो छत्तीसगढ़ में पंडवानी, भरथरी, ददरिया, बांस गीत प्रमुख हैं. यहां लोकनृत्यों में सुआ, राउत नाचा, करमा, ककसार, गौर नृत्य काफी खास हैं.