पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। ओडिसी परंपरा का प्रभाव ओडिशा से सटे छत्तीसगढ़ के जिलों में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पश्चिम ओडिसी की परंपरा के अनुसार, गरियाबंद में देवभोग के 150 से अधिक गांवों में नवाखाई पर्व वर्षों से धूमधाम से मनाया जाता रहा है। इस बार नवाखाई का मुहूर्त गुरुवार 28 अगस्त को पड़ रहा है, जिसे लेकर लोगो में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।

बता दें कि नवाखाई दो शब्दों नवा + खाई से मिलकर बना है जिसका अर्थ है नया खाना। गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाया जाने वाला यह त्योहार पश्चिमी ओडिशा का सबसे शुभ और महत्वपूर्ण सामाजिक त्योहार है। रिवाज के अनुसार यह पर्व अन्न और अन्नदाता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर होता है। इसमें परिवार के सभी सदस्य एकत्र होकर नए अनाज का भोग अपने इष्ट देव को अर्पित करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।

कपड़ों की बिक्री में बढ़ोतरी

पिछले पांच दिनों में देवभोग और आसपास के बाजारों में कपड़ों की खरीदारी में भारी रौनक देखी गई। दो दर्जन से अधिक छोटे-बड़े दुकानों में करीब 5 से 6 करोड़ रुपए के कपड़े बिक चुके हैं। नवाखाई के लिए महिलाओं ने विशेष रूप से सूरत के डोरा शिल्क और संबलपुरी साड़ियों की मांग अधिक दिखाई। जबकि अन्य इलाकों में कपड़े का बाजार सामान्य रहता है, नवाखाई मनाने वाले क्षेत्रों में ग्राहकों की भारी भीड़ लगी रही।

नए अनाज की बालियों की बिक्री

गौरतलब है कि पहले किसान सीधे अपने खेतों से धान की बालियां बाजार में लाते थे, लेकिन हाल के वर्षों में अगस्त में नए धान की बालियों की कमी रही। जिसके मद्देनजर इस बार ओडिसा के खेतों से बालियां लाकर देवभोग बाजार में बेची गई हैं। इन बालियों से चावल निकालकर चिवड़ा बनाया जाएगा, जिसे नवाखाई के दौरान इष्ट देव को अर्पित किया जाएगा।

देवभोग क्षेत्र के ग्रामीण नवाखाई के पर्व को नए कपड़े और नए अनाज के साथ मनाने की तैयारियों में व्यस्त हैं, जिससे बाजारों में उत्साह और रौनक का माहौल देखा जा सकता है।

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