अभिषेक मिश्रा, धमतरी. साल 2009 में हुए किसान आंदोलन के 14 साल बाद भूपेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इस हिंसक आंदोलन में पीड़ित 34 किसानों को 5-5 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया गया है. इन 34 किसानों में से 9 किसान अब इस दुनिया में नहीं हैं. उन किसानों के परिवार को मुआवजे की रकम दी जाएगी.
सरकार के इस फैसले का किसानों ने स्वागत किया है. लेकिन साथ ही ये मांग भी रखी है कि उस समय जिन पुलिस वालों ने किसानों पर बर्बरता की थी उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. इधर कांग्रेस पार्टी ने सरकार के इस फैसले को सरकार की किसानों के प्रति संवेदनशीलता बताया है.
बता दें कि धान पर बोनस सहित कई मांगो को लेकर नवंबर 2009 में किसानों ने धमतरी के सिहावा चौक पर चक्काजाम किया था. लेकिन देखते ही देखते ये आंदोलन हिंसक हो गया. इसमें पुलिस और किसानों के बीच बवाल हुआ था. दोनों ओर लोग जख्मी हुए थे. आंदोलन में कई सरकारी और निजी वाहन जला दिए गए थे. आंदोलनकारियों के पथराव और हमले में पुलिस के कई अधिकारी और सिपाही घायल हुए थे. इसे रोकने के लिए आसपास के जिलों से भारी पुलिस बल बुलाना पड़ा. इतना ही नहीं रायपुर एसपी को धमतरी आकर कमान संभालनी पड़ी थी.
पर्याप्त बल मिलने के बाद पुलिस ने उपद्रवियों पर सख्ती से बल प्रयोग किया था. तब जाकर दंगा रुक सका था. पुलिस ने दंगा फसाद, बलवा, मारपीट और लूट के मामले दर्ज किए थे. जिसमें बड़ी संख्या में किसानों को जेल जाना पड़ा और मुकदमे का सामना करना पड़ा था.