रायपुर। जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ में करोना का विस्तार हो रहा है. इसे लेकर सावधानियां बरतनी चाहिए. छत्तीसगढ़ की सरकार ने प्रदेश की जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. जिस कारण लगातार कोरोना में वृद्धि हो रही है. टेस्टिंग की रिपोर्ट एक-दो दिन में मिलने के बजाए 8 से 11 दिन में मिल रही है. इतने में तो पूरे परिवार संक्रमित हो जा रहे हैं और टेस्टिंग होने के बाद यदि कोई पॉजिटिव हो गए और उसे अस्पताल में भर्ती करने के लिए एंबुलेंस भी बुलाया जाए, तो तीन और चार दिन में भेजी जाती है. समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने की वजह से मृत्यु दर बढ़ी है. अस्पताल में अव्यवस्था का आलम यह है कि आयुष अस्पताल में आज पानी की समस्या को लेकर पॉजिटिव मरीजों ने हड़ताल किया. कई जगह खाने की व्यवस्था को लेकर लोगों में नाराजगी जताई है. कोविड सेंटर जो बनाए गए है वास्तविक में वो क्वारंटाइन सेंटर है. अस्पताल व कुछ जगह की व्यवस्था ठीक है. मशीन की व्यवस्था होनी चाहिए. सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में बेड फुल हैं. आखिर मरीज जाए तो जाएगा जाए कहां. सोचने की जरूरत है कि व्यवस्था में कैसे सुधार हो सके. यह बातें नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कही है.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आगे कहा कि कोरोना लेकर छत्तीसगढ़ का हाल बेहाल है. लगातार संख्या बढ़ती जा रही है. भयावह स्थिति सामने दिखाई दे रही है. 31 जुलाई की हम बात करेंगे तो 9,192 संक्रमित हुए थे. 54 लोगों की मौत हुई थी. हाल ही में एक्टिव केस की बात करें तो 31,002 है. कहने को तो हिंदुस्तान में आठवें नंबर पर है. लेकिन यदि प्रतिशत में जाएंगे तो 52.9% है. मतलब हिंदुस्तान में सबसे ऊपर हम एक्टिव केस में है. इसके साथ ही हम रिकवरी में जाएंगे, तो जहां पर हिंदुस्तान का रिकवरी रेट 77% है. वहीं पर छत्तीसगढ़ का रिकवरी रेट 46% है और 35 नंबर पर हिंदुस्तान में है, जो सबसे पीछे हैं. अभी तक टेस्टिंग हुई है उसमें हिंदुस्तान में हमारा 20 वां स्थान है. पहले मृत्यु नहीं हो रही थी सिर्फ संख्या बढ़ती जा रही थी.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 50 लाख लोगों का बीमा कराया गया हैं. लेकिन यदि छत्तीसगढ़ में पूछे तो गोलमोल जवाब देते हैं. आखिर लोगों का मनोबल कैसे बढ़े. चिकित्सा और नर्सिंग स्टाफ के संक्रमित होने से उनकी संख्या कम होती जा रही है. पेशेंट की संख्या बढ़ती जा रही है. स्वास्थ्य विभाग को वित्त द्वारा 5 हजार पदों पर भर्ती की स्वीकृति दी गई है. तत्काल उन पदों पर भर्ती होनी चाहिए और जूनियर डॉक्टर को 5 महिने का वेतन नहीं मिला है, वो उन्हे देना चाहिए. दुर्ग के 5 डॉक्टरों ने आज इस्तीफे की पेशकश की है. उसका कारण निराशा का भाव, वे अंडर प्रेशर काम कर रहे है. मानव संसाधन बढ़ाने और इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. कोविड सेंटर में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए. इन सारी बातों को ध्यान रखेंगे, तो ही कोरोना कंट्रोल होगा. नहीं तो आने वाले समय और अनियंत्रित हो जाएगा.