फीचर स्टोरी। आज के छत्तीसगढ़ ह अतीत म महाकोसल, दक्छिन कोसल, दंडकारन के नाँव ले जाने जात रहिस. अउ इही छत्तीसगढ़ ल माने जाथे माता कउसलिया के भुइँया. राजा भानुमंत के परदेस. भगवान राम के ममा गाँव. येखर पुरातात्विक ठोस परमान भले अभी नइ आय हे, फेर बेद, पुरान, गीता, साहित्य अउ इतिहास म कतको जगह अइसे जानकारी मिलथे कि माता कउसलिया के जनम भुइँया छत्तीसगढ़ ही हरय. इहू म ये जानकारी घलोक मिलथे कि रइपुर तिर के चंदखुरी गाँव म ही कउसलिया दाई ह जनम ले रहिन. राजा भानुमंत के राजधानी चंदखुरी गाँव रहिस. ये सब मान्यता ल बल चंदखुरी म माता कउसलिया के मंदिर होय ले मिलथे. दुनिया म कोनो भी अइसे जगह के जानकारी नइ मिलय जिहाँ दाई कउसलिया के मंदिर होवय. इही पाय के मुख्यमंतरी भूपेश बघेल ह एक बड़का बूता करत हे के दुनिया भर के लोगन छत्तीसगढ़ म स्थापित माता कउसलिया के मंदिर ल जानय, देखय अउ मानय.

दाई के देवाला बनथ हे बिराट

भूपेश सरकार चंदखुरी म बिराजे माता कउसलिया के छोटे मंदिर ल एक बिराट मंदिर के रूप देय बर लग हे. ये कड़ी म चंदखुरी गाँव ल एक बड़का धारमिक पर्यटन स्थल बनाय के काम सुरू हो चुके हे. छत्तीसगढ़ के जुन्ना इतिहास, संस्कृति अउ परंपरा ल लोगन के आगू लाय के काम सुरू हो चुके हे. ये दिसा म एक बड़का काम सरकार इहू करत हे कि छत्तीसगढ़ म भगवान राम ह अपन बनवास काल म जेन-जेन इलाका ले गुजरे, जिहाँ-जिहाँ रुके हे, वो सब जगह विकसित करे जाय. वइसे इहू काम के सुरवात हो चुके हे.


उत्तर ले दक्छिन के मिलन

भूपेश सरकार उत्तर छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला म सीतामढ़ी ले लेके दक्छिन बस्तर के सुकमा जिला म रामराम तक कुल 75 जगह के चिन्हारी करे हे. ये सबो जगह ल उन इलाका के रहवासी के संस्कृति अउ परंपरा अनुसार विकसित करे जाही. ये दिसा म पहिली चरन म माता कउसलिया के जनम भुइँया चंदखुरी के संग कुल 9 जगह ल विकसित करे जाही. धीरे-धीरे दूसर-तीसर चरन म बाकी सब जगह विकास होही.

माता के घर सुग्घर दू बछर

इही कड़ी म 17 दिसंबर के भूपेश सरकार ह अपन दू बछर पूरा होय के खुसी माता कउसलिया के धाम चंदखुरी म एक उत्सव के रूप म मनाइस. ये मउका म 14 दिसंबर ले कोरिया अउ सुकमा ले निकले राम यातरा के समापन घलोक चंदखुरी म होइस. ये बेरा म मुख्यमंतरी भूपेश बघेल चंदखुरी गाँव के मानस मंडली के सदस्य मन ल सम्मानित घलोक करिन. संगे-संग जतका झन पहुना ये आयोजन म आय रहिन उन सब ल रामचरित मानस भेंट करिन.

हमर राम राजनीति नइ संस्कृति के परतीक

ये मउका म जनता ल संबोधित करत हुए भूपेश बघेल कहिन- “हमर मन के जेन राम हे, वो राम कोनो राजनीति के नइ छत्तीसगढ़ के संस्कृति के राम हरय. छत्तीसगढ़ ह भगवान राम के ममा गाँव हरय. हम सब राम ल भाँचा मानथन. या ये भी कइ सकत हव के भाँचा ल हमन राम सहि पूजथन.”

उँखर राम सुवारथ के

मुख्यमंतरी ह राम के नाँव म राजनीति करइया मन ऊपर निसाना साधत हुए कहिन- “कुछ लोगन राम के नाँव ठीक वइसनेहे लेथे, जइसे कालनेमि ह लेवत रहिस. उमन राम के नाँव सिरिफ सुवारथ बर लेथे. उमन राम नाम के चंदा वसूले बर, वोट के राजनीति करे बर लेथे. उँखर मन के राम भक्ति दिखावा के हे, छलावा के हे.”

राम के तो बड़का भक्त महात्मा गांधी रहिन

मुख्यमंतरी इहू कहिन- “राम के तो सबले बड़े भक्त हमर नेता महात्मा गांधी रहिन. अंतिम बेरा घलोक उँखर मुख ले राम के नाम ही निकलिस. हमन राम के सिरिफ नाँव ही नइ लेवन, राम के दिखाय रद्दा म चलथन घलोक, उँखर ले मिले संस्कार ल जीथन घलोक. छत्तीसगढ़िया मन बर राम दाई कउसलिया के राम हे, दाई सबरी के राम हे, निसाद राज के राम हे, बनवासी राम हे. हमर इहाँ तो एक अइसे समुदाय जिखर अंतर मन के संगे-संग पूरा तन-बदन राम के नाम गुदाय हे. अइसन राम भक्ति वाला हमर छत्तीसगढ़ हरय.”

माता कउसलिया अउ राम वाला चरित

मुख्यमंतरी कहिन- “माता कउसलिया छत्तीसगढ़ के बेटी हरय. येखर परमान छत्तीसगढ़िया मन के सुभाव ले पता चलथे. माता के जेन चरित रहे हे, वइसनेहे चरित राम म मिलथे अउ राम के सुभाव कस सहज-सरल लोगन छत्तीसगढ़िया मन के हे.  भगवान राम हमन ल सीखाथे दुख-सुख म कइसे समभाव ले रहे जाथे. राम हमर बर सहनसीलता के बड़का उदाहरन हरय. छत्तीसगढ़ म घलोक सहनसीलता के भाव अड़बड़ रहिथे.”

धान के कटोरा वाला राम

मुख्यमंतरी इहू कहिन- “छत्तीसगढ़ के एक समय तक भिलाई स्टील प्लांट अउ नक्सलवाद बर जाने जात रहि. फेर आज हमर पहिचान छत्तीसगढ़ के संस्कृति, कला, परंपरा बर जाने जाथ हे. आज हमर धान के कटोरा वाला चिन्हारी ह फेर लहुटत हे. आज देस भर म राज के किसान, धान अउ दाम के चरचा हे. हम अपन इही चिन्हारी ल दुनिया भर बगराय के काम करत हन. येमा बड़का काम हम राम वनगमन पथ ल विकसित करे करत हन.”

संत-महात्मा मन के भुइँया

उन इहू कहिन- “भगवान राम तो हमर तीज-तिहार म हे, हमर जिनगी के हर पड़ाव म हे. कोनो ले भेंट मुलाकात होथे तभो राम कहिथन. कोनो के जनम होथे तभो राम, कोनो के मरन होथे तभो राम. छत्तीसगढ़ के पग-पग राम ह बसे हे. छत्तीसगढ़ संत-महात्मा, रिसी-मुनि-गियानी मन के धरती हरय. इहाँ सप्त रिसी वाला सिहावा पहाड़ हे, इहाँ लोमस, बाल्मिकी रिसी के आसरम हे. लव-कुस के घलोक जनम स्थली इही छत्तीसगढ़ ल माने जाथे. राम जब माता सीता ल तियागिन त इही भुइँया म जानकी जी बाल्मिकी रिसी के आसरम आइस.”

छत्तीसगढ़ के भुइँया म संत कबीर के परभाव हे, संत गुरु घासीदास के परभाव हे, बौद्ध गुरु मन के परभाव हे. हमर नालंदा के बाद सबले बड़का बौद्ध तीरथ सिरपुर म हे. हमर भुइँया ऐतिसाहिक, पुरातात्विक महत्व के. संस्कृति संपन्न अइसन छत्तीसगढ़ ल अपन पुरखा मन के सपना के अधार म गढ़े बर लगे हन.

हम गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारा दे हन. ये नारा ल सकार के दिसा ये बड़का काम हमर राम वनगमन पथ हे. राम वगनपथ के विकास बर 137 करोड़ रुपिया हम खरचा करथ हन. पहिली चरन म 9 स्थान के विकास करबो. फेर धीरे-धीरे बाकी स्थान म विकसित करत जाबो. ये सब सुवारत कोनो राजनीतिक हित बर नइ, बल्कि छत्तीसगढ़ के बड़ जुन्ना, संस्कृति, परंपरा ल दुनिया के आगू लाय बर करत हन. ये बूता म पूरा छत्तीसगढ़ हमर संग हे. अइसन कुछ हमर मन के मन हे, छत्तीसगढ़िया रंग और भाँचा राम के संग हे.