रायपुर। नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के ख़िलाफ़ सरकार विधानसभा में शासकीय संकल्प लेकर आई, जिसमें विनिवेश की स्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार नगरनार इस्पात संयंत्र खरीदेगी. वहीं विपक्ष का साथ मांगने पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस मुद्दे पर दिल्ली में जाकर बात करने की बात कही. इसके साथ ही सदन में शासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित हुआ.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार की कमेटी ने नगरनार इस्पात संयंत्र के विनिवेश को मंज़ूरी दी थी. 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था कि यदि विनिवेश किया गया तो नक्सलवाद को क़ाबू करना मुश्किल हो जाएगा. अभी 2020 में ही डीमर्जर का फ़ैसला लेते हुए तय किया गया है कि सितम्बर 2021 के पहले कर लेना है.
उन्होंने कहा कि आदिवासियों ने सार्वजनिक उपक्रम के लिए अपनी ज़मीने दी हैं. केंद्र के विधि सलाहकर ने भी कहा है कि नगरनार संयंत्र को नहीं बेचा जाए. परिसम्पत्तियों को बेचने का काम केंद्र सरकार कर रही है. ओएनजीसी क्या घाटे में चल रहा है? शिव रतन शर्मा कह रहे थे एमटीएनएल का निजीकरण किया, मैने पहले भी कहा था, ये लोग गोएबलस से प्रभावित लोग हैं. एमटीएनएल का विनिवेश हुआ ही नहीं. ये मोदी सरकार ने ही बताया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि टाटा प्लांट से जमीन लेकर हमने किसानों को लौटाई है. आज वहाँ के आदिवासी किसान सारे लाभ उठा रहे हैं. बीते दो सालों में हम बस्तर के आदिवासियों का विश्वास जीतने का काम कर रहे हैं, चाहे जमीन लौटाने की बात हो, चाहे तेंदूपत्ता बोनस देने की बात हो, चाहे नौकरी देने की बात हो. यही वजह है कि बस्तर में नक्सली पॉकेट में सिमट गए हैं. ये लोग बोल नहीं पा रहे हैं कि ये बस्तर के आदिवासियों के साथ हैं या केंद्र सरकार के साथ. नगरनार इस्पात संयंत्र छत्तीसगढ़ सरकार ख़रीदेगी.
मुख्यमंत्री ने विपक्षी सदस्यों ने कहा, बीजेपी की ओर से यह प्रस्ताव आया है कि जैसे बाल्को के वक़्त अजीत जोगी ने ख़रीदी का प्रस्ताव दिया था, हम भी विपक्षी सदस्यों के इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं. छत्तीसगढ़ नगरनार इस्पात संयंत्र ख़रीदने का प्रस्ताव रखती है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि, हम दिल्ली जाकर इस संबंध में बात करेंगे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विनिवेश के हालात में छत्तीसगढ़ सरकार नगरनार इस्पात संयंत्र चलाएगी, इसे निजी हाथों में जाने नहीं दिया जाएगा.
संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में यह संयंत्र अभी शुरू भी नहीं हुआ है, और केंद्र सरकार ने इसके विनिवेश को मंज़ूरी दी है. बस्तर के बैलाडीला का बड़ा हिस्सा आयरन ओर से भरा है, यहाँ से आयरन ओर का उत्खनन होता है, जिससे देश के कई उद्योग चलते हैं. बस्तर समेत पूरा छत्तीसगढ़ चाहता था कि स्थानीय स्तर पर संयंत्र लगे जिसका फ़ायदा राज्य के लोगों को मिले. एनएमडीसी ने नगरनार में बीस हजार करोड़ रुपए का संयंत्र लगाया तब उम्मीद थी कि राज्य को इसका फ़ायदा होगा लेकिन केंद्र सरकार ने किन उद्देश्यों के लिए इसका विनिवेश किया ये समझ के परे हैं.
रविंद्र चौबे ने कहा कि सरकार ने उदारता के साथ ज़मीन का अधिग्रहण किया था. बस्तर के लोगों में भी उम्मीद के साथ लाल आतंक वाले इलाक़े में इसकी सहमति दी थी. लोगों ने पब्लिक सेक्टर के संयंत्र के लिए इसकी मंज़ूरी दी थी. उद्योग के लिए 610 हेक्टेयर ज़मीन का अधिग्रहण किया गया था, इसमें से केवल क़रीब सौ हेक्टेयर ज़मीन का ही हस्तांतरण एनएमडीसी को किया गया है शेष ज़मीन अब भी राज्य सरकार के अधीन है. पब्लिक सेक्टर के लिए नगरनार संयंत्र को तमाम तरह की मंज़ूरी दी गई थी न कि निजी सेक्टर के उद्योग के लिए ये अनुमति दी गई.
उन्होंने कहा कि ये इलाक़ा पेसा क़ानून प्रभावित इलाक़ा है. स्थानीय आदिवासी यदि इस निजीकरण का विरोध करेंगे तो हमारे लिए भी मुमकिन नहीं हो पाएगा. बस्तर में समानांतर सरकार चल रही है. बावजूद इसके स्थानीय स्तर युवाओं को बेहतर की उम्मीद है. आज यदि सार्वजनिक क्षेत्र के कारख़ाने को निजी हाथों में दे दिया गया तो हमें चरमपंथियों से लड़ना होगा. हम वहाँ की श्रम संपदा को सीधे रोज़गार से जोड़ना चाहते हैं. यहाँ के लोगों को फ़ायदा मिल जाता. निजीकरण को रोकना बस्तर की नैसर्गिक वातावरण को बचाने के लिए बेहद ज़रूरी है. बस्तर का जनजीवन बेहद आंदोलित है. यदि उनका सपना टूटा तो केंद्र सरकार के लिए भी निपटना आसान नहीं होगा.
बालको का निजीकरण लोगों ने देखा है, जिसका फ़ायदा छत्तीसगढ़ को कभी नहीं हुआ.
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि विनिवेश की सूची में नगरनार संयंत्र दिखता है. सरकार बनी तब उत्साह से लबरेज आपके स्वर हमने सुने थे. आपने कहा था कि बस्तर को औद्योगीकरण से बचाया, तब क्या टाटा प्लांट के हिस्से ज़मीन चढ़ गई थी? विज्ञापन में छपा कि टाटा से ज़मीन लेकर आदिवासियों को लौटाया. यह पूछना पड़ेगा कि ज़मीन किसानों की मिल्कियत में चढ़ी है या नहीं? नरसिम्हा राव की मृत्यु के 16 साल बाद पार्टी ने श्रद्धांजलि दी है, लेकिन चंद्रशेखर सरकार के दौरान पचास टन सोना गिरवी रखना पड़ा था.
चंद्राकर ने कहा कि इस विनिवेश की नीति को कांग्रेस ने जन्म दिया है. मैं ऐसे दस परियोजनाओं को गिना दूँगा. अटल जी की सरकार के बहुत पहले ये बुनियाद कांग्रेस ने डाली. औद्योगिकीकरण के लिए बस्तर में अभी सरकार ने कई एमओयू हुए, लेकिन ज़मीन सिर्फ़ एक कम्पनी को दी है. निजी सेक्टर के उद्योग लगाने सरकारों में मुक़ाबला चल रहा है. नगरनार इस्पात संयंत्र को रोकने हमने अपनी सरकार के दौरान भी केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. बाल्को के विनिवेश के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने यह प्रस्ताव रखा था कि बाल्को का शेयर छत्तीसगढ़ सरकार खरीदेगी.
उन्होंने कहा कि आज यह भविष्य के गर्त में है कि नगरनार को लेकर क्या होगा, लेकिन जब भी फ़ैसला होगा राज्य सरकार ये साहस दिखाए कि छत्तीसगढ़ सरकार नगरनार इस्पात संयंत्र चलाएगी. वहीं रविंद्र चौबे की टिप्पणी पर कहा कि एक मंत्री की भाषा ऐसी नहीं होनी चाहिए कि यदि निजीकरण हुआ तो बस्तर में गड़बड़ी हो जाएगी. आंदोलन हो जाएगा. केंद्र को भी निपटना कठिन होगा.
कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि बस्तर के युवाओं का सपना था कि वहाँ नगरनार इस्पात संयंत्र बनेगा. यह सपना आज समाप्त हो रहा है. संयंत्र लगने के पहले इसे बेचने की तैयारी की जा रही है. यह सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है, इसमें केंद्र सरकार का एक भी पैसा नहीं लगा है. मोदी सरकार चाय बेचते हुए देश बेचने में लगे हुए हैं. पेट्रोलियम कम्पनी बेच रहे हैं, एलआईसी बेचने में लगे हैं. ये कम्पनियाँ नेहरू, इंदिरा ने बनाई हैं. नगरनार इस्पात संयंत्र में एनएमडीसी क़रीब सत्रह हज़ार करोड़ रुपए का निवेश कर चुका है.
मरकाम ने कहा कि केंद्र के मंत्री प्रकाश जावडेकर ने अपने बयान में कहा है कि नगरनार ने पहले एनएमडीसी को अलग किया जाएगा फिर उसका विनिवेश होगा. केंद्र अपना शेयर वापस ले लेगी. डीमर्जर के इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की दी गई मंज़ूरी से बस्तर के लाखों आदिवासियों की उम्मीदों पर गहरा धक्का लगा है. छत्तीसगढ़ इस बात से उत्साहित था कि राज्य के संसाधन से राज्य के लोगों का विकास होगा. लेकिन केंद्र की नियत से साफ़ ज़ाहिर है कि चंद उद्योगपतियों को देना चाहती है. ज़मीन देते वक्त किसानों ने एनएमडीसी पर विश्वास किया था.
शिवरतन शर्मा ने कहा कि विनिवेश की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के ज़रिए हुई. जब रमन सिंह मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था, अभी के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पत्र लिखा है. जब इसकी कार्ययोजना बनी तब 12 हज़ार 450 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. एमटीएनएल मनमोहन सरकार के वक़्त बिका था, विदेश संचार निगम बेचा गया. मनमोहन सरकार के वक़्त लक्ष्य रखा जाता था कि पचास से साठ हज़ार करोड़ रुपए अपने लिए रखना है. जैसा प्रस्ताव अजीत जोगी लेकर आए थे, वैसा प्रस्ताव लेकर आइए. तब इसके संचालन की नीति राज्य सरकार अपने हिसाब से बनाएगी. हम सर्व सम्मति से सदन में इसका समर्थन करेंगे. राजनीति करने प्रस्ताव लाना उचित नहीं है.
बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि बस्तर में उद्योग लाने के लिए सरकार नीतियाँ बना रही है. उद्योगों को छूट दिए जाने का वादा कर रही है. तो फिर निजीकरण का विरोध क्यों किया जा रहा है? छत्तीसगढ़ में जब कोल ब्लाकों का आक्शन हो रहा था केंद्र के मंत्री यहाँ आए. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुछ ब्लॉक को लेकर आपत्ति जताई तत्काल उन ब्लॉक को निरस्त किया गया. बातचीत से सारे रास्ते बन सकते हैं. सरकार एक कम्पनी बना ले. बीड में शामिल होकर केंद्र सरकार से अनुरोध कर ले. प्लांट प्रोफ़िट में चलेगा यह पता है तो अनुरोध कर इसे राज्य सरकार चला ले.
जेसीसी विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि बाल्को की घटना याद है. अरुण शौरी मंत्री थे. तब मैंने एक बयान दिया था कि बाल्को का निजीकरण ग़लत है, लेकिन यह हुआ. निजीकरण का हम विरोध नहीं कर रहे, लेकिन किसी दूसरी जगह करें. ये बस्तर है बस्तर. तालाब खुदा नहीं मगरमच्छ पहले आ गए हैं. जैसे भिलाई स्टील प्लांट पर हम गर्व करते हैं, वैसे ही नगरनार प्लांट पर हमें गर्व होता. बस्तर और कश्मीर में बहुत सी समानताएं हैं. वहाँ आतंकवादी आते हैं, यहाँ हमारे ही नौजवान खून की नदियाँ बहते हैं. बस्तर खूबसूरत है, हालात सामान्य होते तो देश का सबसे बड़ा चित्रकूट वाटरफाल देखने देशभर से लोग आते. नगरनार का बेचना मतलब बस्तर के गरीब आदिवासियों के भविष्य को तस्तरी में नक्सलियों के सामने रखना है.
धर्मजीत सिंह ने कहा कि बस्तर के लोगों का दिल जितना ज़रूरी है. इस प्रक्रिया में नगरनार संयंत्र पहला काम था. मुख्यमंत्री जी से मैं आग्रह करता हूँ कि वह खुद प्रधानमंत्री से मिले, गृहमंत्री से मिलें. बस्तर का ट्रेंड है कि वहाँ काम करने वाले ठेकेदार नक्सलियों को लेवी देते हैं. प्राइवेट सेक्टर के लोग लाइसनर रखते हैं. ये कारख़ाना तो बिकने नहीं दिया जाएगा. छत्तीसगढ़ की जनता मुख्यमंत्री के साथ है. रोज़गार से ही बस्तर शांत होगा. ये विनिवेश नहीं होना चाहिए. बस्तर संवेदनशील क्षेत्र है. तलवार की धार पर चल रहा है बस्तर. केंद्र को जहां विनिवेश करना है वहाँ करे. रेल का कर ले, पोर्ट का कर ले लेकिन बस्तर को छोड़ दें.
कांग्रेस विधायक राजमन बेंजामिन ने कहा कि नगरनार इस्पात संयंत्र के लिए आदिवासियों ने अपनी ज़मीन दी है, यदि वहाँ विनिवेश हुआ तो बस्तर में एक और भूमकाल आंदोलन होगा. बस्तर का आदिवासी अपने हक़ की लड़ाई लड़ेगा.