रायपुर। पांचवीं अनुसूची में आने वाले ग्राम पंचायतों को नगरीय निकाय बनाए जाने पर आदिवासियों का दर्द राज्यपाल अनुसुईया उइके समक्ष छलका. राज्यपाल अनुसुईया उइके ने भी पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के गांवों को नगरीय निकाय बनाने के अवैधानिक करार देते हुए इस पर पूर्व की सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को गलत ठहराया है. उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा होने की बात कही.

पांचवीं अनुसूची में शामिल ग्राम पंचायतों को नगरीय निकाय बनाए जाने का मुद्दा आदिवासियों को सालों से साल रहा है. इस पर समय-समय पर अपनी मांग सरकार के नुमाइंदों के साथ-साथ राज्यपाल के सामने उठाते रहे हैं. इसी कड़ी में बुधवार को एक बार फिर बस्तर क्षेत्र के आदिवासी महिला-पुरुष राजभवन पहुंचे थे. आदिवासियों ने अपनी पीड़ा बताते हुए बस्तर को नगर पंचायत से वापस ग्राम पंचायत बनाने की मांग की है. राज्यपाल उइके ने आदिवासियों की मांगों का समर्थन करते हुए उन्हें उनका हक दिलाने का भरोसा दिया.

राज्यपाल उईके ने कहा कि कहां-कहां पर गड़बड़ी हुई है, सबका परीक्षण करा रही हूं. मैं कानूनी सलाह भी ले रही हूं. आप लोगों की मांगों को लेकर मैंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है. टाईगर रिजर्व क्षेत्र में विस्थापन हो रहा है. वन विभाग के अधिकारी डांट-फटकार के बेदखल कर देते हैं. उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. उन्होंने आदिवासियों को सांत्वना देते हुए कहा कि वे उन्हें निराश नहीं जाने देना चाहती थी, इसलिए राजभवन बुलाया गया है.

राज्यपाल ने कहा कि 80 ग्राम पंचायत को तोड़कर कुल 34 नगर पंचायत बनाए गए हैं. इस पर मुख्यमंत्री और प्रशासन को पत्र लिखा है, पांचवी अनुसूची में जो अधिकार मिला है वो जाने नहीं दिया जाएगा.

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि मेसा कानून पर चर्चा हुई है. 2001 के बाद वह बिल पास नहीं हुआ. पीएम से भी चर्चा इस पर हुई है. मंत्रालय में चर्चा जारी है. मेसा कानून लागू होते ही पेशा कानून के नियमों का लाभ आदिवासियों को मिलेगा. आदिवासियों को आश्वस्त करते हुए उन्होंने कहा कि खत्म हुए अधिकार को वापस दिलाया जाएगा. केंद्र या राज्य सरकार ऐसा कोई कानून लाती है तो लागू नहीं किया जाएगा.