कांकेर। जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र अंजाड़ी गांव के ग्रामीणों की नाला में पुल निर्माण की मांग अनदेखी कर दी गई है. इससे निराश होकर ग्रामीणों ने अपने आवागमन के लिए एक काम चलाऊ पुलिया निर्माण किया था. जो इस बारिश में बह गया. हर साल बरसात के ठीक पहले आदिवासी यहां लकड़ी से पुलिया का निर्माण करते हैं. अब जब नाले से पुल बह गया है, ऐसे में ग्रामीणों का जीवन मुश्किल में है. क्योंकि अंजाड़ी गांव के आसपास के ग्रामीणों का इलाका टापू बन जाएगा. गांववालों ने पिछले कई वर्षों से शासन प्रशासन को अवगत कराया गया. फिर भी उनकी मांगो को नजरअंदाज किया गया.

प्रदेश बनने के बाद भी अभी तक नहीं पहुंचा विकास

हर साल स्थाई पुलिया नहीं होने की वजह से गांव वालों को अस्थाई पुल का निर्माण करना पड़ता है. इसमें लकड़ी काटने से लेकर कई तरह की भारी मेहनत उन्हें करनी पड़ती है. उसके बाद भी प्रकृति के आगे गांववाले बेबस हो जाते हैं. छत्तीसगढ़ को बने 23 साल हो गया लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में विकास नहीं पहुंची है.

अंजाड़ी नाला को पार कर लगभग 15-20 गांव के ग्रामीण पखांजुर मुख्यालय में जाते है. पखांजुर से महज 13 किमी दूर अंजाड़ी में पुल ना होने से ग्रामीणों को जान जोखिम में डाल कर पखांजुर तक पहुंचकर अपनी दैनिक जरुरतों की सामान लाते हैं. नदी में पानी भर जाने से बीमार व्यक्ति को सही समय पे हॉस्पिटल न पहुंच पाने से कई लोगोंकी मौत भी हो चुकी हैं, बच्चे स्कूल जा नहीं पाते और नदी भर जाने से अंजाड़ी गांव के स्कूल में शिक्षक नहीं आते. जिसके कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में हैं, सरकार से मिलने वाला सार्वजनिक राशन भी राशन दुकान से लाना मुश्किल हो गया है. इसी तरह यहां के आदिवासियों को कई समस्याओं से गुजारना पड़ता है. बहरहाल, आदिवासियों की मेनहत का पुल नाले में बह चुका है और अब कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं.

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