वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। पुलिस हिरासत में मौत के एक संवेदनशील मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए तीखी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत केवल कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि यह लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर गहरा आघात है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो यह समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा होता है।

बता दें कि यह मामला साल 2016 का है। जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम नरियरा निवासी सतीश नोरगे को पुलिस ने शराब के नशे में हंगामा करने के आरोप में मुलमुला थाना क्षेत्र से हिरासत में लिया था। लेकिन कुछ ही समय बाद उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उसके शरीर पर कुल 26 गंभीर चोटों के निशान थे, जिससे पुलिस की पिटाई की आशंका स्पष्ट हो गई।

इस मामले में जांच के बाद थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह राजपूत, आरक्षक सुनील ध्रुव, दिलहरण मिरी और सैनिक राजेश कुमार के खिलाफ धारा 302 (हत्या) और 34 (साझा आपराधिक मंशा) के तहत केस दर्ज किया गया था। निचली अदालत ने वर्ष 2019 में इन चारों पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, इस सजा के खिलाफ दोषियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। दूसरी ओर, मृतक सतीश नोरगे की पत्नी ने भी अदालत में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करते हुए इस सजा को चुनौती दी और अधिक कठोर सजा की मांग की।

मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी की युगल पीठ में हुई। कोर्ट ने गहन विचार के बाद कहा कि यह हत्या पूर्व नियोजित नहीं थी, इसलिए इसे धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) भाग-1 के तहत माना गया। अदालत ने यह भी माना कि पुलिसकर्मियों को यह आभास था कि लगातार शारीरिक प्रताड़ना से जान भी जा सकती है, इसके बावजूद उन्होंने मारपीट की।

आजीवन से 10 वर्ष के कठोर कारावास में बदली गई सजा

इस आधार पर हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा घटाकर 10 वर्ष के कठोर कारावास में बदल दी। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि आरोपी जानते थे कि मृतक अनुसूचित जाति (SC) से था। इस कारण अदालत ने SC/ST एक्ट की धाराएं हटाते हुए थाना प्रभारी को इस विशेष आरोप से बरी कर दिया।

यह फैसला न केवल पुलिस विभाग के लिए चेतावनी है, बल्कि पूरे सिस्टम को यह याद दिलाने वाला है कि कानून के रखवालों की जिम्मेदारी सबसे बड़ी होती है। यदि वे ही अपनी सीमाएं लांघेंगे, तो समाज का भरोसा सबसे पहले उन्हीं पर से उठेगा।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H