रायपुर। छत्तीसगढ के पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह द्वारा उसके विरूद्ध राज्य शासन द्वारा एसआईटी गठित कर ईओडब्ल्यू से कराई जा रही जांच के विरूद्ध हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर किया गया था। हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई उपरांत दिनांक 21.5. 2020 को अमन सिंह की याचिका को खारिज करते हुए बड़ा झटका दिया है।

ज्ञात हो कि अमन सिंह के विरूद्ध दिल्ली निवासी विजया मिश्रा ने आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत की थी कि आरईएस से वीआरएस लेने के उपरांत, तत्कालीन सरकार द्वारा अमन सिंह को संविदा नियुक्ति दी गई थी तथा संविदा नियुक्ति हेतु अमन सिंह ने कर्नाटक में पदस्थापना के दौरान उसके विरूद्ध भ्रष्टाचार की जांच होने व उसके विरूद्ध चार्जशीट जारी होने के तथ्य को छिपाया था।

पीएमओ द्वारा विजया मिश्रा की शिकायत जांच एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु राज्य शासन को भेजे जाने पर, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जांच के लिये एसआईटी गठित किया गया। अमन सिंह द्वारा पूर्व जांच में आरोप निराधार पाये जाने का हवाला देते हुए, पुनः जांच के लिये एसआईटी गठन को नियम विरूद्ध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाया गया था।

जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बेंच ने दिनांक 28.02.2020 को सुनवाई पूर्ण कर फैसला सुरक्षित रख लिया था तथा दिनांक 21.02.2020 को पारित निर्णय में ललिता कुमारी विरुद्ध उप्र शासन एवं अन्य, तेलंगाना शासन विरूद्ध मानाजीपेत एलियाज, जयललिता एवं अन्य विरूद्ध कर्नाटक राज्य, किंग एम्परर विरूद्ध ख्वाजा नाजिर अहमद, ओडिसा राज्य विरूद्ध उज्जल कुमार वर्धान, पी. चिदम्बरम विरूद्ध निदेशक प्रवर्तन निदेशालय, बिहार राज्य विरूद्ध पी. पी. शर्मा, पंजाब शासन विरूद्ध गुरूदयाल सिंह एवं अन्य प्रकरणों में हुए पूर्व निर्णयों (लेण्ड मार्क डिसिजन) का हवाला देते हुए राज्य शासन द्वारा विजया मिश्रा की शिकायत जांच हेतु एसआईटी गठन को उचित ठहराया एवं पिटिशनर अमन सिंह द्वारा राज्य शासन पर पूर्वाग्रह एवं दुर्भावनापूर्वक कार्यवाही करने के आरोप को निराधार होना माना है।

माननीय विद्वान न्यायाधीश ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया है कि पिटीसनर अमन सिंह, शासन पर लगाये गये अपने आरोपों को प्रमाणित करने में असफल रहे। हाईकोर्ट ने अमनसिंह के उस तर्क को भी नहीं माना कि राज्य शासन द्वारा उसे पूर्व में नोटिस जारी कर जवाब लिया गया था व उसे क्लीन चीट दे दी गई थी। विद्वान न्यायाधीश ने इसे कार्यवाही होना न मानते हुए अपने निर्णय में जांच कराने का अधिकार राज्य शासन के पास सुरक्षित होना एवं किसी जांच में संतुष्ट न होने की स्थिति में राज्य सरकार को दोबारा जांच कराने का पूर्ण अधिकार होना माना है। हाईकोर्ट के इस फैसले को पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह की करारी हार के रूप में देखा जा रहा है।