रायपुर- राज्य के उद्योगों की ऑक्सीजन लाइन कट गई है. कोरोना संक्रमित मरीजों की तादात और आक्सीजन की बढ़ती जरूरतों के बीच सरकार ने शत-प्रतिशत ऑक्सीजन की मेडिकल सप्लाई किए जाने का आदेश जारी किया है. जाहिर है, मौजूदा वक्त की यह सबसे बड़ी जरूरत है, लेकिन इसकी एक तस्वीर और है, जिस पर चर्चा जरूरी है. ऑक्सीजन की औद्योगिक सप्लाई पर प्रतिबंध लगाने के हालात में संयंत्रों में होने वाले उत्पादन पर बड़ी चोट पड़ने का अंदेशा है. उत्पादन प्रभावित होने से न केवल कई उद्योगों में ताले लटक सकते हैं, बल्कि हजारों की संख्या में लोगों की नौकरी भी जा सकती है. छत्तीसगढ़ में उद्योग आर्थिक मजबूती का बड़ा आधार है, ऐसे में सरकार को इससे मिलने वाली रेवेन्यू में बड़ी गिरावट दर्ज हो सकती है.

केंद्र की गाइडलाइन के बाद सूबे की भूपेश सरकार ने उद्योगों में सप्लाई होने वाले ऑक्सीजन पर रोक लगाने का फैसला लिया था, जिसके बाद हालात बदलते देरी नहीं हुई, जिन उद्योगों में ऑक्सीजन का स्टाॅक था, वहां कुछ घंटों तक उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ, लेकिन ऑक्सीजन की कमी आगे के लिए रोड़ा बनकर खड़ी हो गई. जानकार कहते हैं कि उद्योगों का बंद होना सही मायने में बुनियादी विकास को कमजोर करने जैसा है. यह हर किसी को प्रभावित करेगा. जानकारों की दलील है कि छत्तीसगढ़ में उद्योग खासतौर पर स्टील प्लांट राज्य की लाइफ लाइन है. ये प्लांट्स यहां के रिच मिनरल रिसोर्स का उपयोग कर उत्पाद तैयार करते हैं. राज्य की आर्थिक गति को मजबूती देते हैं. अकेले रायपुर के औद्योगिक क्षेत्र उरला और सिलतरा में करीब तीन लाख वर्कर्स को इन प्लांट्स के जरिए रोजगार मिलता है. जाहिर है उत्पादन प्रभावित होने से रोजगार का बड़ा और गहरा संकट खड़ा होगा, जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा.

उद्योग एनपीए की कगार पर आ जाएंगे

उद्योगपति पंकज सारडा कहते हैं कि मौजूदा हालात देखकर लगता है कि यदि उद्योग प्रभावित होते हैं, तो इससे पैनिक सिचुएशन क्रिएट होगा. काम नहीं होने की स्थिति में वर्कर्स पलायन करेगा. इससे बेरोजगारी बढ़ेगी. राज्य की बिजली कंपनी उद्योगों को 500 से 1000 मेगावाट तक की बिजली देकर बड़ा रेवेन्यू जनरेट करती है. उद्योग उत्पादन बंद करेंगे, तो बिजली की जरूरत नहीं होगी, इससे सरकार को रेवेन्यू की बड़ी क्षति होगी. दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि बैंक से कर्ज लेने वाले उद्योगों को रिवाइव कर पाना मुश्किल हो जाएगा. कई उद्योग एनपीए के कगार पर जा पहुंचेंगे. राज्य का जीएसटी लाॅस एक बड़ा फैक्टर होगा. उत्पादन ठप होने से माइनिंग प्रभावित होगी.

रियल स्टेट, हाउसिंग, माइनिंग जैसे कई सेक्टर चरमरा सकते हैं

पंकज सारडा बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर जिलों में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड में जाने वाली राशि कम हो जाएगी, इससे विकास के काम प्रभावित होंगे. उनका कहना है कि एक सेक्टर प्रभावित होगा, तो इससे जुड़े दस और सेक्टर हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे. रियल स्टेट, हाउसिंग, माइनिंग जैसे सेक्टर चरमरा जाएंगे. मेजर चेन इफेक्ट देखने को मिल सकता है. हालांकि पंकज सारडा का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी के मद्देनजर राज्य सरकार ने अभी कई प्लांट्स को ऑक्सीजन बनाने का लाइसेंस दिया है. बीते दो-तीन दिनों में हालात सुधरते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि राज्य में ऑक्सीजन की क्राइसेस नहीं है, तो सरकार को थोड़ी राहत दी जानी चाहिए, इसे लेकर राज्य सरकार को केंद्र को चिट्ठी लिखने की जरूरत है.

राज्य में है सरप्लस आक्सीजन

स्पंज आयरन एसोसिएशन से जुड़े उद्योगपति मनोज अग्रवाल कहते हैं कि सरकार के अधिकारियों से हमारी बातचीत हुई है. हमें बताया गया है कि राज्य में सरप्लस ऑक्सीजन है. करीब 140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मेडिकल और 60-70 मीट्रिक टन उद्योगों को जा रहा है. इसके बावजूद राज्य में ऑक्सीजन सरप्लस है, जिसे हम महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश को दे रहे हैं. मनोज अग्रवाल ने कहा कि, हम चाहते हैं कि करीब बीस फीसदी ऑक्सीजन उद्योगों को दिया जाए .यदि ऑक्सीजन नहीं मिलेगा, तो सारे उद्योग बैठ जाएंगे. दो से तीन लाख मजदूरों के सामने पलायन की स्थिति आ जाएगी. सीएसईबी से पांच सौ से सात सौ मेगावाट का लोड विड्रॉ उद्योगों को हो रहा है, यदि यह अचानक से बंद हो गया तो इससे रेवेन्यू में भी प्रभाव पड़ेगा.

 एसोसिएशन ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र

छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन ने पूर्ण ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई बंद नहीं करने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा है कि वर्तमान में जो आदेश हुआ है उससे उद्योगों का चलना असंभव हो गया है. जैसा कि मुख्यमंत्री की मंशा रही है कि छत्तीसगढ़ के बेसिक उद्योग गाइडलाइन के अनुरूप चलते रहे. हम मांग करते है कि जो भी एक मंथली औसत निकाल जाये तथा जिस जिस उद्योग की आवश्यकता प्रति माह रहता है उसका कम से कम 25 से 30 प्रतिशत उनको निर्धारित किया जाये, ताकि उनके छोटे मोटे काम और कम उत्पादन में भी छोटे छोटे उद्योग चलते रहें. क्योंकि एकदम से ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई बंद होने से मजदूरों का पलायन एवं औद्योगिक शांति में खलल पड़ सकती है. तथा पुनः बंद उद्योगों को चालू करना कठिन एवं दुर्गम कार्य हो जायेगा क्योंकि आस पास के लेबर इधर उधर जाने लग जाएंगे, तथा उनको वापस बुलाना एक टेड़ी खीर रहेंगी.

आग्रह कि परिस्थितियों को देखते हुए एक मिनिमम बेसिक आवश्यकता है वो उद्योगों को ऑक्सीजन सिलेंडर दिया जाये तथा उद्योगों को उनके आवश्यकतानुशार कोटा फिक्स कर दिया जाये ताकि शासन को जो मंशा है वो भी पूर्ण हो जाये एवं ऑक्सीजन की कही कोई कमी नहीं होने देवे. वैसे भी छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है और उद्योग का भी चलना जारी रह पाएगा.

उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि  हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह उद्योगों के लिए ऑक्सीजन का निश्चित अनुपात आवंटित करे ताकि आजीविका के लिए उद्योगों का ध्या रखा जाए. उद्योगों के चलने से राज्य को इस कठिन समय में राजस्व उत्पन्न करने में मदद मिलेगी और साथ ही साथ श्रमिका पलायन भी रुकेगा. अगर लेबर्स स्टॉपेज ऑफ़ प्लांट्स के कारण माइग्रेट करते हैं, तो निकट भविष्य में उन्हें वापस काम पर लाना बहुत मुश्किल होगा. यह अन्य लोगों की बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को बढ़ावा देगा क्योंकि उद्योग पर्याप्त कौशल के बिना काम नहीं कर सकते हैं।

अनुरोध हैं कि औद्योगिक उपयोग के लिए ऑक्सीजन उत्पादन का कम से कम 20 प्रतिशत आबंटित करें ताकि इस्पात उद्योग न्यूनतम स्तर पर लेबर माइग्रेशन को प्रतिबंधित करने और महामारी COVID 19 से लड़ने के लिए राज्य के लिए राजस्व उत्पन्न करने में सक्षम हों.