रायपुर। छत्तीसगढ़ जैसे विशाल राज्य में जहां विविध भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियाँ हैं वहाँ मलेरिया की रोकथाम एक बड़ी चुनौती रही है. छत्तीसगढ़ आरम्भ से ही मलेरिया से हलाकान रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश ने मलेरिया उन्मूलन की दिशा में बहुत से प्रभावी और ठोस कदम उठाए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने वैज्ञानिक, तकनीकी और जनसहभागिता आधारित रणनीति अपनाकर मलेरिया के फैलाव को रोकने में बड़ी कामयाबी पाई है.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की स्वास्थ्य को लेकर प्राथमिकता नीतियाँ
मुख्यमंत्री बनने के बाद विष्णुदेव साय ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है जिसका उद्देश्य है हर नागरिक तक समय पर स्वास्थ्य सुविधा पहुँचे और बीमारी से पहले ही रोकथाम की जा सके. मलेरिया से निपटने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए कि बीमारी फैलने से पहले रोकथाम पर ज़ोर दिया जाए.इसके लिए जनजागरूकता अभियान तेज़ करने पंचायत स्तर तक निगरानी तंत्र को मजबूत करने और जिला और ब्लॉक स्तर पर मेडिकल स्टाफ़ को प्रशिक्षित करने के लिए निर्देश दिए.
मुख्यमंत्री के निर्देश में स्वास्थ्य विभाग की रणनीति और क्रियान्वयन
छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति और आदिवासी बहुल क्षेत्र इसे मलेरिया की दृष्टि से बहुत संवेदनशील बनाता है. बस्तर, सरगुजा, कांकेर जैसे इलाकों में मानसून के समय जलजमाव और गंदगी मलेरिया के लिए अनुकूल वातावरण बनाती हैं. बरसात में जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है और मलेरिया और डेंगू जैसे रोगों से ग्रसित लोगों की संख्या भी बढ़ती है.
इस समस्या से उबरने के लिए राज्य की साय सरकार ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जैसे मलेरिया प्रभावित क्षेत्र में “मलेरिया मुक्त बस्तर” अभियान चलाया. इस अभियान में घर-घर जाकर स्क्रीनिंग और दवा वितरित कर मलेरिया पर अंकुश लगाने की कोशिश की जा रही है.छत्तीसगढ़ की साय सरकार द्वारा संचालित मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान (12वां चरण) की अब तक की प्रगति से स्पष्ट है कि राज्य शासन की घर-घर स्क्रीनिंग रणनीति और सक्रिय जनसंपर्क के माध्यम से मलेरिया की जड़ पर प्रहार किया जा रहा है.
हाल ही में 25 जून से 14 जुलाई 2025 तक हुए सर्वेक्षण में 1884 मलेरिया पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गई, जिनमें से 1165 मरीज (61.8%) बिना लक्षण (Asymptomatic) वाले थे. इसी सिलसिले में लगभग 14 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई इसके अलावा फॉगिंग, एंटी लार्वा स्प्रे और मच्छरदानी वितरण करके मलेरिया संक्रमण दर में 60% तक गिरावट देखी गई.छत्तीसगढ़ में मलेरिया के खिलाफ निर्णायक बढ़त — 61.8% बिना लक्षण वाले मरीज समय पर पहचाने गए और संक्रमण की कड़ी को तोड़ दी गई .
बस्तर के दूरस्थ अंचलों में भी पहुँच रही स्वास्थ्य सेवा
कई बड़ी चुनौतियाँ के बावजूद प्रदेश की साय सरकार ने अपने प्रयासों से राज्य में बड़ा बदलाव लाया है. राज्य सरकार के लिए प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँचना मुश्किल था, पानी की स्थायी समस्या से उबरना भी एक चुनौती रही इसके अलावा स्वास्थ्य और बीमारियों को लेकर जनजागरूकता में कमी भी बड़ी चुनौती थी. इन सब का सामना करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य विभाग ने जो मेहनत की उसका परिणाम यह रहा कि मलेरिया और डेंगू के मामलों में 50-60% की गिरावट देखी जा रही है.मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि “हमारे सरकार की नीति स्पष्ट है बीमारी की प्रतीक्षा मत करो, बीमारी से पहले पहुँचो.” उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि “यह अभियान राज्य को मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक साबित होगा.”
कुल 1,39,638 लोगों की मलेरिया जांच की गई जिसमें 1884 लोग पॉजिटिव पाए गए जिनमें से 1165 (61.8%) बिना किसी लक्षण के थे और यदि ये स्क्रीनिंग न की गई होती तो निश्चित ही ये संक्रमण आगे बढ़ता. मलेरिया के कुल मामलों में 75% से अधिक बच्चे पाए गए हैं.ग 92% से अधिक मलेरिया केस Plasmodium falciparum (Pf) प्रकार के हैं — जिसकी त्वरित पहचान से गंभीर जटिलताओं को टाला गया.
दंतेवाड़ा जैसे दूरस्थ और भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण जिले में 12.06% लक्ष्य प्राप्ति दर और 706 मलेरिया पॉजिटिव मामलों की पहचान एक बड़ी सफलता है. खास बात यह है कि इनमें से 574 मरीज बिना लक्षण वाले (Asymptomatic) थे, जिन्हें शासन की सक्रिय रणनीति के कारण समय रहते उपचार उपलब्ध कराया गया. यह दिखाता है कि जंगल क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य तंत्र की पहुँच, निगरानी, और सेवा वितरण प्रभावशाली तरीके से हो रहा है.
सुकमा में 15,249 व्यक्तियों की जांच के दौरान 372 मलेरिया पॉजिटिव केस मिले, जिनमें से 276 मरीज बिना लक्षण वाले थे. यह आँकड़ा स्पष्ट रूप से बताता है कि शासन की प्रो-एक्टिव स्क्रीनिंग के चलते साइलेंट संक्रमण के चक्र को तोड़ा जा रहा है. जनजातीय क्षेत्रों में भी मेडिकल एक्सेस और सामुदायिक भागीदारी के चलते संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा रहा है — यह प्रशासन की रणनीतिक सफलता है.
मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के 12वें चरण अंतर्गत 27266 घरों में स्क्रीनिंग टीमों की पहुँच हुई. 1247 गर्भवती महिलाओं की जाँच की गई, जिनमें से मात्र 10 पॉजिटिव पाई गईं – यानी केवल 0.08%. LLIN (लार्ज लास्टिंग मच्छरदानी) का उपयोग 92% घरों में सुनिश्चित किया जा चुका है. Indoor Residual Spray कवरेज 68.73% तक पहुँच चुका है. 614 घरों में मच्छर लार्वा मिलने पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है.
छत्तीसगढ़ की साय सरकार के प्रयास से स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य सेवा सिर्फ इलाज नहीं बल्कि जागरूकता, समयबद्धता और पहुँच को भी कहा जाता है.छत्तीसगढ़ सरकार आने वाले समय में इस मॉडल को और विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि राज्य को मलेरिया मुक्त बनाना सिर्फ लक्ष्य नहीं, बल्कि वास्तविकता बने.
स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीकी और डिजिटल समाधान का सहयोग
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को भी शामिल किया.e-Upchar App से ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य रिपोर्टिंग ली जा रही है.टेलीमेडिसिन सेवा से दूरदराज के इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श लिया जा रहा है.GIS Mapping से मच्छरों के प्रजनन केंद्रों की पहचान कर मच्छरों पर नियंत्रण किया जा रहा है .
जनजागरूकता और सामुदायिक भागीदारी
छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने जब यह महसूस किया कि जनसहभागिता के बिना मलेरिया पर नियंत्रण असंभव है तब राज्य के मुख्य मंत्री के कुशल मार्गदर्शन में ‘स्वस्थ छत्तीसगढ़, सशक्त छत्तीसगढ़’ अभियान चलाया गया. जनजागरुकता फैलाने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और मितानिनों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम की व्यवस्था बनाई गई है.
राज्य के मुखिया ने बनाया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों को सशक्त
छत्तीसगढ़ में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त बनाया गया है. अतिरिक्त डॉक्टरों और ANM की नियुक्ति की गई है . 24×7 स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है इसके साथ ही सभी PHC में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है.
साय सरकार ने चुनौतियाँ को पीछे छोड़ कर राज्य को दिया सुपरिणाम और उपलब्धियाँ
छत्तीसगढ़ की सरकार ने स्वास्थ्य को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाकर यह सिद्ध कर दिया है कि राजनैतिक इच्छाशक्ति और जनसहभागिता से किसी भी चुनौती को मात दी जा सकती है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में मलेरिया के रोकथाम की जो व्यापक रणनीति अपनाई गई, वह पूरे देश के लिए अनुकरणीय बन गई है. आज छत्तीसगढ़ न केवल मलेरिया से विजय पा रहा है, बल्कि वो एक स्वस्थ, सशक्त और जागरूक समाज की ओर अग्रसर है.
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