डिलेश्वर देवांगन,बालोद। महात्मा गांधी ने कहा था कि देश तभी समृद्ध होगा, जब सभी लोग शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ जाएंगे. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले का बाफना परिवार मूक बधिरों को भी शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ रहा है. जिससे उन बच्चों का भी भविष्य संवर सके. बाफना परिवार मूक बधिरों का सहारा बन रहा है. बालोद में 2 करोड़ की लागत से स्कूल बनाया जाएगा. जिसमें बच्चों के शिक्षा, रहना और खाना पूरी तरह से नि:शुल्क रहेगा.

आज के दौर में लोग अपनी कमाई को अपने स्वार्थ और परिवार के खर्च में उड़ा देते हैं. ऐसे में असहाय और गरीब मूक बधिर बच्चों के लिए बाफना परिवार मसीहा बनकर उभरा है. बाफना परिवार की दरियादिली से अब सैकड़ों मूक बधिर बच्चे स्कूल में पढ़कर अपना भविष्य संवार सकेंगे. बाफना परिवार ने बालोद मुख्यालय से लगे गांव उमरादाह में ढाई एकड़ जमीन खरीदा है. फिर उस पर करोड़ों रुपए की लागत से स्कूल का निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है. आने वाले सत्र तक भवन निर्माण का कार्य पूर्ण भी हो जाएगा और निःशुल्क कक्षा संचालन भी शुरू हो जाएगा.

मदन बाफना का कहना है कि परिवार के पूर्वज भी बालोद में ही रहे हैं. जिनका अंतिम संस्कार इसी बालोद की मिट्टी पर हुआ है. परिवार मानता है कि जिस मिट्टी में उनके माता-पिता और पूर्वज दफन हुए हैं, उसका कर्ज अदा करना है. जिसके चलते मूक बधिर बच्चों के जीवन संवारने का फैसला परिवार ने लिया है. अरुण बाफना का कहना है कि मूक बधिर बच्चे इशारों से पढ़ाई करते हैं. जिनके लिए विशेष शिक्षक की आवश्यकता होती है. बाफना परिवार बच्चों के रहने, खाने से लेकर पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएगा.

समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 129 मूक बधिर बच्चे हैं. जिसमें से अधिकांश बच्चे शिक्षा से वंचित है. कई बच्चे स्कूल जाते हैं, लेकिन पढ़ाई उनकी समझ से परे हो जाती है. जिसके चलते उनका भविष्य खराब हो जाता है. लेकिन बाफना परिवार 2 करोड़ की लागत से मूक बधिर बच्चों के लिए नि:शुल्क स्कूल सहित आवासीय सुविधा मुहैय्या कराएगा. बाफना परिवार की इस पहल को देख हर कोई सराहना कर रहा है.

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