शिवम मिश्रा,रायपुर। राजधानी रायपुर के उरला स्थित छत्तीसगढ़ जूट इंडस्ट्री अपने मजदूरों से 4 मई से काम चालू करने का दबाव बना रहा है. जिसका मजदूर विरोध करते हुए सड़कों पर उतर आए है. फैक्ट्री के बाहर करीब 2 हजार मजदूर इकठ्ठा हो गए है, जिन्हें पुलिस भगा रही है. मजदूरों का आरोप है कि इंडस्ट्री ने लॉकडाउन की अवधि में उन्हें ना तो 2 महीने का वेतन दिया और ना ही खाना की व्यवस्था कराई. प्रबंधन पैसा नहीं होने का हवाला दे रहा है, लेकिन हम बिना भुगतान के काम चालू नहीं करेंगे. वहीं इस दौरान एक साथ हजारों की भीड़ इकठ्ठा हो गई और सोशल डिस्टेसिंग की खुलेआम धज्जियां भी उड़ाई गई.

विरोध में उतरे मजदूरों का कहना है कि छत्तीसगढ़ जूट इंडस्ट्रीज में पिछले 8 से 9 साल से काम कर रहे हैं और इंडस्ट्री के ही निजी बिल्डिंग में रहते हैं. जब से लॉकडाउन लागू हुआ है, तब से काम बंद है. काम बंद के कारण किसी प्रकार का भुगतान भी नहीं मिला है और ना ही खाने पीने की व्यवस्था कराई गई. भुगतान नहीं होने से मजदूर परेशान है, उनके पास पैसा नहीं है. अब इंडस्ट्री के मैनेजर की तरफ से साफ कह दिया गया की कंपनी में पैसा नहीं है. जिससे भुगतान नहीं कर पाएंगे. वही 4 मई से दोबारा काम चालू करने का दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन जब तक भुगतान नहीं मिलेगा, मजदूर काम चालू नहीं करेंगे.

उन्होंने आगे बताया कि लॉकडाउन के दौरान एक बिल्डिंग में करीब 150 से 200 मजदूर रहते हैं. वहां पर हम लोगों के लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. एक कमरे में 5 से 6 लोग रह रहे है. ऐसे समय में हमारी सुरक्षा में किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई है. अब बिना सुरक्षा व्यवस्था के ही मजदूरों से वापिस काम कराने की तैयारी है.

छत्तीसगढ़ जूट इंडस्ट्री के मैनेजर राजीव दीक्षित का कहना है कि लॉकडाउन (22 मार्च) के पहले जितना मजदूरों ने काम किया है, उसका भुगतान उन्हें कर दिया गया है. लॉकडाउन के दौरान इंडस्ट्री में पूरा काम बंद था, इसलिए पैसा नहीं होने के कारण मजदूरों को भुगतान नहीं दिया गया है.

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