प्रदीप गुप्ता,कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के जरिए तीन युवक आरक्षक की नौकरी कर रहे थे. जिला अस्पताल के डॉक्टर ने आरक्षकों की शिकायत एसपी शलभ सिन्हा से की थी. जांच में मामला सही पाए जाने पर एसपी ने तीनों आरक्षक को पुलिस की सेवा से बर्खास्त कर दिया है. इस खबर को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसका बड़ा असर हुआ है. इस घटना के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है. इन तीनों युवकों पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.

फर्जी मेडिकल लगा कर रहे थे पुलिस की नौकरी

एसपी शलभ सिंह के मुताबिक 2021 जनवरी-फरवरी महीने में पुलिस भर्ती हुई थी. जिसमें जिले में 122 नवनियुक्त आरक्षकों ने आमत दी थी. सभी नए आरक्षकों का मेडिकल जांच कराया गया था. कुछ दिन बाद जिला हॉस्पिटल में पदस्थ नेत्र सहायक अधिकारी मनीष जॉय ने एसपी कार्यालय में शिकायत की थी. जिसमें कहा गया कि दो लोग फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र लगाकर पुलिस की नौकरी कर रहे हैं.

दोबारा मेडिकल जांच में मिले अनफिट

शिकायत मिलने के बाद सभी नवनियुक्त आरक्षकों का दोबारा मेडिकल जांच कराया गया. जिनके खिलाफ शिकायत की गई थी, उन 2 युवकों को राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज जांच के लिए भेजा गया. जहां दोनों के मेडिकल रिपोर्ट अनफिट पाए गए. वहीं एक युवक का कवर्धा जिला हॉस्पिटल से मेडिकल अनफिट मिला. अनफिट पाए जाने पर तीनों आरक्षक को सेवनृत्य बर्खास्त की कार्रवाई की गई.

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युवकों के आंख में थी परेशानी

बता दें कि राज्य सरकार ने पुलिस भर्ती की वैकेंसी निकाली थी. पुलिस में चयन के बाद जवानों से मेडिकल प्रमाण मांगा गया. जिला अस्पताल में युवकों की शारारिक परीक्षण कराने भीड़ लगी हुई थी. जो स्वास्थ्य परीक्षण में पास हो रहा था, उसे प्रमाण पत्र दिया गया. इसी बीच नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष जॉय ने दो युवकों की आंख में परेशानी देखकर कलर ब्लैक होने की आशंका जताई. उन दोनों युवक को प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया. इसकी सूचना उच्च अधिकारी को भी दी.

कर्मचारी से मिलीभगत कर बनवाया था फर्जी सर्टिफिकेट

डॉक्टर ने रायपुर या राजनांदगांव में स्वास्थ्य परीक्षण कराने रेफर करने को कहा था. दूसरे दिन दोनों शातिर युवक हॉस्पिटल नहीं पहुंचे और कुछ दिन बाद जिला के किसी कर्मचारियों के मिलीभगत से डॉ. मनीष जॉय की फर्जी हस्ताक्षर वाले मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा लिया. उसे पुलिस विभाग में जमाकर नौकरी में लग गए. डॉक्टर ने कहा था कि मेडिकल प्रमाण पत्र जिला हॉस्पिटल से जारी किया गया है, उसमें मेरा हस्ताक्षर नहीं है. यह प्रमाण पत्र जिला अस्पताल से जारी की गई है, उसमें स्कैन वाली हस्ताक्षर है. जिसके बाद दोनों की शिकायत डॉक्टर ने एसपी से की थी.