प्रदीप गुप्ता,कवर्धा। कबीरधाम जिले को अलग पहचान दिलाने वाले ऐतिहासिक, पुरातत्व और धार्मिक महत्व के भोरमदेव मंदिर की दीवार ढहने का खतरा मंडरा रहा है. क्योंकि इसके दीवारों पर बारिश के पानी का रिसाव हो रहा है. इस ओर शासन और प्रशासन का कोई ध्यान नहीं जा रहा है. यही हाल रहा तो कभी भी मंदिर धरासायी हो सकता है.

दरअसल भोरमदेव मंदिर में बारिश का पानी रिसने से मंदिर के गर्भगृह में पानी भरने लगा है. बचाव के लिए मंदिर के पुजारी बर्तन से बारिश के पानी को बाहर निकाल रहे हैं. पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन को सूचना देने के बावजूद नजर अंदाज किया जा रहा है.

मंदिर के पुजारियों ने पुरातत्व विभाग को सूचना दी है, लेकिन अब तक पुरातत्व विभाग की ओर से इस विषय को लेकर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. जबकि कलेक्टर रमेश शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन का मंदिर में कोई हस्तक्षेप नहीं है. पूर्व में और वर्तमान में भी पुरातत्व विभाग को इस बात की जानकारी दे दी गई है, लेकिन उनकी ओर से अब तक कोई पहल नहीं की गई है.

मैकल पर्वत से घिरे छत्तीसगढ़ के खजुराहों कहे जाने वाले इस मंदिर की खासियत यह है कि 11 शताब्दी में इसका निर्माण हुआ था. ओडिशा के सूर्य मंदिर और मध्यप्रदेश के खजुराहों से इस मंदिर की तुलना की जाती है. छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख धरोहर में माना जाता है. राज्य भर से श्रद्धालु मंदिर दर्शन के लिए आते है, लेकिन अब इस मंदिर के गर्भगृह में बारिश की पानी रिसने के कारण ढहने का खतरा मंडरा रहा है.

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