रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व विधायक शिवरतन शर्मा ने विधानसभा का मानसून सत्र छोटा रखे जाने पर कटाक्ष करते हुए पूछा है कि क्या सरकार अपनी नाकामियों की पोल खुलने से इतनी भयभीत हो गई है कि अब वह विधानसभा में भी चर्चा करने के बजाय मुँह चुराने को विवश हो गई है? शर्मा ने कहा कि हर मोर्चे पर विफल प्रदेश सरकार एक गहरे अपराध-बोध से जूझ रही है. कम अवधि का सत्र रखकर सरकार ने साफ कर दिया है कि प्रदेश के हित में कोई सार्थक चर्चा करने को वह तैयार नहीं है।
शर्मा ने कहा कि सरकार कोरोना संक्रमण के नज़रिए से रोज़ हर विधायक को टेस्ट कराके ही विधानसभा में प्रवेश करने देगी तो फिर यह व्यवस्था तो लंबी अवधि के सत्र के लिए भी संभव थी. प्रदेश को हज़ारों करोड़ रुपए के कर्ज़ से लाद चुकी प्रदेश सरकार अपनी तमाम योजनाओं की मिट्टी-पलीद कर चुकी है. उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के लिए मीडिया को प्रतिबंधित किए जाने पर भी ऐतराज़ जताया है. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुलाकर मीडिया से चर्चा करते समय जिस कांग्रेस और सरकार को कोरोना का भय नहीं सताता, उसे अब विस में मीडिया की उपस्थिति से किस बात का भय सता रहा है? प्रदेश सरकार वैकल्पिक व्यवस्था कर मीडिया को विस कार्यवाही की रिपोर्टिंग की अनुमति प्रदान करे.
शर्मा ने सवाल किया कि जब सरकार के मंत्री, नेता अपने जन्मदिन का जश्न सैकड़ों लोगों की मौज़ूदगी में रखते हैं, सरकारी कार्यक्रमों में बिना मास्क पहने मुख्यमंत्री और उनके मंत्री, सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधि सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाते हैं, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया निगम-मंडलों में नियुक्ति के नाम पर सियासी ड्रामा रचने जब-तब प्रदेश के दौरे पर आते रहते हैं और सैकड़ों लोगों का हुज़ूम जब वहाँ उनके इर्द-गिर्द मंडराता है तब उन मौक़ों पर प्रदेश सरकार को कोविड की गाइडलाइन याद क्यों याद नहीं आती? उन्होंने कहा कि सरकार अपने झूठ-फरेब और छलावों के पर्दाफाश से बचने के लिए ही प्रदेश सरकार सिर्फ़ चार दिनों का विधानसभा सत्र बुलाकर अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह चुराने में लगी है.