महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले अपने विभाग में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ रविवार से अनशन पर बैठे थे. इस मामले की जांच पूरी होने के बाद अधिकारी सुधाकर ने अपने अनशन खत्म कर दिया है. कलेक्टर ने लस्सी पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया. रेडी-टू-ईट में अनियमितता पाए जाने पर 2 स्व-सहायता समूह को बर्खास्त कर दिया गया है. इसके अलावा 2 पर्यवेक्षक को निलंबित किया गया है.

महिला एवं बाल विकास विभाग में पदस्थ सुधाकर बोदले ने विभाग में हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया था. मार्च 2020 एवं 2021 में मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना के तहत गरीब कन्याओं की शादी में सरकारी उपहार सामग्री दिया गया था, जो बेहद ही घटिया स्तर के थे. इसके साथ ही रेडी टू ईट वितरण योजना में भ्रष्टाचार किया गया था. दोनों ही योजनाओं में 30 लाख रुपए का भ्रष्टाचार हुआ था.

अधिकारी ने अनशन किया समाप्त

इस भ्रष्टाचार की जांच कर महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले ने जांच प्रतिवेदन उच्चाधिकारियों को दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराज सुधाकर बोदले भ्रष्टाचार के विरोध में अपने ही निवास पर अनशन पर बैठ गए थे. अधिकारी सुधाकर बादले ने कहा कि अधिकारियों की जांच में योजनाओं में अनियमितता पाई गई है. एक साल से इसी जांच की मांग कर रहा था. जब अनियमितता को स्वीकारा गया, तब मैंने अपना अनशन समाप्त कर दिया.

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2 समूह बर्खास्त और 2 पर्यवेक्षक निलंबित

महिला एवं बाल विकास संचालक दिव्या मिश्रा ने बताया कि महिला एवं बाल विकास अधिकारी की शिकायत बिन्दुओं की गठित जांच दल ने आज सोमवार को महासमुन्द परियोजना ग्रामीण का जांच किया गया. प्रथम दृष्टया रेडी-टू-ईट गुणवत्तापूर्ण नहीं पाए जाने पर प्रगति महिला स्व-सहायता समूह बरोण्डाबाजार और एकता महिला स्व-सहायता समूह लभराखुर्द को बर्खास्त किया गया. इससे संबंधित सेक्टर के दो पर्यवेक्षक शशि जायसवाल बरोण्डाबाजार और दीपमाला तारक लभराखुर्द को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.

भुगतान पर लगा रोक

संचालक दिव्या मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजनांतर्गत वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के क्रय में प्रथम दृष्टया में अनियमितता परिलक्षित हो रही है. इसलिए वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 का संबंधित भुगतान पर रोक लगा दी गई है. प्रकरण की जांच पूर्ण होने पर दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.

अधिकारी का अनशन विपक्ष का बना था मुद्दा

बता दें कि महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले के अनशन पर बैठे जाने पर विपक्ष ने भी सवाल उठाया था. कांग्रेस सरकार को घेरते हुए किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी. बीजेपी की पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय ने भ्रष्टाचार मामले में मंत्री की संलिप्तता बताते हुए बर्खास्त करने की मांग तक कर दी थी.

कब क्या हुआ ?

  • मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना वर्ष 2020-2021 में स्तरहीन-घटिया उपहार सामग्री क्रय में हुई गंभीर वित्तीय अनियमितता और रेडी टू ईट वितरण योजना में किये गये भ्रष्टाचार का जांच प्रतिवेदन उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत किया था, जिस पर अद्यतन कोई कार्रवाई नहीं की गई. करीब 30 लाख रुपए की अनियमितता का मामला था.
  • महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी सुधाकर बोदले ने कलेक्टर से अनशन के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन अनुमति नहीं दी गई, फिर रविवार को घर में ही अनशन पर बैठ गए.
  • पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा. सेवानिवृत्त न्यायाधीश से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की.
  • कलेक्टर डोमन सिंह ने कहा कि किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
  • महिला एवं बाल विकास संचालक की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई.
  • अधिकारी के अनशन पर भाजपा ने सरकार को घेरा, तो मंत्री रविन्द्र चौबे ने बीजेपी को मुद्दाविहीन बताया. कहा कि विपक्ष का कमजोर होना दुर्भाग्य.
  • बीजेपी की पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय ने भ्रष्टाचार मामले में मंत्री की संलिप्तता बताते हुए बर्खास्त करने की मांग की.
  • आज जांच होने के बाद सुधाकर बोदले का अनशन खत्म कर लिया.
  • अनियमितता पाए जाने पर 2 स्व-सहायता समूह बर्खास्त और 2 पर्यवेक्षक निलंबित किए गए.

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