वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। पति के साथ नहीं रहने के बाद भी पत्नी ने 8 से 12 बार गर्भपात कराया, इसे हाईकोर्ट (High Court) ने तलाक (divorce) का आधार माना है. कोर्ट ने पति पत्नी में सुलह का रास्ता बंद होने पर पति की याचिका को स्वीकार कर तलाक की मंजूरी दे दी है.

दरअसल, याचिकाकर्ता पति की वर्ष 1996 में दुर्ग जिला में रहने वाली युवती से हिन्दू रीति रिवाज से शादी हुई. 2005 में पति अपने काम पर बाहर महाराष्ट्र चला गया. इसके बाद उसका तबादला केरल हो गया. 2006 में बेटी का जन्म हुआ. इस बीच पत्नी दूसरे पुरुष के संपर्क में रही और पति के साथ नहीं होने के बाद भी पत्नी ने 8 से 12 बार गर्भपात कराया. हर बार उसके साथ पति के बजाय प्रेमी अस्पताल में रहा. इसके बावजूद पति ने समझौता किया और उसे साथ रखने को तैयार हुआ. लेकिन पत्नी लगातार पराए मर्द से संपर्क बनाए रखा, तो पति ने दुर्ग परिवार न्यायालय में तलाक का आवेदन किया. परिवार न्यायालय ने मौखिक साक्ष्यों के आधार पर पति के आवेदन को खारिज कर दिया. इस पर पति ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई.

मामले में जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस रजनी दुबे की डीबी में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट व पत्नी के 8 से 12 बार गर्भपात कराने और पति के भाई व घर मे काम करने वाली के बयान को पुख़्ता साक्ष्य माना, और पति के तलाक की याचिका को मंजूर कर ली है.