रायपुर। पीएम मोदी और अमित शाह जो करते हैं, उसके बारे में आखिरी समय तक किसी को पता नहीं चलता. संघ पदाधिकारियों की बैठक से लौटकर अमित शाह पीएम मोदी के साथ बैठक करके मंत्रिमंडल के नामों को अंतिम रुप दे रहे हैं. लेकिन इसी वक्त छत्तीसगढ़ के सभी सांसद अपने फोन पर एक दूसरे से जानकारी ले रहे हैं. किसे फोन आया किसे नहीं आया.
दरअसल छत्तीसगढ़ ने लगातार तीन बार 11 में से 10 भाजपा सांसद दिल्ली को दिए हैं. दो बार कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन ऐसा पहली बार है कि सरकार बीजेपी की बनी है. इसलिए उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने जो प्यार बीजेपी को दिया है. उसका सिला प्रधानमंत्री मोदी एक और पद देकर जरुर देंगे. सबसे ज़्यादा उम्मीद छत्तीसगढ़ के सबसे वरिष्ठ सांसद रमेश बैस को है. लेकिन रमेश बैस का ज़्यादा बोलना पिछली बार उनके लिए भारी पड़ गया था इसलिए वो इस बार कम उम्मीदों के साथ चुप्पी साधे हुए हैं.
महासमुंद सांसद चंदूलाल साहू ने लोकसभा चुनाव में दिग्गज अजीत जोगी को पटखनी दी थी. जिन विपरीत हालात में उन्होंने सबसे मुश्किल चुनाव जीता था उससे उन्हें उम्मीद है कि उन्हें मंत्री पद ज़रूर मिलेगा. दूसरी तरफ, विष्णुदेव साय प्रमोशन की उम्मीद कर रहे हैं. उन्हें अभी तक राज्यमंत्री का दर्जा हासिल था लेकिन उन्हें उम्मीद है कि उन्हें कैबिनेट बर्थ मिल जाए. संसद में अपनी परफॉर्मेंस की बदौलत जांजगीर की सांसद कमला देवी पाटले भी मंत्री पद की उम्मीद लगाए हुई हैं. तो बस्तर में पार्टी की चुनावी महत्वाकांक्षा, के मद्देनज़र विक्रम उसेंडी और दिनेश कश्यप आंखें गड़ाए बैठे हैं. दिनेश कश्यप के पिता बलिराम कश्यप ने पार्टी को आदिवासी इलाके बस्तर में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई थी. लिहाज़ा उनके बेटे दिनेश की उम्मीदें ज़्यादा है. सरगुजा के सांसद कमलभान मोदी से चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं.
अप्रत्याशित परिणाम की आस अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय को भी है, जो संघ के निकट हैं. जबकि राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम पहले से संगठन में है तो उन्हें उम्मीद कम है. दूसरे राज्यसभा सांसद रणविजय सिंह जूदेव की भी लाबिंग की जा रही है. जूदेव मोदी के इस फॉर्मूले में फिट बैठते हैं कि मोदी सरकार को काम करने के लिए ऊर्जावान चेहरों की ज़रूरत है.
कुल मिलाकर देंखे तो उम्मीदें सभी 11 सांसदों को है लेकिन सबसे ज़्यादा उम्मीदें रमेश बैस और चंदूलाल साहू को है. एक बड़ी वजह है कि बीजेपी का सबसे ज़्यादा फोकस ओबीसी पर है. राज्य में सबसे बड़ा वोटबैंक ओबीसी का है. चुनावी साल में बीजेपी ओबीसी को मंत्रीपद देकर इन्हें लुभा सकती है. फिलहाल ये सांसद खामोशी से दिल्ली के उस कॉल का इतंज़ार कर रहे हैं जिससे इनकी किस्मत चमक जाए.
सभी सांसद उन सांसदों को टटोल रहे हैं जिनके नामों की चर्चा मीडिया में है. उन्हें फोन करके पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें फोन आया लेकिन वहां से जब तक फोन न आने की पुष्टि हो रही है तब तक सब उम्मीदों के घोड़े पर सवार हैं. सबके लिए सुकून की बात है कि अभी किसी के पास फोन नहीं आया. मोदी और शाह की कार्यशैली से वाकिफ दिल्ली के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि अगर किसी को छत्तीसगढ़ से मंत्री बनाना होगा तो उसे कुछ घंटों में फोन आ जाएगा.