रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में हुए एडसमेटा काण्ड की जांच के आदेश दिये हैं. कथित मुठभेड़ में 8 लोगों की मौत हुई थी. कोर्ट ने जिसकी जांच राज्य की बाहर की एजेंसी से कराने कहा है. याचिकाकर्ता डीपी चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नागेश्लर राव और केबी शाह की डबल बेंच ने यह आदेश दिया.
त्यौहार मनाने इकट्ठा हुए थे ग्रामीण
मामला 2013 का है. दक्षिण बस्तर के एडसमेटा गांव के पास 17-18 मई की रात को सुरक्षाबलों और माओवादियों की मुठभेड़ हुई जिसमें तीन बच्चे, सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन का 1 जवान सहित 8 ग्रामीणों की मौत हुई थी. घटना के बाद ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि सभी लोग बीज त्यौहार मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे लेकिन इसी दौरान फोर्स वहां पहुंची और ग्रामीणों को मार दिया. इस घटना में शंभू कर्मा, गुड्डू कर्मा, जोगा कर्मा, पाडू कर्मा, बदरु कर्मा, मासा कर्मा, पूनम सोलू और पूनम लाकू है. मृतकों में तीन छोटे बच्चे भी शामिल थे. वहीं चार लोग इस कथित मुठभेड़ में घायल हुए थे.
राज्य सरकार ने दिया था मुआवजा
इस कथित मुठभेड़ के बाद ग्रामीणों में गुस्से की लहर थी. फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ ग्रामीण लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे थे. वहीं इस घटना के बाद कांग्रेस ने भी राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और इसकी सीबीआई जांच की मांग की थी. ग्रामीणों की गुस्से और विपक्षी दबाव के बीच सरकार ने न्यायिक जांच का ऐलान करने के साथ ही पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दिया था. सरकार द्वारा मुआवजा का ऐलान करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी इस पर सवाल उठाए थे और कहा था कि जब सरकार मृतकों के परिवार को मुआवजा दे रही है तो उन्हें नक्सली कैसे माना जा सकता है.