Chhattisgarh News : शशिकांत डिक्सेना, कटघोरा. कोरबा जिला स्थित गेवरा कोयला खदान से कोयला चोरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसकी जड़ें दीपका क्षेत्र से लेकर बिलासपुर के कोल डिपो तक फैली है. (गेवरा कोयला खदान से कोयला चोरी)

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जानकारी के मुताबिक, गेवरा खदान से अडानी पावर लिमिटेड, जयरामनगर साइडिंग के लिए कोयला लेकर रवाना हुए तीन ट्रक CG-12-BQ-9913), (CG-12-BJ-4253) और (CG-12-BG-5024) पिछले तीन दिनों से दीपका थाना परिसर में खड़े हैं. इन ट्रकों को प्रदेश के सबसे बड़े कोल लिफ्टरों में गिने जाने वाले तिवरता ट्रांसपोर्ट द्वारा परिचालित किया जा रहा था.

बताया जा रहा है कि इन ट्रकों के जरिए जयरामनगर साइडिंग में फर्जी रिसीविंग दिखाकर कोयला बिलासपुर के निजी कोल डिपो में खपाया जा रहा था. तिवरता ट्रांसपोर्ट के खुद का कोल डिपो भी बिलासपुर जिले में मौजूद हैं, जिससे पूरे नेटवर्क पर संदेह और गहरा गया है.

कैसे होता है खेल?

बताया जा रहा है कि गेवरा से निकलने के बाद कोयले से लदे ट्रकों को जयरामनगर साइडिंग से कुछ दूर पहले ही रोक दिए जाता था. इस दौरान ट्रक में लगे जीपीएस सिस्टम को निकालकर मोटरसाइकिल पर लगा दिया जाता. जिसके बाद बाइक साइडिंग और ट्रक बिलासपुर डिपो पहुंचती थी. यानी कागजों में कोयला सही जगह पहुंच जाता था, जबकि असल में वह खुले बाजार में बेच दिया जाता था.

कई लोगों के शामिल होने की संभावना

निजी कंपनी के एक कर्मचारी ने बताया कि ड्राइवर अकेले इतना बड़ा खेल नहीं कर सकता. इसमें ट्रक मालिक, कोल लिफ्टर और सिस्टम के भीतर बैठे लोग शामिल रहते हैं. असल में जब तक तय लोकेशन पर ट्रक नहीं पहुंचता, तब तक टीपी क्लोज नहीं हो सकता. लेकिन फिर भी टीपी क्लोज हो रहा है, तो खेल बड़ा है.

ट्रक मालिक का दावा- सोमवार तक छोड़ी दी जाएगी गाड़ी

कंपनी प्रबंधन की शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. फिलाहाल थाने में 3 दिन से गाड़िया खड़ी हुई हैं, जो सिर्फ चोरी नहीं, बल्कि संगठित कोयला घोटाले की ओर संकेत कर रही है. वहीं ट्रक मालिक का कहना है कि उसकी गाड़ी रायपुर के लिए लोड थी और पुलिस जबरन दीपका थाना ले आई है. उसने यह भी दावा किया कि उसकी गाड़ी सोमवार तक छोड़ दी जाएगी.  हालांकि, दीपका थाना के एक निरीक्षक ने बिलासपुर के कोल डिपो में ट्रकों को पकड़ना यह संकेत देता है कि मामला सिर्फ चोरी का नहीं, बल्कि संगठित कोयला घोटाले का है.

अडानी पावर लिमिटेड, जयरामनगर साइडिंग और संबंधित विभागों के उच्च अधिकारी द्वारा मामले की अगर निष्पक्ष जांच होती है तो यह कोयला घोटाला कई लाखों रुपए का सामने आ सकता है. साथ ही सरकारी कर्मचारियों से लेकर कोल लिफ्टर, ट्रांसपोर्टर और बड़े कारोबारी नाम सामने आ सकते हैं.