Chhattisgarh News:  प्रतीक चौहान. बैकुंठपुर के जिस छोटे झाड़ की जमीन को तहसीलदार डॉ अमृता सिंह ने नामांतरण किया था, अब लल्लूराम में खबर प्रकाशित होने के बाद कोरिया कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए है. इसकी पुष्टि कलेक्टर ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में की है.

बता दें कि इस पूरे मामले की शिकायत कोरिया कलेक्टर से ऋषभ साहू नाम के व्यक्ति ने की थी. जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कोरिया जिले के बैकुंठपुर तहसील के ग्राम आनि की शासकीय भूमि खसरा नंबर 32 का उक्त तहसीलदार ने नामांतरण कर दिया. जबकि नियमों के मुताबिक ‘छोटे झाड़ के जंगल’ की जमीन को शासकीय उपयोग में लाने के लिए भी आदेश जारी नहीं किए जा सकते.

जो जमीन शासकीय उपयोग में नहीं आ सकता, वो भूमाफिया के नाम से कैसे हो गई ?

इस पूरे मामले में तहसीलदार के नामांतरण किए जाने पर कई सवाल उठ रहे है. सवाल ये है कि जो छोटे झाड़ की जमीन को अधिकारी जब शासकीय उपयोग के लिए भवन निर्माण के लिए नामांतरण नहीं कर सकते उस जमीन को कैसे और क्यों तहसीलदार ने नामांतरण कर दिया. सूत्र बताते है कि तहसील ऑफिस के कई लोगों ने अधिकारी को इसकी जानकारी दे दी थी. तहसील ऑफिस के एक सूत्र ने लल्लूराम को खसरा नंबर 32 के कुछ दस्तावेज लल्लूराम को उपलब्ध कराएं है. जिसमें ये लिखा हुआ है कि ये छोटे झाड़ की जमीन है, लेकिन इसमें छत्तीसगढ़ के निर्माण होने से पहले वर्ष 1997-1998 में विक्रय की अनुमति दी गई थी. अब सवाल ये है कि क्या तहसीलदार मध्य प्रदेश के शासनकाल के इस आदेश के आधार पर छोटे झाड़ की जंगल का नामांतरण वर्ष 2024 में कर सकती है ?

हालांकि अब इस मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए है, जिसके बाद ही स्पष्ट होगा इस मामले में तहसीलदार का शासकीय भूमि के भूमाफिया के नाम करने का आदेश सही है या गलत.  

कलेक्टर से की गई शिकायत

नामांतरण से जुड़े कुछ दस्तावेज, जो जांच में हो सकते है उपयोगी