CG News : पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. पूर्ववर्ती सरकार द्वारा गरियाबंद जिले में स्थापित किए गए 5 रीपा सेंटर (महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क) आज बदहाली का शिकार हैं. करीब 15 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार किए गए इन औद्योगिक पार्कों की देखरेख और क्रियान्वयन पूरी तरह शिथिल हो चुकी है. इन सेंटरों में दर्जनभर महिला स्व-सहायता समूहों ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत अतिरिक्त ऋण लेकर विभिन्न पैकेजिंग और निर्माण कार्य की शुरुआत की थी, लेकिन अब इन्हें किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिल रहा है.

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मैनपुर सेंटर में बिजली का बिल बकाया

मैनपुर के रीपा सेंटर में बिजली बिल का 1.20 लाख बकाया है. यहां मशीनें बंद पड़ जाने से पैकेजिंग और सिलाई जैसे काम ठप्प हो गए. फिर भी आय के लिए समूह ने महुआ खरीदी का काम किया, लेकिन देख रेख के अभाव में ढाई लाख का महुआ चोरी हो गया. चोरी के इस घटना के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने रीपा पर ध्यान देने की मांग उठाई. प्रशासन रीपा सेंटरों को पंचायत के अधीन करने की तैयारी कर रही है. 

जिला पंचायत गरियाबंद सदस्य संजय नेताम ने कहा कि रीपा में बहुत अव्यवस्था हो गई है.  यह एक रोजगार के लिए बहुत अच्छी व्यवस्ता थी, निश्चित तौर पर महिलाओं को आर्थिक रूप उसे मजबूत करने के लिए सरकार ने बहुत अच्छी शुरूआत की थी. पूर्वर्ती सरकार ने मैनपूर, देवभोग समेत पांच ब्लॉक में रीपा सेंटर के नाम से बनाया गया था. लेकिन आज बहुत ज्यादा दुर्दशा देखने को मिल रहा है. इसके लिए सरकार और जिला प्रशासन जिम्मेदार हैं. जिस तरह से इसका रख रखाव किया जाना था, वह नहीं हुआ. समूह की महिलाएं आज कहीं न कहीं दरदर भटक रही हैं, उनको बहुत ज्यादा नुखसान हुआ है। मैनपूर के रीपा सेंटर में महुआ, मशीन और पंखाचोरी हो गई है. बिजली कट गई हो गई है.  इन सबका जिम्मेदार कौन है. इस नुकसान की जिम्मेदारी को भरपाई करनी चाहिए. 

इस पूरे मामले पर सीईओ श्वेता वर्मा ने बताया कि रीपा के संबंध में अभी स्पष्ट कोई गाइडलाइन आई नहीं है। अभी वो संचालित हो नहीं पा रहा है, फिलहाल जिला पंचायस से निर्देश मिला है कि रीपा को संचालित करने के लिए पंचायत को जिम्मेदारी सौंप दी जाए. पंचायत अपनी राशि खर्च करेंगे. समूह के माध्यम से समूह की दीदियों को आजीविका अगर उपलब्द करवाने की भी कोशिश होगी. 

राष्ट्रीय आजीविका मिशन के मैंनपुर ब्लॉक समन्वयक हेमंत कुमार तिर्की का कहना है कि यहां राष्टीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उद्योग की पार्क, ग्राम पंचायत भाटीगड़ में समूह के माध्यम से 100 बोरी महुआ रखा गया था. इसकी मंशा थी कि महुआ खरीदने के पश्चात उसको दो गुना बेच कर कमाई और आजीविका को बढ़ाने के लिए प्रयास की कोशिश थी. देख रेख की जवाबदारी के लिए कोई गाइडलाइन नहीं थी. बाद में रीपा के गाइडलाइन के अनुसार रीपा को संचालन करने के लिए आगामी समय में ग्राम पंचायत को दिया जाना था. फिलहाल पंचायत को नहीं दिया जा सका है. सरपंच और पंच से चर्चा कर पंच बॉडी के साथ बैठक के बाद रीपा को सौंप दिया जाएगा. लगभग 1,30,000 बिजली बिल बकाया है, जो निर्माण कार्य के समय का है.