रायपुर. छत्तीसगढ़ जैसे खनिज संपन्न, कृषि प्रधान एवं औद्योगिक संभावनाओं से परिपूर्ण राज्य के लिए रेलवे नेटवर्क निश्चित तौर पर जीवनरेखा के समान है। राज्य के आर्थिक विकास, औद्योगीकरण, पर्यटन, रोजगार और ग्रामीण संपर्क को गति देने में रेलवे की अहम भूमिका होती है। इसी वजह से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में 2023 के शुरुआत से ही राज्य में रेलवे परियोजनाओं को गति दी जाने लगी है। उन्होंने न केवल वर्षों से लंबित योजनाओं को जीवंत किया, बल्कि उसमें नए आयाम भी जोड़े गए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री की सक्रियता और मोदी सरकार की विकासकारी नीतियों से तैयार होने वाला छत्तीसगढ़ का नया रेलवे नेटवर्क भारत के बड़े प्रोजेक्टस में से एक बन चुका है।

छत्तीसगढ़ में रेलवे की वर्तमान स्थिति को सुधारने में जुटी सरकार

छत्तीसगढ़ का रेलवे नेटवर्क तीन प्रमुख जोन में विभाजित है। पहला है दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR), जिसका मुख्यालय बिलासपुर है। दूसरा जोन है दक्षिण पूर्व रेलवे (SER), जिसमें कोरबा, रायगढ़ क्षेत्र शामिल है और तीसरा जोन है पूर्व तट रेलवे, ये बस्तर क्षेत्र को कवर करने वाला रेलवे जोन है।
फिलहाल छत्तीसगढ़ में लगभग 1100 रेलवे स्टेशन है, लेकिन इनकी पहुंच अभी भी कई आदिवासी, पहाड़ी और पिछड़े क्षेत्रों तक नहीं हो सकी है। राज्य के औद्योगिक नगरों जैसे कोरबा, रायगढ़, भिलाई, रायपुर, दुर्ग आदि को अधिक फ्रीक्वेंसी की जरूरत है। राज्य की इन्हीं जरूरतों को देखते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रेलवे परियोजनाओं को शीर्ष प्राथमिकता देने का काम किया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने पहले ही बजट में रेलवे को राज्य की प्राथमिक इंफ्रास्ट्रक्चर नीति में शामिल किया।ऐसा करने के पीछे उनके उद्देश्यों में शामिल है दूरस्थ क्षेत्रों को रेलवे से जोड़ना, औद्योगिक गलियारों को रेलवे से जोड़ कर लॉजिस्टिक लागत को घटाना, बस्तर और जशपुर जैसे पिछड़े क्षेत्रों में रेल संपर्क बढ़ाकर समावेशी विकास लाना, पर्यटन स्थलों को रेलवे से जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा देना और रेलवे आधारित रोजगार के अवसर बढ़ाना।केंद्रीय कैबिनेट की ओर से मंजूर खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा रेल प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ की रेल कनेक्टिविटी को बदलने वाला है । इस प्रोजेक्ट पर 8741 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इससे पूरे छत्तीसगढ़ को एक छोर से दूसरे छोर तक कवरेज मिलेगा । खरसिया-परमलकसा 5वीं-6वीं रेल लाइन छत्तीसगढ़ में रेल नेटवर्क को बहुत समृद्ध बना रहा है यह ओडिशा की सीमा से महाराष्ट्र की सीमा तक रेल नेटवर्क की सुविधा प्रदान करने वाली है।


साय सरकार में चालू और प्रस्तावित रेलवे परियोजनाएं

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में रेल्वे की कई पुरानी परियोजनाओं को पुनर्जीवित किया गया है और कई नई परियोजनाओं की घोषणा भी की गई है।₹3,800 करोड़ की प्रस्तावित लागत से निर्मित हो रही बिलासपुर-अंबिकापुर, 235 किमी लम्बी तीसरी रेल लाइन का निर्माण कार्य प्रगति पर है और 2027 तक इसके पूरा होने की संभावना है। इस रेल लाइन का उद्देश्य कोयला परिवहन में सुविधा और मालभाड़ा क्षमता में वृद्धि करना है। बस्तर को रायपुर से रेल मार्ग से जोड़ने के लिए तैयार 284 किमी लम्बी जगदलपुर-रायपुर रेलवे कॉरिडोर को DPR के बाद केंद्र सरकार से मंज़ूरी मिल चुकी है। प्रदेश को इस रेल लाइन से पर्यटन, रोजगार और रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति जैसे काफ़ी लाभ सम्भावित है।

निजी निवेश मॉडल के तहत NMDC और रेलवे का संयुक्त उपक्रम से तैयार हो रहा है खड़गांव-बैलाडीला खनिज रेल कॉरिडोर। इस प्रस्तावित रेल लाइन का उद्देश्य राज्य से लौह अयस्क परिवहन और निर्यात को बढ़ावा देने के साथ बस्तर क्षेत्र में उद्योग और रोज़गार को बढ़ाना है। बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की आपूर्ति में सुविधा के लिए कोरबा-अनूपपुर दोहरीकरण रेल्वे लाइन का काम संभवतः इसी साल पूरा कर लिया जावेगा। नए रेल्वे नेटवर्क से छत्तीसगढ़ के रायगढ़, जांजगीर चाँपा, बिलासपुर, बलौदा बाजार, दुर्ग और राजनांदगांव जैसे जिले जुड़ने वाले हैं। इसके तहत 21 स्टेशन बनेंगे, 48 बड़े ब्रिज और साथ ही 349 माइनर ब्रिज, 14 फ्लाईओवर और 184 अंडर पास का निर्माण होगा।

स्थानीय स्तर पर निवासियों को दिक्कत ना हो इसके लिए 5 रेल फ्लाईओवर भी निर्मित किए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट में 278 किलोमीटर रूट में 615 किलोमीटर लंबी पटरियां बिछाई जाएंगी। इस रूट के निर्माण के बाद 8 से ज्यादा मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन किया जाएगा । इस रेल नेटवर्क के निर्माण से करीब 22 करोड़ लीटर डीजल बचेगा और रेलवे को लगभग 2500 करोड़ रुपये के डीजल की बचत होगी । बलौदा बाजार और खरसिया जैसे सीमेंट उत्पादन के बड़े इंडस्ट्रियल हब भी इस नेटवर्क से जुड़ जाएंगे। स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए रेलवे अब बायपास पद्धति को अपना रही है। इसके तहत मालगाड़ी को शहर के बाहर से निकालने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं यात्री गाड़ियों को शहर के अंदर एंट्री दी जाएगी। साथ ही छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत कोसा सिल्क के उत्पादन वाले इलाके भी रेल लाइन के जरिए जुड़ेंगे। इसके चलते 2 करोड़ मानव दिवस रोजगार उत्पन्न होगा।

रायपुर रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण का काम PPP (Public-Private Partnership)मॉडल से तेज़ी से किया जा रहा है। ₹450 करोड़ की लागत से होने वाले आधुनिकीकरण के बाद रायपुर रेल्वे स्टेशन,मल्टी लेवल पार्किंग, शॉपिंग ज़ोन के साथ एयरपोर्ट सा महसूस होने वाला है। राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सहयोग से छत्तीसगढ़ का रेलवे बजट अब 22 गुना बढ़कर लगभग 6900 करोड़ से ज्यादा हो गया है। छत्तीसगढ़ में रेलवे का कुल निवेश 47 हजार करोड़ से अधिक है। इसके तहत 32 स्टेशनों का पुनर्निर्माण हो रहा है और इन्हें पूरी तरह नया बनाया जा रहा है। इनमें से कई स्टेशनों के विकास का कार्य इस साल के अंत तक पूरा हो जाने की पूरी-पूरी सम्भावना है। 


डबल इंजन की सरकार में छत्तीसगढ़ में रेलवे की क्रांतिकारी पहल

मुख्यमंत्री साय ने बस्तर में रेलवे कनेक्टिविटी को “विकास की रेखा” कहा है। वर्षों तक नक्सलवाद से जूझ रहे इस क्षेत्र में अब रेलवे के माध्यम से स्थायी विकास की नींव रखी जा रही है। दल्लीराजहरा से रावघाट नई लाइन पूरी होने वाली है । अब इसके आगे रावघाट से जगदलपुर रेल लाइन के डीपीआर बनाने का काम लगभग पूरा हो गया है।

नक्सल प्रभावित इलाकों में विश्वास बहाली और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए निर्माणाधीन जगदलपुर-दंतेवाड़ा-बीजापुर रेललाइन से सुरक्षा बलों की आवाजाही बढ़ेगी, आदिवासियों के लिए संपर्क सुविधा आसान होगी। वन उपज, खनिज और हस्तशिल्प उत्पादों की बाजार तक पहुँच के लिए बस्तर में पहली बार मालगाड़ियों का संचालन किया जाएगा जिससे आदिवासी उत्पादकों की बिक्री में वृद्धि होगी। वैसे ही गेवरा-पेन्ड्रा रोड नई लाइन पर भी तेजी से काम चल रहा है। साथ ही राजनांदगांव से नागपुर तीसरी लाइन, झारसुगड़ा से बिलासपुर चौथी लाइन, रायपुर-केन्द्री-धमतरी से अभनपुर-राजिम लाइन का गेज कन्वर्जन करके ब्रॉड गेज बनाया जा रहा है। राजनांदगांव से डोंगरगढ़ चौथी लाइन, जगदलपुर से कोरापुट की डबलिंग, धरमजयगढ़ से कोरबा नई लाइन, अनूपपुर से अंबिकापुर के दोहरीकरण के लिए पर्याप्त फंड दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ के लोगों ने जिन उम्मीदों के साथ डबल इंजन की सरकार बनाई है, उसे पूरा करने का काम भारतीय रेल कर रही है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि “जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार आई है, छत्तीसगढ़ में रेलवे से जुड़ा हजारों करोड़ का काम हो रहा है । नई परियोजना से छत्तीसगढ़ के अनेक जिले जुड़ते हैं, यह राज्य के लिए सौभाग्य की बात है । स्टेशनों के विकास के लिए सरकार ने करोड़ों का फंड दिया है, इससे रेलवे और छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदलेगी ।”
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को  धन्यवाद देते हुए कहा कि “खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा रेल परियोजना जैसी महत्त्वपूर्ण सौगात से छत्तीसगढ़ के विकास को एक नई गति मिलेगी। यह रेल परियोजना जांजगीर-चांपा, सक्ती, बलौदा बाजार, रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव जैसे प्रमुख जिलों को जोड़ेगी। इससे इन जिलों के नए अवसर मिलेंगे। लोगों को रोजगार मिलेगा।

बलौदाबाजार और जांजगीर अब उद्योगों के लिए नया हब बनकर उभरेंगे। यह क्षेत्र लाइमस्टोन (चूना पत्थर) से समृद्ध है। रेल संपर्क बेहतर होने से यहां सीमेंट उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। नया रायपुर तक सीधी रेल लाइन से राजधानी का संपर्क मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों से और बेहतर होगा। परियोजना से माल परिवहन तेज होगा, जिससे उद्योगों की लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी। इससे कृषि उत्पादों, खनिजों और निर्माण सामग्री के ट्रांसपोर्ट को भी बल मिलेगा। इससे नया रायपुर के विकास को नई दिशा और रफ्तार मिलेगी।” पिछली सरकारों की तुलना में मुख्यमंत्री साय की सरकार रेलवे परियोजनाओं में अधिक सक्रिय सहयोगी बनी है। रेल्वे के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी लाई गई है। राज्य और केंद्र की लागत साझेदारी (50:50 मॉडल) के आधार पर काम किया जा रहा है।
स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता देकर रोज़गार सृजन किया जा रहा है।

केंद्रीय सरकार और रेलवे मंत्रालय से समन्वय

विष्णुदेव साय के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से प्रगाढ़ संबंधों का लाभ राज्य को मिल रहा है। रायपुर में रेलवे कोच रिपेयर फैक्ट्री को स्वीकृति दी जा चुकी है, दुर्ग में ऑटोमोबाइल ट्रांसपोर्ट हब का निर्माण प्रस्तावित है, छत्तीसगढ़ में रेलवे भर्ती में राज्य युवाओं को प्राथमिकता देने का सुझाव भी दिया जा चुका है।


रेलवे परियोजनाओं के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव

रेलवे विस्तार का असर केवल यातायात नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक बदलाव ला रहा है। निर्माण कार्यों में हज़ारों स्थानीय लोगों को रोज़गार। स्टेशन विकास में निजी कंपनियों की भूमिका बढ़ी।स्टील, सीमेंट, थर्मल और एल्युमिनियम उद्योगों को लॉजिस्टिक्स सहायता। औद्योगिक निवेश बढ़ा, खासकर रायगढ़, कोरबा और भिलाई में।रेल्वे नेट वर्क के साथ राज्य के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की पूरी सम्भावना है। चित्रकोट जलप्रपात, कैलाश गुफा, सिरपुर जैसे स्थलों पर पर्यटकों की पहुँच आसान होगी। बस्तर संभाग में ‘बस्तर दर्शन’ जैसी विशेष ट्रेन सेवाएं भी प्रस्तावित हैं। रेलवे स्टेशनों के इर्द-गिर्द नए बाज़ार, होटल, ट्रांसपोर्ट सुविधा का भी विकास होगा।


चुनौतियां का किया जा रहा है डट कर सामना

छत्तीसगढ़ में रेलवे विस्तार में बहुत सी चुनौतियां सामने आई, जिसका राज्य की साय सरकार ने वेवेकपूर्वक समाधान ढूंढा है। भूमि अधिग्रहण में देरी के लिए प्रशासनिक समन्वय और पारदर्शिता से इसका समाधान ढूंढा गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की समस्या का समाधान CRPF, DRG और रेलवे सुरक्षा बल की संयुक्त योजना से निकाला गया। बजट की सीमाएं से सम्बंधित समस्या के निवारण के लिए PPP और CSR मॉडल को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री साय की दूरदृष्टि – भविष्य की परियोजनाएं

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आगामी वर्षों में जिन परियोजनाओं की योजना बनाई है, वे हैं जशपुर-रायगढ़ रेल लाइन ।इस रेल लाइन से पहली बार जशपुर को रेल संपर्क मिलेगा। महासमुंद से बलरामपुर तक ईस्ट-छत्तीसगढ़ रेलवे कॉरिडोर के विषय में भी काम किया जा रहा है , कोरबा में रेलवे कोच निर्माण यूनिट के साथ हर ज़िले में मॉडल रेलवे स्टेशन योजना पर भी विचार किया जा रहा है।


छत्तीसगढ़ में रेलवे विकास का स्वर्ण युग

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में रेलवे विकास अब केवल सरकारी रिपोर्टों तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीन पर दिखने वाली वास्तविकता बन चुका है। यह न केवल संपर्क और यातायात की सुविधा बढ़ा रहा है, बल्कि राज्य को औद्योगिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बना रहा है।रेलवे नेटवर्क के विस्तार से छत्तीसगढ़ जल्द ही भारत के लॉजिस्टिक हब के रूप में उभर सकता है। मुख्यमंत्री साय का ‘विकासवाद’ अब पटरी पर है, और यह सफ़र छत्तीसगढ़ को आत्मनिर्भरता की मंज़िल की ओर ले जा रहा है।