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मनमोहन अग्रवाल –
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार को आज 1 साल पूरे हो गये हैं , ये वक़्त है सरकार के एक साल के कृतित्व और नेतृत्व के व्यक्तित्व के आंकलन का ,मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश राजनीति के आकाश में धूमकेतू की तरह उभरे हैं भूपेश जी ने पहली बार तब सबको चौंकाया था जब उन्होनें सरकार बनते ही तुरंत किसानो की कर्ज़ माफी का एलान किया. भाजपा और यहाँ तक की जनता को भी ये उम्मीद नहीं थी कि चुनाव पुर्व किया गया ये वादा इतनी जल्दी पूरा हो जायेगा.
भूपेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये कयास भी लगने लगे थे कि इनकी आक्रामक शैली के कारण छत्तीसगढ़ की सामाजिक समरसता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और जातिवाद को बढावा मिलेगा लेकिन एक बार फिर सभी राजनैतिक प्रेक्षकों को चकित करते हुए भूपेश एक वर्ष में पूरी सद्भावना के साथ सभी समाजों में और सभी वर्गों में अपनी पैठ बनाने में सफल हुए हैं. अद्भुत राजनैतिक एवं सोशल इंजिनीयरिंग का परिचय देते हुए बिना किसी कटुता के उन्होने पिछ्ले एक साल में छत्तीसगढ़ की राजनैतिक फ़िजा में छत्तिसगढी तडका लगा दिया है, गेड़ी की सवारी , तीजा-पोला का त्योहार , कार्तिक पुन्नी का स्नान करते हुए भूपेश ने आम छत्तीसगढिया को अपने अंदर एक ठेठ छत्तीसगढिया दिल होने का यकीन करा दिया है.
भूपेश के काम करने की शैली कुछ ऐसी है कि उनके करीब रहने वाले भी ये अंदाज़ा नहीं लगा सकते कि वो अगले पल क्या करने जा रहे हैं, क्रिकेट के बैट से शॉट मारते हुए और पूरी कुशलता से हाकी की स्टिक पकड़े हुए भूपेश कुशल खिलाड़ी के रूप में दिखाई दिये लेकिन ये भी समझना होगा कि अकेला सचिन तेंदुलकर चाहे जितनी अच्छी बैटिंग कर ले जब तक पूरी टीम अच्छा नहीं खेलेगी मैच नहीं जीते जा सकते, एक साल गुजर जाने के बावजूद अभी तक सरकार, नौकरशाह और कांग्रेस संगठन के बीच वो सामन्जस्य और तालमेल नहीं दिख रहा है जो होना चाहिए.
वस्तुतः भूपेश जी ने चौंकाना तो तब से ही शुरु कर दिया था जब प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होनें जोगी पिता पुत्र को बाहर का रास्ता दिखा दिया था और अपनी इस बात को सही साबित कर दिखाया कि कांग्रेस की सरकार बनने में यही रोड़ा थे. भूपेश ने शंखनाद करके कांग्रेस के चुनाव प्रचार का आरम्भ किया था ,शंख बजाते हुए उनकी फोटो भी तब बहुत वायरल हुई थी, जानकर लोग जानते हैं कि शंख बजाना बहुत अभ्यास और फेफड़ो में ताकत मांगता है. इसी तरह हाथ में भौंरा चलाना, गेड़ी चढ़ना भी इतनी ही कुशलता मांगता है. जब पूरी मीडिया सामने हो तो ऐसे करतब कर गुजरना उनके आत्मविश्वास को बताता है. एक पुरानी पिक्चर त्रिशूल का संजीव कुमार का अमिताभ के लिये बोला हुआ एक संवाद याद आता है कि – “ताज्जुब ये नहीं है कि उसने ऐसा कर दिखाया,ताज्जुब ये है कि वो जानता था कि वो ऐसा कर सकता है”
एक हाथ में एक बच्चे को उठाये और उसे निहारते हुए भूपेश छत्तीसगढ़ के भविष्य को अपने मजबूत हाथों में थामे हुए दिखते हैं. बिना एक भी छुट्टी लिये पिछ्ले एक साल से वे प्रतिदिन लगभग 16 से 17 घन्टे काम कर रहे हैं. आज जब बरसों पुराने कांग्रेसी भी कांग्रेस की विचारधारा से भलीभांति वाकिफ़ नहीं हैं पूरे देश में अकेले छत्तीसगढ़ में गांधी विचार पदयात्रा के माध्यम से एक बार फिर आम जनता तक महात्मा गांधी को पंहुचाने की कोशिश की. अपनी कार्यशैली से भूपेश कांग्रेस के नये ओबीसी चेहरे और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में उभरे हैं जिसे दिल्ली कांग्रेस छत्तीसगढ़ के इतर अन्य राज्यों में भी चुनाव प्रचार के लिये उपयोग में ला रही है.
यहाँ भूपेश जी के परिवार का ज़िक्र किए बगैर ये चर्चा अधुरी रहेगी, एक साल बाद भी उनका परिवार पूर्ववत भिलाई-3 के अपने निवास में ही रहता है और मुख्यमंत्री जी परिवार से दूर अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करते हुए रायपुर मुख्यमंत्री निवास में रहते हैं. मुख्यमंत्री निवास में रहने का आकर्षण उनकी धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल को कतई आकर्षित नहीं कर सका है. शायद वो इतिहास की पहली महिला होंगी जिसका पति मुख्यमंत्री है और उनके पिता स्वर्गीय नरेंद्र देव वर्मा के रचित गीत “अरपा पैरी के धार” को छत्तीसगढ़ के राज्यगीत बनने का गौरव प्राप्त हुआ है और वे सत्ता के आकर्षण और चकाचौंध से दूर रह्ते हुए पूर्ववत अपनी गृहस्थी में संलग्न हैं.
भूपेश जी की इस विजय पताका के पीछे कहीं उनकी धर्मपत्नी मुक्ति देवी की मौन साधना है. इस सरकार ने तेज़ी से कई फैसले लिये हैं लेकिन उन्हें धरातल पर अमली जामा तक पंहुचाने की चुनौती अभी बाकी है, एक साल का ये पहला पड़ाव मात्र है, स्वस्थ, समृद्ध, खुशहाल छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिये लम्बा सफ़र अभी बाकी है. भूपेश जी को और इस सरकार को शुभकामनायें देते हुए अभी हम इतना ही कहेंगे. सितारों से आगे जहां और भी हैं. अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं.
लेखक- वरिष्ठ समाजवादी नेता