रायपुर- छत्तीसगढ़ पुलिस अब टेक्नालाॅजी के जरिए अपराध पर नियंत्रण लगाने की कवायद में जुट गई है. क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) को बेहतर बनाने के लिहाज से डीजीपी डी एम अवस्थी ने आला अधिकारियों के साथ अहम बैठक की है. गौर करने वाली बात यह है कि सीसीटीएनएस पहले से ही लागू है, लेकिन बीते पांच सालों में इसकी उपयोगिता को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई. पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारी बताते हैं कि सीसीटीएनएस को लेकर पिछली सरकार के दौरान एक भी महत्वपूर्ण बैठकें नहीं बुलाई गई.
डीजीपी डी एम अवस्थी ने पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों को बुलाकर सीसीटीएनएस के बेहतर क्रियान्वयन को लेकर निर्देशित किया है. आईपीएस प्रशांत अग्रवाल सीसीटीएनएस के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी देख रहे हैं. लल्लूराम डाट काम से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि पुलिस वर्किंंग को आनलाइन किए जाने की दिशा में यह बेहद जरूरी कदम है. इस सिस्टम में 30 लाख रिकार्ड डिजिटलाइस करने के बाद इसका डाटाबेस अपलोड किया जा चुका है. 15 हजार अपराधियों का ब्यौरा भी इस डाटाबेस में शामिल किया गया है. इस डाटाबेस के जरिए अपराधों की जांच के दौरान अहम मदद मिल सकेगी. साथ ही पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान भी ये बेहद कारगर साबित होगा. साथ ही अपराध नियंत्रण के लिए यह तकनीक कारगर साबित होगी. डी एस अवस्थी ने लल्लूराम डाट काम से हुई बातचीत में कहा कि –
पुलिसिंग को टेक्नालाॅजी के जरिए इंप्रुव करने का काम तेजी से चल रहा है. अपराधों पर नियंत्रण के लिए सीसीटीएनएस बेहद महत्वपूर्ण तकनीक है. हमने पहले से तैयार एक बेहतर सिस्टम का कभी सही ढंग से उपयोग नहीं किया था, लेकिन अब हम टेक्नालाॅजी के जरिए पुलिसिंग को बेहतर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
क्या है सीसीटीएनएस?
सीसीटीएनएस यानी क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम है. इस परियोजना के तहत पुलिस स्टेशनों को कंप्यूटरीकृत किया जाना है, जिनसे अपराध और अपराधियों के बारे में सूचना का डाटाबेस शेयर किया जा सकेगा. साथ ही इसका उद्देश्य यह भी है कि पुलिस स्टेशनों के कामकाज को स्वचालित करके पुलिस को नागरिकों के अनुकूल और अधिक पारदर्शी बनाया जा सके.