रायपुर। प्राकृतिक संसाधनों और खनिज संपदा से भरपूर एक समृद्ध राज्य है छत्तीसगढ़, जो अब तेज़ी से अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने सुशासन की मिसाल कायम करते हुए “विकास और विश्वास” की नीति को आत्मसात किया है। राज्य के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए सड़क और रेल नेटवर्क का विस्तार प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है।


रेलवे परियोजनाओं में विशेष रूप से कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन का सर्वे और निर्माण कार्य केंद्र सरकार की मंज़ूरी के बाद रफ्तार पकड़ चुकी है। यह परियोजना छत्तीसगढ़ के लिए न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि बस्तर जैसे दुर्गम क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक कायाकल्प का माध्यम भी बनने वाली है।

कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन
कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन परियोजना छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को जोड़ने वाली एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। यह लाइन बस्तर संभाग के अंदरूनी क्षेत्रों को सीधे कोठागुडेम, तेलंगाना के कोयला एवं औद्योगिक केंद्रों से जोड़ने का काम करेगी। प्रस्तावित इस रेललाइन की लंबाई लगभग 160.33 किलोमीटर है।इस रेल लाइन के सम्भावित मुख्य स्टेशन होंगे कोठागुडेम, भद्राचलम, सुकमा, कोंटा, दंतेवाड़ा, किरंदुल जिसका लाभ सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, जगदलपुर समेत समूचे बस्तर को होने वाला है। इस रेललाइन का उद्देश्य खनिजों के परिवहन, औद्योगिक कनेक्टिविटी और नागरिक आवागमन को सुगम बनाना है। विशेष रूप से बस्तर अंचल को देश के औद्योगिक तंत्र में जोड़ने का सपना साकार हो सकेगा।

कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का मानना है कि “बस्तर की समृद्धि वहां की कनेक्टिविटी में छिपी है।” उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही रेलवे मंत्रालय और केंद्र सरकार के साथ समन्वय बनाकर कोठागुडेम–किरंदुल परियोजना को प्राथमिकता दिलवाई।
मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रुचि लेते हुए केंद्र सरकार के समक्ष इस रेललाइन की रणनीतिक महत्ता को प्रस्तुत किया और इसे नक्सल प्रभावित इलाकों में सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए अहम बताते हुए कहा कि “कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन केवल एक रेल परियोजना नहीं, बल्कि यह बस्तर के भीतर उम्मीद, विकास और विश्वास की पटरी बिछाने का कार्य है। यह रेलमार्ग नक्सल प्रभावित सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों के लिए सामाजिक और आर्थिक बदलाव का द्वार खोलेगा, जहाँ के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षों से रेल कनेक्टिविटी एक सपना रही है। हम केंद्र सरकार के सहयोग और भारतीय रेल के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिनके समन्वय से यह सपना साकार हो रहा है।” केंद्र सरकार ने 2025 की शुरुआत में इस परियोजना के लिए सर्वेक्षण को मंजूरी दी और अब निर्माण चरण प्रारंभ हो चुका है।
परियोजना की राह में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की भी साय सरकार की पूरी तैयारी
“कोठागुडेम–किरंदुल रेललाइन पहाड़ी, जंगल और नक्सल प्रभावित इलाकों से होकर गुजरेगी। इसलिए इसमें उन्नत तकनीक, सुदृढ़ सुरक्षा, और विशेष निर्माण पद्धतियों की आवश्यकता होगी। इसके लिए सुरंगों, पुलों और ऊँचे प्लेटफॉर्म्स का निर्माण किया जा रहा है।
इस परियोजना से प्रभावित होने वाले ग्रामीणों के लिए राज्य सरकार ने विशेष पुनर्वास नीति बनाई है, जिससे विस्थापन न्यूनतम हो और स्थानीय लोगों को रोजगार मिले।इस रेललाइन को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि वह माल और यात्री दोनों सेवाओं के लिए सक्षम हो। इस मार्ग से खनिज, लकड़ी, कृषि उत्पादों की ढुलाई बेहद आसान हो जाएगी।
कोठागुडेम–किरंदुल रेललाइन से बस्तर क्षेत्र किस- किस तरह से होगा संभावित लाभान्वित
बस्तर का दंतेवाड़ा और किरंदुल क्षेत्र लौह अयस्क, बॉक्साइट जैसे खनिजों के लिए प्रसिद्ध हैं। रेललाइन से इनका सीधे परिवहन होगा, जिससे कंपनियों को लागत में कमी और राज्य को राजस्व में वृद्धि होगी। बस्तर के ग्रामीण किसान अब अपने उत्पाद जैसे मक्का, हल्दी, तेंदूपत्ता आदि बड़े शहरों में आसानी से भेज सकेंगे। बस्तर का प्राकृतिक सौंदर्य, जनजातीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। रेल सुविधा मिलने से देश-विदेश से पर्यटक इन स्थलों तक आसानी से पहुंच सकेंगे। कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन परियोजना निर्माण के दौरान और बाद में रेलवे स्टेशनों, रखरखाव केंद्रों, सुरक्षा आदि में हज़ारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने रेलवे मंत्रालय से आग्रह किया है कि प्राथमिकता स्थानीय युवाओं को दी जाए।
नक्सल उन्मूलन में भी सहयोगी होगी कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन
रेल कनेक्टिविटी से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेज़ विकास होगा, जिससे नक्सलवाद को सामाजिक आधार नहीं मिलेगा। इससे पुलिस और सुरक्षा बलों की आवाजाही भी सुगम हो सकेगी। कहा जा सकता है कि नक्सलवाद को रौंदती हुई गुजरने वाली है कोठागुडेम-किरंदुल रेल लाइन। देश के सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली है यह रेल लाइन। इस प्रस्तावित रेललाइन का 138.51 किमी हिस्सा छत्तीसगढ़ के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे नक्सल प्रभावित जिलों के विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुजरेगा, जो अब तक रेल कनेक्टिविटी से वंचित रहे हैं। यह परियोजना न केवल आवागमन को सरल बनाएगी, बल्कि इन जिलों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
परियोजना के लिए धन आवंटन और केंद्रीय सरकार का सहयोग
कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन परियोजना के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ने संयुक्त रूप से बजट निर्धारित किया है। इसके अलावा, कुछ खनन कंपनियां (जैसे NMDC, SECL) CSR फंड से सहयोग कर रही हैं।
प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है रेललाइन परियोजना
कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के अंतर्गत रखा गया है, जिससे विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय आसान हुआ है और निर्णय प्रक्रिया में तेज़ी आई है।
कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन परियोजना की वर्तमान स्थिति
इस परियोजना के लिए सर्वेक्षण कार्य 2024 के अंत तक पूरा कर लिया गया है। इसमें जमीन का आंकलन, पर्यावरणीय मूल्यांकन और इस परियोजना का सामाजिक प्रभाव भी विश्लेषण शामिल रखा गया। 2025 की पहली तिमाही से भूमि अधिग्रहण का कार्य तेज़ी से शुरू हुआ। पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कई स्तर पर ग्राम सभाएं आयोजित की गईं। कुछ खंडों में पटरियों का बिछाव कार्य भी शुरू हो चुका है। अन्य भागों में सुरंग और पुल निर्माण कार्य चल रहा है।
कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन परियोजना से स्थानीय लोग हैं आशान्वित
कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन के बारे में स्थानीय लोगों में अत्यंत उत्साह है क्योंकि वर्षों से अलग-थलग पड़े गांव अब मुख्यधारा से जुड़ने को तैयार हैं।
सरकार ग्राम सभाओं और जागरूकता अभियानों के जरिये जनजातीय समाज को इस विकास में सहभागी बनाने का काम कर रही है। रोजगार प्रशिक्षण और आत्मनिर्भर समूहों को भी इस परियोजना से जोड़ा गया है जिससे स्थानीय युवा वर्ग प्रसन्न है।
कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन परियोजना को लेकर राज्य सरकार की भावी योजनाएं
विष्णुदेव साय सरकार बस्तर को “ट्राइबल ट्रेड हब” के रूप में विकसित करना चाहती है, जिसमें रेलवे की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी। जंगल उत्पादों की प्रोसेसिंग यूनिट, हाट बाजार और ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का निर्माण इसी रेल नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार की योजना है कि इस रेललाइन को आगे चलकर रायपुर, विशाखापट्टनम, और नागपुर से जोड़ा जाए। इससे छत्तीसगढ़ दक्षिण भारत के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों से रेलवे के जरिये सीधे जुड़ जाएगा।रेलवे द्वारा अत्याधुनिक लिडार तकनीक के माध्यम से सर्वे कार्य किया जा रहा है। कोठागुडेम-किरंदुल रेललाइन परियोजना का निर्माण कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार की देख रख में किया जा रहा है जो आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
आवश्यक निर्देशों, समन्वय और सहयोग के लिए भारतीय रेल विभाग ने छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया है।निसंदेह यह रेलमार्ग भविष्य में बस्तर अंचल के लिए सुरक्षा, समावेशन और समृद्धि का प्रतीक बनने जा रहा है। यह परियोजना केवल एक रेललाइन नहीं है, बल्कि यह विकास की पटरी है, जिस पर चढ़कर बस्तर और छत्तीसगढ़ भविष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
इससे ना केवल बस्तर की आर्थिक तस्वीर बदलेगी, बल्कि सामाजिक समरसता, शांति और विकास का एक नया अध्याय भी प्रारंभ होगा। यह रेललाइन आने वाली पीढ़ियों के लिए विकास का एक मज़बूत आधार बनने वाली है।
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