Chhattisgarh Rajya Utsav 2025: राजधानी रायपुर की जीवन रेखा कही जाने वाली खारुन नदी अब सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि शहर के पर्यावरण और पर्यटन की नई पहचान बनने जा रही है. नए मास्टर प्लान 2031 में खारुन के किनारे वाले 18 किलोमीटर लंबे क्षेत्र को ग्रीन लैंड जोन के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया है. इसका मकसद बढ़ते शहरीकरण के बीच हरियाली बचाना, नदी के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखना और शहरवासियों को स्वच्छ व मनोरंजक वातावरण देना है. (Kharun River Front Master Plan)


टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अनुसार, वर्ष 2031 तक रायपुर जिले की जनसंख्या 30 लाख के करीब पहुंच सकती है. लगातार फैलते शहरी इलाकों ने शहर की हरियाली को काफी हद तक सीमित कर दिया है. पुराने बाग-बगीचे, खेत और नदी किनारे के खुले क्षेत्र अब कंक्रीट में बदलते जा रहे हैं. इस स्थिति को सुधारने के लिए मास्टर प्लान में खारुन किनारे के इलाकों को ग्रीन लैंड के रूप में सुरक्षित रखने का प्रावधान किया गया है. यहां किसी तरह के व्यावसायिक या औद्योगिक निर्माण की अनुमति नहीं होगी. अधिकारियों के मुताबिक, “खारुन किनारे का पूरा इलाका अब हरियाली और मनोरंजन के हिसाब से विकसित किया जाएगा, जिससे शहर की हवा स्वच्छ हो और नागरिकों को राहत मिले. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में समीक्षा बैठक में अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि “अलग-अलग विभागों के बीच समन्वय बनाकर इस योजना पर तेजी से धरातल पर काम शुरू किया जाए. (Chhattisgarh Rajya Utsav 2025)
पहले दो प्रयासों में कागजों में सीमित रहे प्रोजेक्ट (Chhattisgarh Rajya Utsav 2025)
पहला : भाजपा सरकार का 1000 करोड़ का प्लान (2009-2012)
डॉ रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) ने खारुन रिवर फ्रंट डेक्लपमेंट का खाका तैयार किया था. गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर 1,000 करोड़ रुपए की परियोजना बनाई गई थी. ड्राइंग डिजाइन और सर्वे पर करीब 48 लाख रुपए खर्च किए गए, पर जब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई तो किसानों ने विरोध किया क्योंकि उनकी जमीनें और फार्म हाउस परियोजना की सीमा में थे. परिणामस्वरूप योजना ठंडे बस्ते में चली गई.
दूसरा प्रयास : कांग्रेस सरकार की घोषणा (2018-2023)
भूपेश बघेल सरकार ने 2018 में महादेवघाट से कुम्हारी तक नदी के दोनों किनारों को विकसित करने की घोषणा की. नगर निगम और स्मार्ट सिटी की पहले चरण में 4 किमी क्षेत्र का काम सौंपा गया, पर विभागीय समन्वय की कमी से यह प्रोजेक्ट भी आगे नहीं बढ़ पाया. फिर सरकार बदल गई. पुरानी योजना को लेकर नई सरकार में कोई मंथन ही नहीं हुआ. हालांकि मास्टर प्लान में खारुन के किनारे के 18 किमी क्षेत्र में हरियाली विकसित करने की योजना बन गई.
तीसराः अब विष्णु सरकार ने थामी योजना की कमान
अब विष्णुदेव साय सरकार ने इस योजना को आगे बढ़ा रही है. नगर निगम रायपुर ने नया ड्राइंग-डिजाइन तैयार किया है. पहले चरण के लिए 20 करोड़ रुपए बजट स्वीकृत है. पहला चरण महादेवघाट चौक से मंदिर परिसर तक होगा. घाटों के सौंदर्याकरण, पैदल पथ, लाइटिंग, गार्डन व धार्मिक महत्व वाले स्थानों के विकास पर फोकस किया गया है. इसका नाम महादेवघाट कॉरिडोर होगा.
रिवर फ्रंट के साथ पैरेलल सड़क भी
नए प्लान के तहत खारुन के तट से महादेवघाट से लेकर कुम्हारी तक 18 किमी क्षेत्र को मनोरंजक व हरित जोन में विकसित करने की तैयारी है. यहां रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट और पैरेलल सड़क निर्माण दो प्रमुख योजनाएं हैं. (Kharun River Front Master Plan)
साबरमती की तरह यहां भी रिवर फ्रंट डेवलप
गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर खारुन रिवर फ्रंट विकसित किया जाएगा. यहां छोटे-छोटे गार्डन, वॉकिंग ट्रैक, झूले, ओपन थिएटर और धार्मिक स्थलों तक जाने के लिए कॉरिडोर तैयार किया जाएगा.
पैरेलल रोड कनेक्टिविटी
नदी के किनारे 18 किमी लंबी पैरेलल सड़क बनाएंगे, जिससे रायपुर से कुम्हारी तक लगने वाला समय 45 मिनट से घटकर सिर्फ 10-15 मिनट रह जाएगा. इससे रायपुर-भिलाई और दुर्ग की कनेक्टिविटी में तेजी आएगी.
स्थानीय समुदाय को भी जोड़ा जाएगा
इस प्रोजेक्ट में स्थानीय युवाओं और ग्राम समितियों को भी शामिल किया जाए. महादेवघाट, काठाडीह, भाठागांव, सेजबहार जैसे क्षेत्रों में ग्रीन गार्डन, फूड कॉर्नर और सांस्कृतिक स्थल बनाए जाएंगे. स्थानीय कारीगरों और महिला समूहों को यहां हस्तशिल्प और लोककला बाजार चलाने का अवसर दिया जाएगा. (Kharun River Front Master Plan)

