अभिषेक सेमर, तखतपुर। छत्तीसगढ़ के राजस्व प्रशासन में इन दिनों एक दिलचस्प मोड़ देखने को मिल रहा है। तहसीलदारों के कलमबंद आंदोलन के चलते जहां हजारों ग्रामीण हितग्राहियों और पक्षकारों का कार्य प्रभावित हुआ है, इसी बीच भू-अभिलेख संघ ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर संवर्ग समायोजन की मांग की है.
छत्तीसगढ़ राजस्व भू-अभिलेख अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, वित्त मंत्री एवं मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश की तर्ज पर अधीक्षक भू-अभिलेख और तहसीलदार संवर्ग को एकीकृत करने की मांग दोहराई है। संघ ने तर्क दिया है कि जब कार्य और वेतनमान लगभग समान हैं, तो अलग-अलग संवर्ग बनाए रखना न तो व्यावहारिक है और न ही वित्तीय दृष्टि से उचित।

संघ ने की मध्यप्रदेश के तर्ज पर समायोजन की मांग
मध्यप्रदेश सरकार ने जून 2025 में अपने भू-अभिलेख विभाग में व्यापक पुनर्गठन करते हुए अधीक्षक व सहायक अधीक्षक भू-अभिलेखों को तहसीलदार और नायब तहसीलदार संवर्ग में समायोजित कर दिया। साथ ही, दो पृथक निदेशालयों को मिलाकर ‘आयुक्त भू-संसाधन प्रबंधन’ के तहत नया ढांचा खड़ा किया गया।
इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ में इसी तरह का प्रस्ताव वर्षों से विचाराधीन है, लेकिन अब तक फाइलें अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा में धूल फांक रही हैं। संघ का कहना है कि यदि राज्य सरकार मध्यप्रदेश की तर्ज पर समायोजन करती है तो इससे न केवल विभागीय संतुलन आएगा, बल्कि प्रशासनिक खर्च में भी कटौती होगी।
तकनीक ने बदला भू-अभिलेख का स्वरूप
संघ ने यह भी रेखांकित किया है कि आधुनिक तकनीक जैसे डिजिटल सर्वे, जीआईएस मैपिंग और ड्रोन के चलते अब मैनुअल नापजोख की आवश्यकता न्यूनतम हो गई है। ऐसे में तकनीकी स्टाफ के पृथक पदों की प्रासंगिकता भी घट रही है।
तहसीलदारों की 17 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच अधीक्षक संवर्ग की यह पहल उनके लिए अप्रत्याशित चुनौती बन गई है। अधीक्षक भू-अभिलेखों को वैकल्पिक रूप से तहसीलदार के रूप में कार्यभार सौंपे जाने से तहसीलदार संघ के आंदोलन की नैतिक वैधता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या सरकार तहसीलदारों की मांगों पर विचार करेगी या अधीक्षकों के पक्ष में फैसला लेगी।
छत्तीसगढ़ राजस्व भू-अभिलेख अधिकारी संघ का पत्र


अब देखना यह होगा कि मध्य प्रदेश के इस सुधारात्मक कदम से छत्तीसगढ़ सरकार कोई प्रेरणा लेती है या नहीं। फिलहाल तो यहां की फाइलें धूल खा रही हैं और अधिकारी सिर्फ इंतज़ार कर रहे हैं।
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