रायपुर। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह ने कहा कि है कि छेरछेरा पर्व में जिस प्रकार अन्न दान करते है, उसी प्रकार सबसे बड़ा दान बच्चों को शिक्षा का महादान करने का प्रण शिक्षक लें। डॉ. टेकाम आज यहां निष्ठा एवं शिक्षक दक्षता संवर्धन प्रशिक्षण के प्रथम चरण के समापन अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। प्रथम चरण में 600 राज्य रिसोर्स पर्सन्स और की-रिसोर्स पर्सन्स को पांच दिन निष्ठा और दो दिन राज्य की अवश्यकता के अनुसार शिक्षक दक्षता एवं संवर्धन का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद प्रतिभागी जिला और विकासखंड स्तर पर सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देने के कई आयाम हो सकते है। बच्चों में वैज्ञानिक सोच एवं पर्यावरण चेतना विकसित करने के लिए सरकार की नई सोच नरवा, गरवा, घुरवा और बारी के साथ जीवन की चुनौतियों का भी पढाई में समावेश करना चाहिए। गणित, विज्ञान, पर्यावरण के विषय में भी पढ़ाई को रोचक बनाया जा सकता है। कक्षा में शिक्षक का प्रस्तुतिकरण ऐसा होना चाहिए कि वह बच्चों को समझ में आए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार ऊंची मंजिल के भवन निर्माण के लिए नींव का मजबूत होना जरूरी है, उसी प्रकार बच्चों की शिक्षा की नींव मजबूत होना राज्य और देश के विकास के लिए बेहतर होगा। डॉ. टेकाम ने कहा कि अब स्कूलों में प्रशासकीय कसावट के लिए संकुल स्तर पर प्राचार्यो को और अधिक अधिकार सम्पन्न बनाया जाएगा। छत्तीसगढ़ में राज्य स्तरीय आकलन का बड़ा काम सभी के सहयोग से हुआ है। राज्य स्तरीय आकलन में हर बच्चे के शैक्षणिक स्तर के आंकड़े उपलब्ध है, जिसके आधार पर बच्चे की मदद की जा सकती है।

स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने कहा कि चित्रों और कहानियों के माध्यम से अच्छी बातें सिखाई जा सकती है और नकारात्मक बातों को रोका जा सकता है। बच्चे स्कूल आ रहे है तो वह कुछ सीखे और काबिल बनकर जाएं। उनके पालकों के जो सपने हैं, राज्य के विकास को लेकर वह उसे पूरा कर सके। उसकी महत्ता और आवश्यकता को समझे। उन्होंने कहा कि योजना के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलता की ओर बढ़ते दिख रहा है। पंचायत चुनाव, राज्य स्तरीय वार्षिक आंकलन, जनगणना कार्यवाही के बाद अगला प्रशिक्षण मई माह में विकास खण्ड स्तर पर होना है। उन्होंने कहा कि सभी प्रतिभागी प्रशिक्षण सामग्री का बार-बार अभ्यास करें और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद तथा विशेषज्ञ टीम के सतत संपर्क में रहे। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ चुनिंदा राज्य है, जहां शत-प्रतिशत प्रतिभागियों द्वारा प्रशिक्षण लिया गया है। छत्तीसगढ़ में सभी शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर ऊंचा उठाने का प्रयास करें। कार्यक्रम में शिक्षक दक्षता संवर्धन प्रशिक्षण की गतिविधियों में गणित समूह द्वारा समाचार पत्र की खबर के आधार पर विषय को पढ़ाने की रोचक प्रस्तुति कोरबा जिले के श्री कुम्देश गोभिल ने दी इसी प्रकार अंग्रेजी विषय की गतिविधि की प्रस्तुति डॉ. शिशिर कर्णा भट्टाचार्य ने दी।

इस अवसर पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की अतिरिक्त संचालक डॉ. सुनीता जैन, संयुक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे, केपीएनजी की संचालक चारू मल्होत्रा, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की उप संचालक पुष्पा किस्पोट्टा, विद्या चंद्राकर सहित स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।