रायपुर। यह सुनिश्चित करने के लिए कि COVID-19 के दौरान भी बच्चे सीखते रहें और सार्थक रूप से व्यस्त रहें, आज “सीख” कार्यक्रम की यहां शुरुआत की गयी। “सीख” कार्यक्रम स्वयंसेवकों  के नेतृत्व में राज्य सरकार और यूनिसेफ का एक संयुक्त प्रयास है । इसका परिचालन राज्य के 10 जिलों में 8,000 से अधिक युवा स्वयंसेवक (सीख  मित्रों ) के साथ हो रहा है।

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, ने कहा, “यूनिसेफ और सूरजपुर जिला प्रशासन द्वारा संचालित सीख कार्यक्रम निश्चित रूप से डिजिटल गैप को कम करेगा तथा सुनिश्चित करेगा कि बच्चों की शिक्षा सीख मित्रों और समुदाय के स्वयंसेवक की मदद से जारी रहे।“

छत्तीसगढ़ में यूनिसेफ के प्रमुख जॉब ज़करिया ने कहा कि “राज्य ने सामुदायिक स्तर पर बच्चों के सीखने को सुनिश्चित करने के लिए देश में एक अद्वितीय मॉडल “सीख ” का प्रदर्शन किया है। “सीख” में चार मुख्य विशेषताएं हैं। सबसे पहले, इसमें प्रत्येक गाँव के लिए स्वयंसेवकों का एक कैडर होता है, जिसे ‘सीख मित्र’ के रूप में जाना जाता है। दूसरा, कार्यक्रम सामुदायिक स्तर पर बच्चों के सीखने को सुनिश्चित करता है, दिन में कम से कम 2 घंटे। तीसरा, यह ‘डिजिटल डिवाइड’ को कम करता है क्योंकि इंटरनेट या स्मार्ट फोन की आवश्यकता नहीं होती है। चौथा, शिक्षण मातृभाषा या स्थानीय / आदिवासी भाषा में किया जाता है । यह मॉडल अन्य राज्यों द्वारा अनुकरण किया जा सकता है।”

“सीख” कार्यक्रम साक्षरता मिशन और शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार और यूनिसेफ का एक संयुक्त प्रयास है । इस पहल से सरकार के प्रयासों जैसे कि “पढाई तुहार द्वार” को और भी मजबूत मिलेगी तथा बच्चों के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्मार्ट फोन के अभाव में भी सीखने के अवसर उपलब्ध हो पाएंगे ।

मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि COVID -19 और लॉकडाउन के दौर में बच्चों की स्कूली शिक्षा बाधित न हो इस हेतु छत्तीसगढ सरकार ने  कक्षा 1 से 10वीं तक के छात्रों के लिए कई कार्यक्रम लांच किये हैं । किन्तु दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में मोबाइल व नेटवर्क की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण कुछ बच्चे ऑनलाइन पढाई का लाभ लेने से वंचित हो रहे है और ये सबसे बड़ी चुनौती है ।

उन्होंने यूनिसेफ और उसके साथी संगठनों समर्थ चैरिटेबल ट्रस्ट और प्रयोग सेवा संस्था के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा की इस कार्यक्रम से स्मार्ट फोन और इंटरनेट की उपलब्धता ना होने पर भी बच्चों का सीखना जारी रखा जा सकता है ।

“सीख” कार्यक्रम में सूरजपुर के ओडगी ब्लॉक से 187 स्वयंसेवक शामिल हुए हैं और उनकी मदद से 64 ग्राम पंचायतों के बच्चे सरकार के “पढाई तुमहार द्वार” से जुड़ पाए हैं।

“सीख” कार्यक्रम ऑनलाइन के साथ साथ मानवीय संपर्क से उन बच्चों तक पहुंचता है जिनके पास स्मार्टफोन या इंटरनेट कनेक्शन की उपलब्धता नहीं है । इसके लिए सीख- मित्र या समुदाय-आधारित स्वयंसेवक अपने समुदायों में बच्चों का पढाई में सहयोग करते हैं । एक सीख पिटारा भी स्वयंसेवकों के पास होता है जिससे भाषा, गणित, विज्ञान और खेल में विभिन्न गतिविधियों का संचालन करने में मदद मिलती है ।

सीखकार्यक्रम के बारे में

“सीख” कार्यक्रम साक्षरता मिशन और शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार और यूनिसेफ का एक संयुक्त प्रयास है । वर्तमान में सीख कार्यक्रम  छत्तीसगढ़ के 10 जिलों में (रायपुर, सूरजपुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर, बीजापुर ,सुकमा , जशपुर, धमतरी, रायगढ़) में  संचालित किया जा रहा है l