सत्यपाल राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर में शनिवार को नरवा गरवा घुरवा बारी, कब आही कर्मचारी के बारी गूंजा. दरअसल छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर एक जंगी रैली निकाली. कर्मचारियों ने मांगों को लेकर सरकार का यह नारा लगाया. इस आंदोलन में राज्य के सभी जिलों से सैकड़ा कर्मचारी-अधिकारी पहुंचे थे. आंदोलनकारियों का यह तृतीय चरण का महारैली है. रैली में  संस्कारधानी के शासकीय सेवकों ने रायपुर महारैली में शामिल होकर जंगी धरना प्रदर्शन किया. वहीं राजनांदगांव से भी 600 से अधिक कर्मचारी अधिकारी 150 वाहनों से पहुंचे थे.

फेडरेशन के आव्हान पर बूढ़ातालाब के धरना स्थल पर राज्य के कोने कोने से कर्मचारी-अधिकारियों ने सरकार के नीति के विरुद्ध धरना प्रदर्शन किया एवं महारैली आयोजित कर अपने एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन किया. धरना प्रदर्शन में लगभग15 हजार से अधिक कर्मचारियों ने सरकार के विरुद्ध हल्ला बोला.

गौरतलब है कि दोपहर 12 बजे से ही बस्तर,सरगुजा,बिलासपुर रायपुर एवं दुर्ग संभाग के सभी जिलों से कर्मचारियों का बूढ़ा तालाब में इकट्ठा होने का सिलसिला जारी रहा. आंदोलनकारियों के जमावड़ा के चलते आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया था.

आमसभा में शिक्षक संघ फेडरेशऩ के अध्यक्ष राजेश चटर्जी ने सरकार के रवैये पर जमकर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारी अमले के हितों का सरकार उपेक्षा कर रही है. शासकीय सेवकों के सेवाशर्तों को पूरा करने में सरकार कोरोना काल का बहाना रही है. लेकिन अन्य मामलों में सरकार बेधड़क व्यय कर रही है. सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने लंबे समय से महंगाई भत्ता, सातवें वेतनमान का बकाया एरियर्स, चार स्तरीय पदोन्नत वेतनमान वेतन विसंगति में सुधार, समयबद्ध क्रमोन्नत वेतनमान, पदोन्नति, अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण, पुराण पेंशन योजना लागू करने, अनुकंपा नियुक्ति में शिथिलीकरण जैसे 14 सूत्रीय मामलों पर विभाग को ज्ञापन दिया था. लेकिन निराकरण नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर में एकजुट होकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया.

कमल वर्मा संयोजक के नेतृत्व में बूढ़ा तालाब का धरना स्थल कर्मचारियों का छावनी स्थल के रूप में तब्दील हो गया था. दोपहर 2 बजे के बाद वादा निभाओ महारैली निकला, जिसमें हजारों की संख्या में कर्मचारियों ने भाग लेकर आपने आक्रोश को व्यक्त किया. आंदोलन के तीसरे चरण को सफल बनाने में फेडरेशन से सम्बद्ध सभी संगठनों के पदाधिकारियों एवं फेडरेशन के जिला संयोजकों ने जमकर मेहनत किया था. अब सरकार को आगाह किया कि सरकारी अमले की उपेक्षा बर्दास्त नही किया जाएगा. यदि सरकार ने समय रहते निर्णय नहीं लिया तो फेडरेशन आंदोलन की रणनीति बनाने पर विवश होगा.