यह प्रत्येक छत्तीसगढ़ीया के लिए उपलब्धि और गौरव का विषय है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान को संरक्षित रखते हुए उसका सम्मान नित संवर्धित हो रहा है। यह सब देखकर यह अनुभव हो रहा है कि अब हमारे पुरखो का सपना साकार हो रहा है। छत्तीसगढ़ की अस्मिता, स्वाभिमान और सम्मान के लिए आज जो भी प्रयास किये जा रहे हैं, इसी के बुनियाद पर भविष्य के समृद्ध छत्तीसगढ़, खुशहाल छत्तीसगढ़ की भव्य ईमारत खड़ी होगी।

संदीप अखिल (स्टेट न्यूज़ कॉर्डिनेटर स्वराज एक्सप्रेस,
लल्लूराम डाॅट काॅम )

छत्तीसगढ़ राज्य, 20 वर्ष की इस यात्रा में प्रगति पथ पर निरंतर अग्रसर है. यह प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी और छत्तीसगढ़ियों के सम्मान को अपने प्रयासों से ऊँचाइयां दी और आगे भी ये क्रम बना रहेगा. कुछ समय ऐसा भी बीता है कि ये महसूस होने लगा था कि कहीं हमारा छत्तीसगढ़ गुम ना हो जाए, खो ना जाए, उसकी मौलिक पहचान, मौलिक कला-संस्कृति, तीज-त्यौहार और पर्वों का महत्व कम ना हो जाए, लेकिन आज भूपेश सरकार ने बहुत अल्प समय में छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति और छत्तीसगढ़िया माटी की भावनाओं को नवजीवन दिया है, उसे प्यार, दुलार, सम्मान दिलाया है.

छत्तीसगढ़ राज्य में एक नये युग की शुरुआत और राज्य के सम्मान और समृद्धि का जो स्वरूप हमारे सामने है, उसका पूरा श्रेय इस प्रदेश की कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों के साथ माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को जाता है, जिन्होंने गांव, गरीब और किसान की सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया है.

वर्तमान सरकार और पूर्ववर्ती सरकार का यही सबसे बड़ा अंतर है, जो हर व्यक्ति को साफ नजर आ रहा है कि हमारी मौलिक संस्कृति आज फिर से हमारे आस-पास नये कलेवर में वापस आ रही है. बहुत दिन नहीं हुए साथियों जब ऐसा लगने लगा था कि हमारी अपनी सांस्कृतिक विरासत के छत्तीसगढ़ी लोक पर्व, तीज-त्यौहार सार्वजनिक रूप से अपनी पहचान खोने लग गए थे, छत्तीसगढ़िया होने के नाते मुझे आज गर्व है कि गौरी-गौरा को आज लोग ज्यादा जानने लगे, सुआ नृत्य को पहचानने लगे, परंपरागत हमारे त्यौहार, हरेली, तीजा-पोरा को आज सार्वजनिक रूप से एक नया मान-सम्मान प्राप्त हुआ, लोक जीवन में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई.

प्रदेशवासियों को यह लगने लगा कि अब छत्तीसगढ़ में वास्तविक रूप से छत्तीसगढ़ियों के हितों की, छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति और परंपरा तीज त्यौहार को यथोचित मान सम्मान दिलाए जाने की, एक बहुत बड़ी पहल छत्तीसगढ़ की सरकार ने प्रारंभ किया है. भूपेश सरकार की कार्य संस्कृति और विचारधारा बिल्कुल स्पष्ट है. छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया की बात हम जानते हैं, लेकिन अब लोग यह कहने लगे कि अब तक की सबसे बेहतर सरकार अभी की अपनी छत्तीसगढ़ सरकार है. यही इस सरकार की सफलता का पैमाना है.

आमजनों का यह विश्वास है कि  सरकार का गठन केवल सत्ता का ही परिवर्तन नहीं है, यह परिवर्तन है विचारधारा का, यह परिवर्तन है सोच का, यह परिवर्तन है समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के जीवन में, यह परिवर्तन है सर्वोदय का, यह परिवर्तन है समाज में समता, समानता और सामाजिक सद्भाव का और यह परिवर्तन है छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति की मुख्यधारा में वापसी का. बधाई के पात्र है माननीय मुख्यमंत्री जी जिन्होंने राज्य में विपरीत परिस्थितियों में कार्यभार संभाला और पूरी ईमानदारी के साथ निर्वाचन पूर्व पार्टी के घोषणा पत्र के प्रत्येक बिन्दु के क्रियान्वयन के लिए परिणाम मूलक पहल की और यह भी उपलब्धि का विषय है कि घोषणा पत्र के सभी बिन्दुओं को पूर्ण करने के लिए राज्य सरकार का प्रयास निरंतर जारी है.

सोनिया गांधी ने अपने उद्बोधन और मार्गदर्शन में यह कहा कि हमारी अपनी छत्तीसगढ़ की सरकार ने कुछ ही महीने में जनहित की कई योजनाएं लेकर आई है. छत्तीसगढ़ की जनता ने यथार्थ में लोकतंत्र भाईचारे व विकास वाली सरकार चुनी है. छत्तीसगढ़ में विकास का पहिया द्रुतगति से घूम रहा है. यह सर्वविदित है कि किसान भाईयों को अन्नदाता इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो आम जनों के लिए तपती धूप में, मूसलाधार बारिश में और कड़कड़ाती ठंड में मेहनत करके फसल उगाते हैं. तब हमको भोजन मिल पाता है. किसानी का काम ही परोपकारी कार्य की श्रेणी में आता है इसलिए किसान को भगवान का दर्जा भी दिया जाता है. समाज और सरकार का यह प्रथम दायित्व बनता है कि वह अपने क्षेत्र और राज्य में निवासरत किसानों के प्रति सम्मानजनक संवेदनशील व्यवहार रखें. प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य सरकार बधाई के पात्र हैं कि नवगठित सरकार ने बहुत थोडे़ से समय में ही राज्य के किसान भाईयों के हित के लिए अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं. कृषि ऋण माफी, धान का समर्थन मूल्य पच्चीस सौ रूपये जैसे सभी निर्णय का अभिनंदन योग्य हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार के माध्यम से एक प्रेरक आवाह्न किया है, नरवा, गरवा, घुरवा, बारी, येला बचाना हे संगवारी. इस आवाह्न का यह उदेश्य है कि छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, लोक संस्कार, लोक परम्परा के साथ जुड़कर राज्य के विकास में हम अपना योगदान दे. छत्तीसगढ़ राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है. हमारे राज्य की संपूर्ण प्रगति और विकास कृषक और कृषि के विकास से ही संभव है. राज्य सरकार ने राज्य में किसान भाइयों के लिए व्यवहारिक धरातल से जुड़कर कुछ नयी योजनाएं आरंभ की हैं. गोधन न्याय योजना, रोका-छेका योजना इसका उदाहरण है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने इस वर्ष भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के स्मृति दिवस के अवसर पर स्व. राजीव गांधी जी के आदर्शों और सिद्धांतों का स्मरण करते हुए, उससे प्रेरणा ग्रहण कर एक महत्वाकांक्षी लोककल्याणकारी योजना राजीव गांधी किसान न्याय योजना का आरंभ किया. इस योजना के तहत प्रदेश के लगभग उन्नीस लाख किसान भाइयोें को सन्तावन सौ करोड़ रूपये की राशि सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की गयी. यह महत्वपूर्ण है कि इस आर्थिक सहायता को राज्य सरकार ने सहायता नहीं अपितु किसान भाईयों का सम्मान माना है, उनका अधिकार माना है, इस सेवाभाव के लिए राज्य सरकार की भावना प्रशंसनीय है.

प्रदेश सरकार वनवासी, आदिवासी भाई-बहनों के उत्तरोत्तर विकास हेतु निरंतर प्रयासरत है, वनवासी तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए शहीद महेन्द्र कर्मा के नाम पर आरंभ की गयी ‘‘शहीद महेन्द्र कर्मा, तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना‘‘ राज्य सरकार का सराहनीय प्रयास है, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में नये जिले पेण्ड्रा-गौरेला-मरवाही का निर्माण एवं मरवाही को नगर पंचायत बनाया जाना, नवनिर्मित मरवाही अनुभाग में अनुविभागीय अधिकारी की पदस्थापना जैसे कुछ ऐसे कार्यों के उदाहरण हैं जो राज्य सरकार की आदिवासियों के विकास के प्रति उसकी उच्च प्राथमिकता को परिभाषित करते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य की उपरोक्त सभी उपलब्धियां इस बात को प्रमाणित करती हैं कि हमारा छत्तीसगढ़ राज्य आज अपने स्वाभिमान को संरक्षित रखते उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है.