रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने शराब दुकानों के खुलने का समय 2 घंटे बढ़ा दिए हैं. इस फैसले की वजह राजस्व में हो रहे घाटे को बताया जा रहा है. लेकिन जानकार लोग इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।

पिछले साल शराबबंदी को लेकर प्रदेशभर में लगातार प्रदर्शन होते रहे. दुकानों का संचालन निजी ठेकेदारों को दिए जाने से अवैध शराब बिक्री का कारोबार चरम पर पहुंच गया था. ऐसे में इस वर्ष सार्वजनिक उपक्रम बनाकर प्रदेश सरकार ने इन दुकानों का संचालन शुरू किया गया. साथ ही शराब दुकानों के समय में भी कटौती की गई. दलील दी गई कि इससे अवैध कारोवार पर अंकुश लगेगा. इससे कयास लगाए जाने लगे कि प्रदेश की भाजपा सरकार धीरे ही सही पर शराबबंदी की दिशा में कदम उठा रही है.

सरकार के इस फैसले का असर भी जल्द दिखने लगा। शराब को लेकर प्रदेश में होने वाले प्रदर्शनों पर एकाएक विराम लग गया. पूर्ण शराबबंदी की मांग करने वाले लोग भी खामोश हो गए. नई आबकारी नीति के बाद प्रदेश में कहीं भी प्रदर्शन-चक्का जाम की कोई खबर अब तक सामने नहीं आई है. वहीं शराब के अवैध कारोबार पर भी अंकुश लगा है।

अब राज्य सरकार राजस्व घाटे का हवाला देते हुए शराब दुकानों के खुलने-बंद होने का समय दो घंटे बढ़ा दिया है. इसे लेकर फिर से कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि यदि दो घंटे की समयावधि बढ़ाने के बाद भी तय राजस्व हासिल करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया तब क्या होगा? क्या सरकार आय बढ़ाने अपनी आबकारी नीति पर पुनर्विचार कर रही है?

वैसे भी आने वाला समय राज्य सरकार के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है. क्योंकि अगले साल विधानसभा के चुनाव जो होने हैं. यहां के लोग प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर काफी प्रदर्शन कर चुके हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि लगातार चौथी पारी में बाजी मारने को बेताब राज्य की भाजपा सरकार राजस्व बढ़ोतरी को तवज्जो देती है या फिर जनता की मांग को.