महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को काम दिलाने का झांसा देकर महिला एवं बाल विकास विभाग  की सुपरवाइजर ने चार लाख की ठगी कर ली. सरकारी काम दिलाने का झांसा देकर पहले तो  स्र्पये ले लिये बाद में उसने साथ में काम करने का झांसा देकर रजिस्ट्रेशन लेटर और अन्य दस्तावेज भी रख लिया. बाद में महिलाओं ने अपने स्र्पये वापस मांगे तो सुपरवाइजर उन्हें धमकियां देने लगी. समूह की सदस्यों ने इसकी बिलासपुर एसएसपी पारूल माथुर से की. इस पर पुलिस ने जुर्म दर्ज कर महिला सुपरवाइजर को गिरफ्तार किया है. घटना कोनी थाना क्षेत्र की है.

 मिली जानकारी के अनुसार कोनी में रहने वाली हेमलता खांडे महामाया स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हैं. उन्होंने पुलिस अधीक्षक को की गई अपनी शिकायत में बताया कि अप्रैल 2020 में उनकी पहचान महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर 28 वर्षीय सृष्टि चन्द्र  वर्मा पति प्रकाश चन्द्र वर्मा निवासी  से हुई थी. वह मस्तूरी विकासखंड में पदस्थ है  और सरकण्डा थाना क्षेत्र के राजकिशोर नगर स्थित जगन्नाथ पुरम कालोनी में रहती है.

 प्रार्थिया ने बताया कि मेस का काम करने के लिए उनके समूह ने दस्तावेज समेत आवेदन जिला पंचायत में जमा किया था. जहां से जिला पंचायत के सहायक अजीत वर्मा से हमारा नम्बर व पता लेकर हमसे खुद घर आ कर सम्पर्क किया गया. सुपरवाइजर ने घर आकर कहा कि मुझे लाइसेंस वाले समूह की जरूरत है. जो आप लोगो के पास है, आप लोगो को मैं रेल्वे व वन विभाग का टेंडर डलवाऊंगी.  सुपरवाइजर ने उन्हें काम दिलाने के लिए वन विभाग व रेलवे में आवेदन भी जमा करवाया. फिर रेलवे में टेंडर की तैयारी का झांसा देकर  चार लाख दो हजार 820 स्र्पये अप्रैल 20 में ले लिए. इसके बाद उसने साथ में काम करने की बात कहते हुए समूह के दस्तावेज भी मांगे. उसने इसमें मोटा मुनाफा होने की बात कही. सुपरवाइजर की बातों में आकर महिलाओं ने समूह के दस्तावेज भी उसे सौंप दिए. इसका सुपरवाइजर ने एग्रीमेंट भी कराया. इसमें उसने नौ माह में मुनाफे के साथ रूपये लौटाने की बात लिखकर दी. समय बीतने पर महिलाओं ने अपने रूपये वापस मांगे. इस पर सुपरवाइजर टालमटोल करने लगी. बाद में वह महिलाओं को धमकियां देने लगी. सुपरवाइजर की हरकतों से परेशान होकर महिलाओं ने इसकी शिकायत  एसएसपी पारुल माथुर से की. एसएसपी ने मामले की जांच करवाई फिर कोनी पुलिस को जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही के निर्देश दिए.  मामले में कोनी पुलिस ने धोखाधड़ी व आपराधिक षडयंत्र का जुर्म दर्ज कर पुलिस ने सुपरवाइजर सृष्टिचंद वर्मा को गिरफ्तार कर लिया है.

खुद की बना ली कम्पनी सास को बनाया अध्यक्ष सास भी बनी आरोपी,फेक्ट्री भी खोली

प्रार्थिया ने बताया कि काम दिलाने के बहाने सुपरवाइजर ने समूह का लाइसेंस ले लिया. अप्रैल में पैसा व लाइसेंस लेने के बाद जून माह से ही मार्किट में आटा, पॉपकॉर्न, केन्डिफलाज मार्केट में बिकने लगा. लागत पूरी महिला समूह के द्वारा लगाने के बाद भी बिक्री की रकम सुपरवाइजर खुद रखती थी. दो माह बाद उसने कोनी से सारा कच्चा माल सिरगिट्टी शिफ्ट कर लिया और वहां देवसेना नेटवर्क एवं सर्विस प्रोवाइडर कम्पनी बना ली जिसमे अपनी सास को अध्यक्ष बना लिया और समूह की फूड लाइसेंस से ही मार्केट में आटा बेचने लगी. पुलिस ने मामले में सुपरवाइजर की सास सृष्टि चन्द्र वर्मा को भी आरोपी बनाया है.

सास हुई फरार

प्रार्थिया ने शिकायत में बताया है कि वन विभाग के अंतर्गत आने वाले बिलासा ताल में काम दिलवाने का बहाना बना कर भी 30 हजार सुपरवाइजर द्वारा लिए गए थे. कोनी आधारशिला स्कूल के सामने एक लाख खर्च कर हमसे शेड भी सुपरवाइजर ने बनवा लिया था. इसके अतिरिक्त ड्रेस खरीदी के नाम पर भी हमसे 20 हजार खर्च करवाया गया था. स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि हम एससी वर्ग से आती हैं और सुपरवाइजर के कृत्य से हमे अत्यधिक तकलीफ हुई हैं और काम मे हमारा मन नही लग रहा. 9 माह में  रकम वापस करने के लिए सुपरवाइजर ने बकायदा एग्रीमेंट भी किया था. पर जब जब रकम की मांग करते थे तो सुपरवाइजर द्वारा उल्टा हम लोगो का लाइसेंस निरस्त करवाने की धमकी दी जाति थी. सूत्रों के अनुसार इससे पूर्व महिला पानी का भी बिजनेस  पूर्व में करती थी.

महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं के साथ हुई ठगी को एसएसपी पारुल माथुर ने गम्भीरता से लेते हुए  पहले मामले की जांच करवाई और जब आरोपो की पुष्टि हुई तब महिला सुपरवाइजर के ऊपर एफआईआर कर तत्काल उसकी गिरफ्तारी के निर्देश कोनी पुलिस को दिये.

 एसएसपी का निर्देश पाकर सक्रिय हुई  पुलिस ने जब महिला सुपरवाइजर को गिरफ्तार करने के लिए दबिश दिया तब उसकी सास इलाज करवाने दो दिन के लिए शहर से बाहर गयी थी. इसलिए उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई. फिलहाल सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड हेतु अदालत में प्रस्तुत किया गया है.