नेहा केशरवानी की रिपोर्ट, रायपुर। छत्तीसगढ़ में विकास के तमाम दावों के बीच एक रिपोर्ट चौकाने वाली सामने आई है। 2016 के बाद साल दर साल महिलाओं में एनीमिया दर बढ़ता गया, क्योंकि सुपोषण से जुड़ी योजना पर सरकार ने कैंची चला दी है. एक रिपोर्ट में नेशनल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2016 में 15 से 49 वर्ष आयु की 47 फीसदी महिलाएं एनीमिया की शिकार थीं. वर्तमान में (2022 में) आंकड़ा बढ़कर 61 फीसदी हो गया है. छत्तीसगढ़ शासन का सुपोषण अभियान एक महत्वपूर्ण योजना है, जिस पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. महिलाओं को एनीमिया से बचाने सरकार ने जोर शोर से गर्म भोजन देना शुरू तो किया, लेकिन अब ये योजना ठंडी पड़ चुकी है. सरकारी सिस्टम के चलते गर्म खाना देना बंद कर दिया गया है.
साल-दर-साल बढ़ा आंकड़ा
सन 2022 में 15 से 49 वर्ष की आयु की गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की दर 51.8% हैं।
2020-21 का आंकड़ा – 15 से 49 उम्र की गर्भवती महिलाओं में 38.8% एनीमिया दर (अर्बन इलाकों में) और 54.7% एनीमिया दर (ग्रामीण इलाकों में)
2015-16 का आंकड़ा था 51.8% एनीमिया दर (अर्बन इलाकों में) और 41.5% (रूरल इलाकों में)
गर्म खाना देना विभाग ने बंद कर दिया
छत्तीसगढ़ में गर्भवती महिलाओं को गर्म खाना परोसे जाने वाली योजना अब ठंडी पड़ गई है. 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये गर्भवती महिलाओं को गर्म खाना देने की योजना बनाई थी. इस योजना का लाभ कई गर्भवती को मिल रहा था. इस योजना का लाभ गर्भवतियों को तब भी मिला, जब कोरोना काल चल रहा था, लेकिन अचानक पिछले एक साल से गर्म खाना देना विभाग ने बंद कर दिया.
गर्भवती महिलाओं को परोसे जाने वाली पोषण से भरी थाली गायब
जब योजना की शुरुआत हुई थी, तब प्रदेश के 46 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवतियों को बकायदा आंगनबाड़ी केंद्र में बैठाकर गर्म भोजना कराया जाता था. खाने की थाली पोषण आहार से भरी होती थी. रोटी, 2 सब्जी, 1 भाजी, दाल, चावल, सलाद, पापड़ अंडा, केला, दूध दही से भरपूर व्यंजन महिलाएं एक टाइम परोसते थे, लेकिन आज की तारीख में आंगनबाड़ियों से गर्भवती महिलाओं को परोसे जाने वाली पोषण से भरी थाली गायब है.
इस थाली की जरुरत आज के समय में सबसे ज्यादा ग्रामीण इलाकों में रहने वाली उन महिलाओं को है, जो गर्भवती हैं. शुरुआती कुछ दिनों मे पोषण युक्त आहार तो मिला, लेकिन अचानक ये योजना कब बंद कर दी गई. ये तब पता चला जब आंगनबाड़ी में खाना परोसा जाना बंद हुआ.
केस स्टडी – 1
रायपुर के काठाडीह गांव के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2 में जब हम इस योजना की पड़ताल करने पहुंचे तो वहां 8 महीने की गर्भवती संगीता शाही बताती हैं कि उन्हें भरपूर पोषणयुक्त आहार लेने डॉक्टर ने सलाह दिया है इसलिए संगीता ने आंगनबाड़ी में पोषणयुक्त भोजन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया, तो शुरुआती दिनों में उन्हें संपूर्ण आहार से भरी थाली खाने में दी जाती थी, जो अब नही मिल रही है. संगीता बताती हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं ऐसे में संपूर्ण आहार लेना उनके बस की बात नही है, लेकिन अब आंगनबाड़ी में भी नहीं मिलता.
केस स्टडी – 2
वहीं जिन महिलाओं का रजिस्ट्रेशन गर्म खाने के लिए हुआ है. उसमें 3 माह की गर्भवती भारती ने बताया कि आसपास रहने वाली गर्भवतियों को खाना मिलता था, लेकिन जब मैं रजिस्ट्रेशन करवाने गई तब पता चला कि अब खाना देना बंद हो गया है. ऐसे में घर में जो रहता है, जो बनता है वही खाते हैं. बता दें कि यही हाल शहर के श्याम नगर, फाफाडीह, फुंडहर, अम्लीडीह के आंगनबाड़ी केंद्रों का भी है.
वहीं श्यामनगर की आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता दशमत ध्रुव बता रही थीं कि कुछ माह पहले हमें परियोजना अधिकारी ने निर्देशित किया था कि अब किसी भी गर्भवती महिला का रजिस्ट्रेशन नहीं लेना है. उसके बाद से जो भी आता है, उसे मना कर देते हैं कि अब गर्म भोजन नहीं दिया रहा है.
वहीं छत्तीसगढ़ शासन के महिला बाल विकास विभाग का रिपोर्ट कहता है कि शासन की इस योजना से देढ़ लाख महिलाएं एनीमिया से मुक्त हुई हैं, क्योंकि सरकार की तरफ से ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को आयरन, फ्लोरिक एसिड, कृमि नाशक गोलियां दी गई है.
छत्तीसगढ़ जुझारु आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ की प्रांताध्यक्ष पद्मावती साहू ने बताया कि रायपुर जिले के 1700 आंगरबाड़ियों में फिलहाल ये योजना बंद है. पिछले साल अप्रैल माह से ही गर्म खाना देने की योजना बंद है, लेकिन कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों में एनिमीया पीडित महिलाओं को उनकी मांग पर उपलब्ध कराया जाता है.
शासन के निर्देश के बाद इसे दोबारा शुरु किया जाएगा. उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं है. इस योजना को क्यों बंद किया गया. वहीं पद्मावती बताती हैं कि कोरोना के समय में हम जरुरतमंद महिलाओं को पौष्टिक युक्त चीजें घर घर पहुंचा कर देते थे, जिन गर्भवती महिलाओं को खाने को जरुरत होती थी, उन्हें खाना भी पहुंचा देते थे.
महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा बताती हैं कि पूर्व में महतारी जतन योजना सभी गर्भवती महिलाओं के लिए थी. वर्तमान में सुपोषण अभियान के बाद जो शेष गर्भवती महिलाएं बची हैं, उनके लिए अतिरिक्त पोषण आहार का प्रावधान किया जा रहा है.
क्या बोलीं मंत्री अनिला भेड़िया ?
वहीं उस पूरे मामलें में जब महिला बाल विकास विभाग की मंत्री अनिला भेड़िया से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान रहा था, लेकिन फंडिंग की कमी के कारण अभी बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत गरम भोजन दे रहे थे. पिछले 1 महीने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हड़ताल में थीं. इसलिए भी बंद था. हमारे बच्चों को भी गर्म भोजन नहीं मिला. अभी नया टेंडर लगा रहे हैं. इसके बाद तुरंत उन्हें गर्म भोजन देंगे.
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