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हेमंत शर्मा, रायपुर। केंद्रीय जेल रायपुर में बंद विचाराधीन बंदी एक साहसिक कदम उठाता है, जो अब तक किसी नहीं उठाया है. वह सरपंच पद के लिए जेल से नामांकन दाखिल करता है. जेल में रहते ही चुनाल लड़ता है. और जब मतगणना होती है, तो यह बंदी रिकार्ड मतों से चुनाव जीत जाता है. छत्तीसगढ़ में इस तरह का यह पहला मामला है. पहली बार छत्तीसगढ़ में ऐसा हुआ जब कोई कैदी जेल में रहते चुनाव जीता हो.
जिस शख्स की बात कर रहे हैं उसका नाम नरेन्द्र यादव है. नरेन्द्र लगातार दूसरी बार अपने गाँव सढ्डू से सरपंच बना है. नरेन्द्र के वकील एनडी मानिकपुरी बताते हैं कि, नरेन्द्र बीते 1 साल से जेल में बंद है. 1 साल पहले उसकी पत्नी सुनीता यादव ने आत्महत्या कर ली थी. सुनीता पास से सुसाइड नोट बरामद भी हुआ था, जिसमे लिखा था कि वो अपनी मर्जी से यह कदम उठा रही है. इस घटना के बाद मृतका के मायके वालों ने नरेन्द्र और उसके परिवार पर केस कर दिया. पुलिस ने नरेन्द्र के ख़िलाफ़ धारा 304 b आईपीसी 34 के तहत मामला दर्ज कर परिवार के सभी सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. नरेंद्र यादव को छोडकर बाकी परिवार के सदस्य जमानत पर बाहर है. मामले की सुनवाई एडीजे सुरेश जून की कोर्ट में जारी है.
वकील मानिकपुरी के मुताबिक चूंकि नरेंद्र यादव वर्तमान सरपंच था और उसने गाँव में विकास के काफी काम कराया था. इसलिए नरेंद्र जेल में थे तो गाँव वालों ने चुनाव लड़ने के लिए आग्रह किया, तो इसके बाद प्रस्तावक के माध्यम से नामांकन फार्म खरीदा गया. मैंने विधिक रूप से जिला निर्वाचन अधिकारी से अनुमति लेकर नरेन्द्र का नामांकन फार्म भरा था. नतीजा आज सबके सामने है. नरेन्द्र के सामने 4 अन्य उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन विजयी नरेन्द्र ही हुआ. कुल 1540 मतदाताओं ने मतदान किया था. इसमें नरेन्द्र को 799 मत मिले. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 291 मतों से हराया. वे लगातार दूसरी बार सड्ढू के सरपंच बने हैं.