धूप अंधेरे में शायद वो उम्मीदों की ही एक चिंगारी थी, जो आने वाले दिनों में एक बड़ी रोशनी बिखेरने के लिए आतुर थी. हर आंखें उम्मीदों से भरी थी कि कब अंधेरा छंटेगा और चौखट पर उजली किरण दस्तक देगी. जिन आंखों ने सदियों से अंधेरे में दिन-रात एक किए थे, उन आंखों का इंतजार जल्द खत्म होने वाला था. हालात बदलने वाले थे. जिंदगी करवट लेने वाली थी. सूबे में इतिहास लिखने की तैयारी की जा रही थी. रमन सरकार इस वादे के साथ आई कि अंधेरे को चीर विकास की नई किरण से प्रदेश को रौशन किया जाएगा. वादा पूरा हुआ और जल्द ही प्रदेश जीरो पाॅवर कट वाला राज्य बन गया. रमन ने जैसा कहा- वैसा किया. छत्तीसगढ़ ने सरप्लस बिजली वाले राज्य के रूप में पहचान बनाई.

रायपुर- हालात इससे पहले ऐसे नहीं थे. सरप्लस वाले छत्तीसगढ़ में एक सदी से ज्यादा लोगों ने अंधेरों में अपनी जिंदगी बिताई थी. अंधेरा राज्य के विकास में किसी रूकावट से कम नहीं था. आज आलम यह है कि प्रदेश के हर कोने में बाधारहित बिजली दौड़ रही है. घर हर रौशन है. हर किसान के खेत तक बिजली है. हर उद्योग सुई के काटें की तरह तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. हर किसी की जिंदगी में रौशनी बिखरी है. ये मुमकिन हुआ है मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह की दूरदृष्टि की बदौलत. दरअसल सत्ता में काबिज होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी कि बेपटरी हो चुके विकास को सही दिशा दी जाए. रमन ने वक्त की जरूरत को बखूबी महसूस किया. ऊर्जा विभाग का दायित्व खुद संभालकर प्रदेश में बिजली संकट को सबसे पहले खत्म करने का बीड़ा उठाया. संसाधन का बेहतर उपयोग कर जल्द ही प्रदेश की पहचान जीरो पाॅवर कट वाले राज्य के रूप में कर देश में पहचान काबिज दिलाई.

बिजली को लेकर प्रदेश में किए गए उल्लेखनीय उपलब्धियों को लेकर केंद्र सरकार ने भी रमन सरकार की जमकर पीठ थपथपाई है. हाल ही में छत्तीसगढ़ दौरे पर आए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि-  छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में विद्युत अधोसंरचनाओं के विकास के लिए विगत करीब 15 वर्षाें में अभूतपूर्व कार्य किया है. यह काबिल-ए-तारीफ है और अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है.  केन्द्र सरकार राज्यों को बिजली सुविधाओं के विस्तार के लिए वित्तीय सहायता देती है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विगत लगभग 15 साल में स्वयं के बजट से राज्य में विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन और अंतिम छोर के गांवों तथा घरों तक वितरण के लिए अधोसंरचना विकास पर 12 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा राशि खर्च की गई है.  इससे राज्य के 50 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को चौबीसों घंटे गुणवत्ता पूर्ण बिजली मिल रही है. बिजली के क्षेत्र में अधोसंरचनाओं को सुदृढ़ बनाने का सराहनीय कार्य छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है. किसानों के सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण में भी छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है. यह प्रगति अन्य राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है.

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सरकार के आंकड़े बताते हैं कि विगत 15 वर्षाें में छत्तीसगढ़ में  बिजली कनेक्शन वाले सिंचाई पम्पों की संख्या 97 हजार से बढ़कर पांच लाख तक पहुंच गयी है. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत रमन सरकार ने राज्य में ग्रामीण विद्युतीकरण का तीन चौथाई कार्य पूर्ण कर लिया है. इस वर्ष सितम्बर माह तक शेष कार्य भी पूर्ण करने का लक्ष्य है. इसके लिए तेजी से काम हो रहा है.  प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) के तहत छत्तीसगढ़ में सात लाख 08 हजार घरों को बिजली का कनेक्शन देने के लक्ष्य को भी तेज गति से पूरा किया जा रहा है. अब तक चार लाख परिवारों को विद्युत कनेक्शन दिए जा चुके हैं. प्रदेश के दूर-दराज के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी विद्युत कनेक्शन देने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है. सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग करते हुए राज्य में स्कूलों, स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनबाड़ी केन्द्रों  में सोलर प्रणाली से बिजली की व्यवस्था की जा रही है. सिंचाई और पेयजल व्यवस्था के लिए भी सौर ऊर्जा प्रणाली का उपयोग हो रहा है. सौर सुजला योजना के जरिये राज्य सरकार किसानों को सिंचाई के लिए काफी कम कीमत पर सोलर सिंचाई पम्प दे रही है.

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14 सालों में बिजली के क्षेत्र में 28 हजार 151 करोड़ का निवेश- डाॅ.रमन सिंह

छत्तीसगढ़ में बिजली सरकार की प्राथमिकता में किस हद तक है. इस बात का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि पिछले 14 सालों में रमन सरकार ने इस क्षेत्र में 28 हजार 151 करोड़ रूपए का निवेश किया है, जिसके फलस्वरूप राज्य विद्युत कंपनी की उत्पादन क्षमता एक हजार 410 मेगावाट की तुलना में ढाई गुना बढ़कर तीन हजार 424 मेगावाट तक पहुंच गई है. मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह कहते हैं कि पिछले 14 वर्षों में छत्तीसगढ़ में विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि हमने विद्युत आपूर्ति का ही लक्ष्य नहीं रखा है, बल्कि विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता को लक्ष्य बनाकर काम किया है, जिससे छत्तीसगढ़ को सरप्लस स्टेट से लेकर जीरो पावरकट स्टेट तक की ख्याति मिली है. रमन ने कहा कि अब हम क्वालिटी पावर सप्लाई में भी पहचान बनाने में सफल हुए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली का उत्पादन और उपलब्धता के कारण प्रदेश में चार हजार 233 मेगावाट की अधिकतम मांग को पूरा करने का भी नया कीर्तिमान स्थापित किया है. बेहतर प्रबंधन से वितरण हानि की दर को 40 प्रतिशत से कम कर 19प्रतिशत लाने में सफलता प्राप्त की है. जिससे हर वर्ष उपभोक्ताओं को लगभग 1500 करोड़ रूपए का लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट सेक्टर परफार्मेंस आधारित मूल्यांकन में राज्य की उत्पादन कम्पनी के विद्युत घरों को देश भर में अग्रणी होने का गौरव मिला है. राज्य उत्पादन कम्पनी संचालित संयंत्रों का पीएलएफ 72 प्रतिशत प्राप्त कर देश में चौथे स्थान पर है. राज्य सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में विभिन्न बिजली उत्पादकों के माध्यम से समग्र उत्पादन क्षमता चार हजार 313 मेगावाट से बढ़कर 22 हजार 851 मेगावाट हो गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों पर भी काम किया है. हमने ’मुख्यमंत्री सौर शक्ति’ योजना प्रारंभ की है, जिससे अपने उपयोग की बिजली अपनी छत पर पैदा की जा सकती है. विद्युत पारेषण की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 14वर्षों में राज्य में अति उच्च दाब उपकेन्द्रों की संख्या 39 से बढ़कर 97 हो गई है, वहीं अति उच्च दाब लाइन चार हजार 845 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर 11 हजार 096 सर्किट किलोमीटर हो गई है. उन्होंने कहा कि ये काम किसी जादू से नहीं होता, बल्कि लगातार योजना बनाकर काम करने से होता है. निरंतर सुधार के कारण पारेषण हानि चार प्रतिशत से घटकर 2.81 प्रतिशत तक हो गई है। इससे भी बिजली की उपलब्धता बढ़ी है.मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गांव में एक बल्ब लटकाकर भी उस गांव को विद्युतीकृत घोषित कर दिया जाता था. इसके बावजूद 52 वर्षों में सिर्फ 89 प्रतिशत गांवों तक विद्युतीकरण किया जा सका था. अब विद्युतीकरण की परिभाषा बदल चुकी है.

राज्य के बारह लाख परिवारों को मिलेगा सहज बिजली बिल योजना का फायदा : डॉ. रमन सिंह 

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि प्रदेश के 12 लाख से ज्यादा घरेलू बिजली कनेक्शन वाले परिवारों को सहज बिजली बिल योजना का लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि सहज बिजली बिल योजना वर्ष 2002 की गरीबी रेखा सूची और वर्ष 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना के आधार पर पात्रता रखने वाले बिजली उपभोक्ताओं के लिए शुरू की गई है. योजना के तहत सिंगल फेज के घरेलू कनेक्शनों में 40 यूनिट मासिक निःशुल्क बिजली की खपत सीमा से ज्यादा खपत होने पर हितग्राहियों को वर्तमान में प्रचलित टैरिफ के स्थान पर 100 रूपए हर महीने के हिसाब से फ्लैट रेट बिल भुगतान की सुविधा का विकल्प दिया जा रहा है. यह विकल्प उन सिंगल फेस घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को दिया जाएगा, जिनकी वार्षिक बिजली खपत 1200 यूनिट तक होती है. मुख्यमंत्री ने ऐसे बिजली उपभोक्ताओं से योजना के तहत इस वैकल्पिक सुविधा लाभ लेने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पांच सितम्बर से शुरू हो रही अटल विकास यात्रा के दौरान सहज बिजली बिल योजना के तहत हितग्राही परिवारों के आवेदन प्राप्त करने के लिए गांवों और शहरों में पुनरीक्षित बिजली बिल वितरण शिविर भी लगाए जाएंगे. मुख्यमंत्री के निर्देश पर इन शिविरों का आयोजन छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा किया जाएगा। इन शिविरों में गरीब परिवारों को बिजली बिल में और किसानों को सिंचाई पम्पों के लिए फ्लैट रेट का विकल्प दिया जा रहा है. विद्युत वितरण कम्पनी के अधिकारियों ने बताया कि इन शिविरों में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) के तहत नये विद्युत कनेक्शनों के लिए आवेदन लिए जाएंगे और उपभोक्ताओं के संशोधन योग्य बिजली बिलों का पुनरीक्षण भी किया जा रहा है. इतना ही नहीं बल्कि इन शिविरों में राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री सहज बिजली बिल योजना के तहत लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों को यह प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा कि उनके देयकों को उनके चयनित फ्लैट रेट के विकल्प में परिवर्तित किया गया है. विकल्प चयन करने वाले उपभोक्ता की अगर कोई बकाया राशि होगी तो उस राशि की पुनः गणना भी कुल बकाया महीनों के आधार पर 100 रूपए प्रति माह के मान से की जाएगी.

किसानों को निःशुल्क बिजली पर 5500 करोड़ से अधिक का अनुदान

प्रदेश में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या 73 हजार से बढ़कर चार लाख 70 हजार तक पहुंच गई है, जिसके कारण एग्रीकल्चर लोड 310 मेगावाट से बढ़कर 1048 मेगावाट तक पहुंच चुका है.  इनमें से चार लाख 57 हजार किसानों को कृषक जीवन ज्योति योजना के अंतर्गत 7500 यूनिट तक निःशुल्क विद्युत उपलब्ध कराई जा रही है. इस प्रकार प्रत्येक किसान को प्रतिवर्ष 37 हजार रूपए की सहायता मिल रही है, जो किसानों को वितरित धान बोनस की राशि से अधिक है. अब तक किसानों को विद्युत पर 5500 करोड़ रूपए से अधिक का अनुदान दिया जा चुका है.

बिजली का सबसे ज्यादा फायदा सूबे के किसानों को हो रहा है. कम वोल्टेज की वजह से किसान अपनी फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे थे जिसकी वजह से उनकी फसलें पानी के अभाव में खराब हो रही थी. प्रदेश की भौगोलिक स्थिति की वजह से कई क्षेत्रों में जहां बिजली पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, वहां सरकार की सौर सुजला योजना के तहत गांव में सोलर पैनल लगाकर खेतों में पानी पहुंचाया जा रहा है. जिसकी वजह से अब बंजर जमीनों में भी खेत लहलहाने लग गए.

वहीं सरकार ने सूबे के सवा 6 लाख उन घरों को रोशन करने का लक्ष्य रखा गया था जिनका जीवन शाम होते ही चिमनियों में रोशन होता था. ऐसे क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के लिए मुख्यमंत्री प्रवाह योजना के तहत अधोसंरचनाओं को सुदृढ़ किया गया और योजना के मुताबिक 33/11 के.व्ही. क्षमता के 36 नये विद्युत सब स्टेशनों का निर्माण पूरा कर लिया गया. इन क्षेत्रों में बिजली पहुंच जाने के बाद वहां के नौनिहालों की जिन्दगी भी एक तरह से रोशन हो गई और बच्चों व महिलाओं को चिमनी की रोशनी में पढ़ाई करने व खाना पकाने से मुक्ति मिल गई.

मुख्यमंत्री उर्जा प्रवाह योजना से हुआ उजाला

योजना के तहत कबीरधाम जिले के ग्राम कोलेगांव, पथर्रा और बीरनपुरकला, जिला राजनांदगांव के अंतर्गत बोरी और उदयपुर, जिला कांकेर के अंतर्गत ग्राम परसोदा, जिला कोण्डागांव में ग्राम गिरोला और बोरगांव, जिला जशपुर में ग्राम आरा (बोकी), जिला जांजगीर-चांपा में ग्राम दारंग, सेमरा, मुड़पारकुथुर, धुरतेली और सेन्दुरस, जिला नारायणपुर में ग्राम कुड़ला, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के अंतर्गत ग्राम झिरिया और मनोहरा, जिला महासमुन्द के अंतर्गत ग्राम झारा, जिला बिलासपुर में ग्राम खरकेना, जिला रायपुर में बेलभाटा, जिला दुर्ग में हिर्री, नारधा, चंदखुरी और खैरझिटी (भाटाकोकड़ी), जिला बालोद में कुर्दी, जिला बेमेतरा में गोढ़ीकला (कौराकांपा) और प्रतापपुर, जिला सरगुजा में डांडगांव, जिला गरियाबंद में जोबा (दर्रीपारा) और श्यामनगर, जिला धमतरी में कांतलबोड और पचपेड़ी, जिला मुंगेली में सावंतपुर (लालपुर), जिला सूरजपुर में कालीघाट और जिला रायगढ़ में तड़ोला तथा बैसी (हाथीगुड़ा) में नवनिर्मित विद्युत सब स्टेशन का निर्माण होने से यहां अंधेरे से मुक्ति मिल गई.

सौ रुपए फ्लैट दर पर मिली बिजली

कृषक जीवन ज्योति योजना के तहत एकमुश्त देयक अदायगी स्कीम के अन्तर्गत पात्रताधारित ऐसे हितग्राही कृषक जिन पर बिजली बिल की राशि का बकाया है को 05 एचपी तक के एक सिंचाई पंप पर 31 मार्च 2018 तक विकल्प चुनने के बाद बकाया बिजली बिल को 100 रूपए प्रति एच.पी. के मान से फ्लैट रेट की सुविधा 1 अप्रैल 2013 अथवा बिजली बिल की बकाया राशि की तारीख जो भी बाद में हो से प्रदान की जाएगी. प्राप्त विकल्प को मान्य किए जाने की तारीख से विकल्प चुनने वाले कृषक को वर्तमान में फ्लैट दर 100 रूपए प्रति एचपी के मान से बिल जारी किया जाएगा, जिसका भुगतान प्रत्येक माह करना होगा तथा पात्रताधारित हितग्राही कृषक को 3 एचपी तक के सिंचाई पंप कनेक्शन पर प्रति वर्ष 6000 यूनिट्स एवं 3 एचपी से अधिक लेकिन 5 एचपी तक के पंप कनेक्शन पर प्रति वर्ष 7500 यूनिट्स खपत तक निःशुल्क विद्युत की सुविधा यथावत रहेगी.

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना- सौभाग्य योजना

गांव-गांव में बिजली पहुंचे, हर घर उजाला…इस लक्ष्य को पूर्ण करने हेतु प्रधानमंत्री ने 25 सितंबर 2017 को देशभर में इस योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना का लाभ छत्तीसगढ़ के लाखों परिवारों को मिल रहा है. इस योजना के शुरू होने के बाद दूरदराज के इलाकों में भी सहज रूप से बिजली पहुंचाई जा रही है. इस योजना के उद्देश्य को सार्थक करने के लिए गांव-गांव में शिविर लगाकर हर घर में बिजली कनेक्शन देने की प्रक्रिया सरकार ने शुरू की. बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया गया. इस योजना का लाभ एपीएल परिवारों को भी मिला. ऐसे परिवारों के घरों में बिजली कनेक्शन के लिए 500 रूपए शुल्क लेकर कनेक्शन दिया गया. इस राशि को भी दस किस्तों में चुकाने की सुविधा हितग्राहियों को दी गई. सौभाग्य योजना के तहत अविद्युतीकृत घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए खंभे, तार आदि का व्यय शासन ने वहन किया. प्रदेश में 98.67 फीसदी गांव विद्युतीकृत हो चुके हैं. प्रदेश में 50 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को घरों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है.

अंधेरे से उजालों की ओर

दंतेवाड़ा- आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिला माओवाद से ग्रस्त है यहां माओवादियों द्वारा सरकार के विकास कार्यों का विरोध किया जाता रहा है. सड़क निर्माण में लगी गाड़ियों को आग के हवाले करने के मामले आए दिन आते रहते हैं, इसके अलावा कभी पुल-पुलियों को आईईडी के द्वारा उड़ा दिया जाता है. फोन-बिजली के खंबों को माओवादियों द्वारा उखाड़ कर फेंक दिया जाता रहा है ऐसे में यहां बिजली पहुंचाना किसी बड़ी चुनौति से कम नहीं था. बावजूद इसके सरकार द्वारा यहां तेजी से काम किया गया. उसका ही नतीजा था कि विद्युतीकृत ग्रामों की संख्या 209 से बढक़र 2100 हो गयी है. वहीं अब तक लगभग 2000 मजरे-टोले विद्युतीकृत किये गये. जिले में अभी तक तकरीबन 1100 सिंचाई पंपों को विद्युत कनेक्शन प्रदान किया गया. जिले में कुल 21 हजार 369 घरों को विद्युतीकृत करने लक्ष्य था, जिसमें 4 हजार 46 घरों को सौर उर्जा संयत्र के माध्यम से विद्युतीकृत करने का काम पूर्णता की ओर है.

कांकेर- माओवाद से ग्रस्त यह इलाका अपनी भौगोलिक स्थितियों की वजह से बेहद चुनौति भरा क्षेत्र माना जाता रहा है. यहां पर 02 करोड़ 10 लाख रूपये की लागत से सबस्टेशन का निर्माण करने से 9 गांव के लगभग 2500 लोगों को बिजली की समस्या से छुटकारा मिल गया है.

जशपुर- ये इलाका भी आदिवासी बहुल है यहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवाओं की संख्या राज्य में सबसे ज्यादा निवास करती है. यहां पर दो करोड़ 78 लाख की लागत से 33/11 के.व्ही क्षमता के उपकेन्द्र का निर्माण करने से 18 ग्राम के 11,126 हितग्राही लाभान्वित हुए.

गरियाबंद- हीरे और एलेक्जेन्ड्राइट के लिए मशहूर गरियाबंद जिले के ग्राम श्यामनगर में 228 लाख रूपये की लागत से 1.3 एम.व्ही.ए. क्षमता के नए विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण किया गया. जिसकी वजह से क्षेत्र के 8 ग्रामों को समुचित वोल्टेज पर बिजली की आपूर्ति निर्बाद्ध रूप से मिलनी सुनिश्चित हो सकी. वहीं पंडित दीनदायाल उपाध्याय योजना के तहत 306 नए उपकेन्द्र का निर्माण भी पूरा कर लिया गया है. जिसकी वजह से जिले के लगभग सभी गांव अब रोशन होने की कगार पर हैं.

बिलासपुर- जिले के ग्राम खरकेना में 5 एमवीए 33/11 केव्ही उपकेन्द्र का निर्माण हो जाने से क्षेत्र के 12 गांवों में लो वोल्टेज की समस्या दूर हो गई है. इससे इन इलाकों में रहने वाले 13 हजार ग्रामीणों को फायदा हुआ है.  जिले में अब 33/11 केव्ही उपकेंद्रों की संख्या 20 से बढ़कर 87 हो गई है.

बस्तर- राज्य का यह जिला भी माओवाद से ग्रस्त है, माओवाद से ग्रस्त अऩ्य इलाकों की तरह यहां भी विकास कार्य दूर की कौड़ी नजर आती थी. लेकिन इस क्षेत्र को भी चुनौती मानते हुए काम किया गया जिसकी वजह से यहां के 14 गांवों अंधियारे के अभिशाप से मुक्ति मिल गई है. इन गांवों के सभी घर शाम होते ही होने वाली भयानक अंधरे व सन्नाटे से आजाद हो चुके हैं. अब शाम को भी दिन की तरह चहल-पहल रहने लगी है. जगदलपुर विकासखण्ड के सुदूर अंचल के नागलसर, सुरुंडपाडा, दरभा के मंगनार नेगानार और कोयनार जैसे घने जंगलों में बसे गांवों के हर घर तक बिजली पहुंच चुकी है. मुख्यमंत्री ने परचनपाल-महुपालबरई में 400/220 केव्ही विद्युत सब-स्टेशन का लोकार्पण   600 करोड़ के 400 केव्ही सब-स्टेशन का निर्माण किया गया.  बस्तर जिला में सौभाग्य योजना के तहत लगभग 55 हजार घरों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है. लोहण्डीगुड़ा विकासखण्ड के विद्युत पहुंच विहीन गांव सालेपाल और टेटम के 124 घरों में सौर ऊर्जा के जरिए रोशन हो गए हैं.

रायपुर- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुरानी और जर्जर हो चुकी लाईनों को दुरुस्त किया गया. बेलभाठा में नवनिर्मित 33/11 केव्ही विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण होने से क्षेत्र के बड़े उरला, नायकबांधा, गिरोला, बेलभाठा और गातापार गांवों के करीब 15 हजार लोगों को लो-वोल्टेज की समस्या से मुक्ति गई है. पं. दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत 1 करोड़ 27 लाख रूपए की लागत इस उपकेन्द्र का निर्माण किया गया है.

नारायणपुर- गंभीर माओवाद से ग्रस्त यह इलाका हमेशा से लोगों के लिए एक अबूझ पहेली रहा है. बस्तर संभाग के अन्य जिलों की तरह यहां भी बड़ी संख्या में ऊंचे-ऊंचे पहाड़, नदी-नाले मौजूद हैं. जिसकी वजह और माओवादियों की वजह से यहां के लोगों तक बिजली पहुंचाना किसी ख्वाब से कम नहीं था. माओवादियों की वजह से जिस अबूझमाड़ में कभी पुलिस नहीं पहुंच पाई थी उस अबूझमाड़ विकासखंड के ग्राम कुंदला में 2 करोड़ 40 लाख रूपये की लागत से 33/11 केव्ही विद्युत सब स्टेशन का निर इस विद्युत सब स्टेशन के बन जाने से ओरछा विकाखंड के दूरस्थ अंचल के 960 परिवारों को लाभ मिलने जा रहा है.

कोंडगांव- बस्तर संभाग के अंतर्गत आने वाले यह जिला भी माओवाद से प्रभावित है. जिले में कुल 542 आबाद ग्राम है, जिसमें से 537 ग्राम परम्परागत स्त्रोत और 03 ग्राम सोलर से उर्जाकृत है. कोण्डागांव जिले मे 99.63 से अधिक ग्राम विद्युतीकृत हो चुके हैं. जिले मे कुल 4132 मजरा-टोला है, जिसमे से 3848 मजरा-टोला विद्युतीकृत है इसके साथ ही 284 अविद्युतीकृत मजरा-टोला को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना व मुख्यमंत्री मजरा-टोला योजना मे सम्मिलित करके यहां काम लगभग पूर्ण हो चुका है. वर्ष 2003मे कोण्डागांव जिले की विद्युत सप्लाई 132/33 के0व्ही0 उपकेन्द्र जगदलपुर और कांकेर से संचालित होती थी. जिससे क्षेत्रवासियो को लो-वोल्टेज और विद्युत कटौती जैसे समस्याओं से जुझना पड़ता था. 23 सितम्बर वर्ष 2013 मे कोण्डागावं जिले मे 132/33 के0व्ही0 उपकेन्द्र मसोरा का निर्माण किया गया. जिससे जिले की विद्युत आपूर्ति बेहतर हो गई. विद्युत अधोसंरचना को सुदृढ़ बनाने हेतु कोण्डागांव जिले में पांच 33/11 के0व्ही0 उपकेन्द्र का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है. ज्ञात हो कि नव निर्मित 33/11 के.व्ही. गिरोला उपकेन्द्र का निर्माण 2.1 करोड़ रूपये की लागत से किया गया है, जिसकी क्षमता 3.15 एमव्हीए है. नये उपकेन्द्र के क्रियाशील हो जाने से लगभग 13 ग्रामों को समुचित वोल्टेज पर बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो गई है. जिनमें गिरोला, चिलपुटी, सितली, पल्ली, इदागांव, भोगाड़ी, मरवाबेड़ा, मसोरा, सातगांव, केवटी, दाड़ीया, देवखरगांव एवं भीरागांव ग्रामों के 3664 उपभोक्ता लाभान्वित होंगे. इस क्रम में बोरगांव उपकेन्द्र के द्वारा बोरगांव पूर्व, बोरगांव पश्चिम, सिंगारपुरी, चुरेगांव, फुपगांव, कुल्हाड़ागांव, सारबेड़ा, मोहलई, भण्डारसिवनी, पाण्डेआठगांव, चरकई, चांदागांव, बिवला एवं नालाझार ग्रामों के 2840 उपभोक्ता लाभान्वित हुए.

सरगुजा- उत्तर छत्तीसगढ़ के अंतर्गत आने वाले इस जिले के अंबिकापुर में गुमगा में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण किया गया. इस उपकेन्द्र से 26 ग्रामों के 18 हजार 850 जनसंख्या को बिजली मुहैया हो पाई है. 34 लाख रूपए की लागत से निर्मित 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण किया गया है. इस विद्युत उपकेन्द्र से कुल 26 गांव के 18 हजार 50 जनसंख्या को विद्युत सुविधा का लाभ मिलना जा रहा है. इसके साथ ही इससे इस क्षेत्र में लो-वोल्टेज की समस्या भी दूर हो गई है. वहीं इसके अलावा  जिले में 6 विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण भी पूर्णता की ओर है. यहां प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत 38 हजार 966 घरों में 31 दिसम्बर 2018 तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.

धमतरी- वर्ष 2003 में जहां धमतरी जिले में एक भी अति उच्च दाब विद्युत उपकेन्द्र नहीं था तथा दुर्ग जिले के 132/33 के.व्ही. उप केन्द्र चिटौद से विद्युत आपूर्ति होती थी. वहीं आज यहां दो नए 132/33 के.व्ही. उपकेन्द्र कुरूद और मगरलोड (मोहंदी) में निर्मित किया गया है. इसके अलावा भखारा और नगरी में भी 132/33 के.व्ही. के एक-एक उपकेन्द्र निर्माण अपने अंतिम चरण में है. साथ ही कुरूद के थूहा-बंगोली में 400/220 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य जारी है. इससे धमतरी सहित बालोद, रायपुर और गरियाबंद जिले की विद्युत व्यवस्था में सुदृढ़ता आएगी. कातलबोड़ (बानगर) में दीनदायल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत् एक करोड़ 57 लाख रूपए की लागत से तैयार 3.15 मेगावोल्ट क्षमता के 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र ने काम करना शुरु कर दिया है. इस उपकेन्द्र से कातलबोड़ सहित मोंगरा, खैरा, बानगर, सिंधौरीकला, कोकड़ी, कमरौद तथा परसवानी के 2594 उपभोक्ताओं को समुचित वोल्टेज पर बिजली की आपूर्ति शुरु हो गई है.इसी तरह वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या 14 सालों में 1604 से बढ़कर 6430, कृषि पंपों की संख्या 11928 से बढ़कर 30022 हो गई है.

बीजापुर- यह क्षेत्र भी गंभीर माओवाद की समस्या से जूझ रहा है. यहां भी भौगोलिक स्थिति और माओवाद की वजह से सरकार के लिए विकास कार्य टेढ़ी खीर थे. लेकिन यहां भी
580 आबाद गांव में से 363 गांव तक बिजली पहुंचाने मे कामयाब मिली है जिसे जिले के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है.

दुर्ग- दुर्ग जिले में लगभग 6 करोड़ रुपए की लागत से 4 नए विद्युत सब स्टेशनों का निर्माण किया गया. ग्राम चन्दखुरी में 2 करोड़ 33 लाख रुपए की लागत से बने नए 33/11 केव्हीए क्षमता के सब स्टेशन का निर्माण हुआ है. इसके निर्माण से आस-पास के 17 गांवों के लगभग 25 हजार की आबादी को फायदा मिल रहा है. वहीं  धमधा विकासखण्ड के ग्राम नारधा, हिर्री और भाठा-कोकड़ी (खैरझिटी) में भी 33/11 केव्हीके तीन सब स्टेशनों ने काम करना शुरु कर दिया है.

आंकड़े एक नजर में….

  • राज्य गठन के वक्त विद्युतीकृत गांवों का प्रतिशत महज 87.43 था. अब बढ़कर यह लगभग सौ फीसदी के आंकड़े को छू गया है.
  • प्रदेश के ऐसे गांव और मजरे-टोले जहां परम्परागत रुप से बिजली की लाइन डाल कर बिजली पहुंचाना संभव नहीं था, ऐसे 1525 गांवों और मजरे-टोलों में सौर ऊर्जा के जरिए बिजली पहुंचाई गयी है.
  • देश का पहला विद्युत कटौती मुक्त राज्य. वर्ष 2008 से लगातार जीरो पावर कट.
  • एकल बत्ती योजना के तहत प्रदेश के 15.54 लाख बीपीएल परिवारों को हर महीने 40 यूनिट बिजली निःशुल्क. वर्ष 2003 में इनकी संख्या सिर्फ 6.90 लाख थीं.
  • मुख्यमंत्री एल.ई.डी. लैम्प वितरण योजना-प्रत्येक बीपीएल बिजली उपभोक्ता को तीन एल.ई.डी. लैम्प निःशुल्क और एपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं को अब सिर्फ 65 रूपए प्रति बल्ब की दर पर अधिकतम 10 एलईडी बल्ब दिए जा रहे हैं. एपीएल उपभोक्ताओं को पांच एलईडी बल्ब मासिक किश्तों में भी देने की सुविधा. योजना 13 मार्च 2016 से प्रारंभ.
  • राज्य के 73 हजार 848 मजरा-टोलों में से 68 हजार 790 मजरा-टोलों में परम्परागत और गैरपरम्परागत पद्धति से पहुंचाई गई बिजली.
  • बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं के यथासंभव तुरंत निराकरण के लिए हेल्पलाईन नम्बर 1912 के साथ केन्द्रीकृत विद्युत कॉल सेंटर चौबीसों घण्टे संचालित.

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