शिवम मिश्रा,रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना काल के बीच बसों का संचालन होगा या नहीं ? इसे लेकर संशय अभी भी बरकरार है. क्योंकि परिवहन मंत्री अकबर के साथ बस संचालकों के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात जरूर की है, लेकिन इनकी मांगों पर ज्यादा कुछ सहमति नहीं बन पाई है. मंत्री अकबर ने अधिकारियों से चर्चा करने के बाद ही नजीते पर पहुंचने की बात कही हैं. इससे यह कन्फर्म हो गया कि अभी संचालक बसों को सड़कों पर दौड़ाने को तैयार नहीं है, जब तक की उनकी मांगे पूरी नहीं होगी, बसों का संचालन बंद रहेगा. ऐसे में बस में सफर करने वाले यात्रियों को कुछ दिन और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि सड़कों पर ऑटो-रिक्सा चल रहीं हैं.

यातायात महासंघ के अध्यक्ष ने बताया कहा कि अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर परिवहन मंत्री अकबर से मुलाकात कर विस्तृत चर्चा की गई. साथ ही कुछ और भी 3 से 4 मांगे हैं, उन्हें भी उनके समक्ष रखा गया है. मंत्री ने हमें कहा है कि पड़ोसी राज्यों से संबंधित दस्तावेज लाकर दीजिए. इस पर अधिकारियों और मुख्यमंत्री से चर्चा करने के बाद जल्द से जल्द निपटारा किया जाएगा. मुलाकात में कुछ भी ठोस नतीजा नहीं निकलने से संचालकों का कहना है कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होंगी, तब तक बसों का संचालन नहीं किया जाएगा. क्योंकि हम घर से पैसा लगाकर बसें नहीं चलाना चाहते हैं.

इस संबंध में परिवहन मंत्री मो. अकबर ने कहा कि सभी बस ऑपरेटर्स अपनी मांगों को लेकर मुलाकात करने आए थे. इस संबंध में उनसे कहा गया है कि पड़ोसी राज्यों से दस्तावेज लेकर आओ ताकि उसके समर्थन में विचार किया जा सके. जितनी कुछ इनकी मांगे हैं, चाहे बीमा को लेकर हो या केंद्र सरकार को पत्र लिखने को लेकर हो. उनकी सभी मांगों को सुना गया और परेशानियों को भी समझा गया. सभी बातों को ध्यान से सुनकर यह तय किया गया है कि उन्होंने जो भी मांग रखी है. उन मांगों को अधिकारियों के साथ बैठक कर हल निकाला जाएगा, जो भी निष्कर्ष निकलकर सामने आएगा, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

ये हैं बस ऑपरेटरों की मांगें

  • सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक टैक्स में छूट प्रदान की जाए.
  • डीजल के वैट टैक्स में 50 प्रतिशत तक की कटौती की जाए.
  • फार्म के एवं फार्म एम की साल में दो माह की बाध्यता समाप्त की जाए.
  • अन्य राज्यों में इसकी फीस 10 से 20 रुपये है, जबकि छत्तीसगढ़ में 500 एवं एक हजार रुपये प्रतिमाह है.
  • डीजल की बढ़ती कीमत के साथ यात्री किराया में वृद्धि की स्थाई नीति बनाई जाए.
  • टोल टैक्स में छूट दी जाए.
  • एक प्राधिकार के बनने से पहले जो काम आरटीओ द्वारा किया जाता था उसे दोबारा लागू किया जाए.
  • स्लीपर कोच पर लगने वाले डबल टैक्स को समाप्त किया जाए.
  • व्हीलबेस के आधार पर बैठक क्षमता को निर्धारित करना समाप्त किया जाए.
  • भौतिक परीक्षण के आधार पर वाहन को पंजीकृत किया जाए, क्योंकि व्हीलबेस के आधार पर निर्धारित सीटें वाहन में लगाना नामुमकिन है.